एक फैक्ट्री में मशीन चलते-चलते रूक गई। फैक्ट्री के मेकेनिक ने कोशिश की, पर मशीन सही न हुई। बाहर से इंजीनियर को बुलाया गया। उसने मशीन को अच्छी तरह से देखा और कहा- एक हथोड़ा लाओ। उसने मशीन के एक विशेष भाग पर जोर से हथोड़ा मारा और मारते ही मशीन चल पड़ी। सभी उसकी प्रशंसा करने लगे। उसने मालिक को बिल पकड़ाया। एक लाख रूपये का बिल देखकर मालिक भौचक्का रह गया। उसने कहा- आपने किया क्या, केवल एक हथोड़ा मारा और उसके एक लाख रूपये। इंजीनियर ने कहा- साहब माफ करना, हथौड़ा मारने का तो केवल एक रूपया हैं, पर वह कहाँ मारना हैं इसके 99999 रूपये हैं। मालिक समझ गया- हाथ की कीमत कितनी हैं और दिमाग की कीमत कितनी।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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