शुक्रवार, 20 मई 2011

अखण्ड ज्योति फरवरी 1963

1. आह्वान (कविता)

2. उपासना आवश्यक हैं और अनिवार्य भी

3. लक्ष्य की प्राप्ति केवल इस प्रकार सम्भव हैं

4. कर्तव्य धर्म की मर्यादा तोडि़ये मत

5. सद्ज्ञान और सत्कर्म की संस्कृति

6. प्रेम का अमृत और उसका प्रतिदान

7. आत्मसंतोष और आत्म सम्मान

8. अनासक्त कर्मयोग की आवश्यकता

9. धर्म पुराणों की कथा गाथायें

10. उपवास-स्वस्थ रहने का श्रेष्ठ साधन

11. प्रसन्नता की प्राप्ति का मार्ग

12. ओ अफीम के मतवाले (कविता)

13. सुरक्षा प्रयत्नों में शिथिलता न आने पाये

14. भावनाओं का जागरण आवश्यक हैं

15. समस्त समस्याओं का एक ही हल

16. इतना तो करना ही होगा

17. युग परिवर्तन ऐसे होगा !

अखण्ड ज्योति जनवरी 1963

1. तुम दीपक से जलते जाओ

2. मानव जीवन और ईश्वर विश्वास

3. प्रेम ही परमेश्वर हैं

4. हम जीवन विद्या भी सीखें

5. तप और त्याग की आवश्यकता

6. सशर्त सहायता

7. नम्रता ही सभ्यता का चिन्ह हैं

8. अवतार कब होगा ?

9. श्रम से ही जीवन निखरता हैं

10. हम किसी से भी न डरे

11. दाम्पत्य जीवन की सफलता के लिए

12. दीर्घ जीवन का रहस्य

13. नारी को समुन्नत किया जाय

14. भाग्यवाद और पुरूषार्थवाद

15. विचार और व्यवहार

16. बालको के निर्माण का आधार

17. भारतमाता की स्वाधीनता और प्रतिष्ठा के लिए

18. आगामी साढ़े आठ वर्ष

19. आन्तरिक शत्रुओं से भी लड़ा जाय

20. हम कर्तव्य पालन में चूक न करे

21. ईश्वर पर विश्वास

22. लघु कथायें

23. विजय या मौत

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1962

1. सत्-संकल्पमयी प्रार्थना

2. असुरता से देवत्व की ओर

3. परमात्मा की अनन्त अनुकम्पा और उसके दर्शन

4. सद्गुण भी हमारे ध्यान में रहे

5. कुसंग से आत्मरक्षा की आवश्यकता

6. प्रशंसा और प्रोत्साहन का महत्व

7. आलस में समय न गवाये

8. मितव्ययिता और आर्थिक संतुलन

9. यह सत्यानाशी सामाजिक कुरीतिया

10. पारिवारिक जीवन की समस्यायें

11. हम अशान्त और आतंकित न हो

12. यह करने के लिए हम कटिबद्ध हो जाय

13. नई प्रबुद्ध पीढ़ी का अवतरण

14. युग निर्माण केन्द्र और उनका बीस सूत्री कार्यक्रम

15. अग्नि परीक्षा की घड़ी में हमारा कर्तव्य

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1962

1. जीवन गीत

2. जिन्दगी जीने की विद्या भी सीखी जाय

3. हम ईश्वर से विमुख न हो

4. जीव पर दो प्रकृतियों की छाया

5. सन्मार्ग का राजपथ कभी न छोड़े

6. मानव जीवन एक अलभ्य अवसर

7. कर्म पर भावना का प्रभाव

8. सच्चा शूरवीर मनुष्य

9. बड़प्पन की बात सोचें, बड़े काम करें

10. प्रिय-दर्शन और छिद्रान्वेषण

11. सफलता ही नहीं असफलता भी

12. अहंकार की असुरता से बचा जाय

13. द्वेष दुर्भाव से कोई लाभ नहीं ?

14. जिन्दगी खेल की तरह जियें

15. इतना भी क्या कम हैं ?

16. प्रसन्न रहे, प्रफुल्ल बने ?

17. हम और हमारी युग निर्माण योजना

18. प्रशिक्षण सम्बन्घी व्यापक योजना

19. मशाल ज्ञान की लिए, बढे़ चलो, बढ़े चलो

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1962

1. ज्ञानदान एवं उत्कृष्ट उपहार

2. आचार और विचार की शुद्धि साधना

3. पार लगाने वाले मेरी नैया के भगवान !

4. सद्बुद्धि और आत्मबल की दिव्य विभूति

5. गायत्री उपासना-एक आवश्यक धर्म कर्तव्य

6. साधना और उसकी सिद्धि

7. ब्रह्मचर्य और निरालस्य का व्रत धारण

8. मनोमय कोश की सरल किन्तु महान् साधना

9. प्राण शक्ति का प्रचंड विद्युत प्रवाह

10. लोम-विलोम सूर्य बेधन प्राणायाम

11. प्राण-प्रवाह की शक्ति संचार साधना

12. विज्ञानमय-कोश और निरहंकारिता

13. आनन्दमय कोश और उसका अनावरण

14. चिकित्सा-शिक्षा साधना और सत्संग

15. अखण्ड ज्योति परिवार को अब क्या करना होगा ?

16. जल उठे यदि दीप सुन्दर साधना का (कविता)


17. अन्नमय कोश की द्वितीय वर्षीय साधना

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1962

1. युग निर्माण करो (कविता)

2. युग परिवर्तन की आधार शिला

3. आस्तिकता और कर्तव्य पालन

4. सबके हित में अपना हित

5. सद्गुणों की सच्ची सम्पत्ति

6. विवेक को विजयी बनाया जाये

7. स्वार्थ ही नहीं परमार्थ को भी साधें

8. विश्वशान्ति के तीन आधार

9. उत्कृष्टता से ही श्रेष्ठता जन्मेगी

10. आत्म निर्माण हमारा प्रमुख कर्तव्य

11. वास्तविक परिवार नियोजन

12. अपना परिवार बढ़ता ही चले

13. दस-सूत्री रचनात्मक योजना

14. हमारा आगामी कार्यक्रम

अखण्ड ज्योति अगस्त 1962

1. क्या असम्भव हैं धरा पर (कविता)

2. प्राकृतिक चिकित्सा का अध्यात्म

3. प्राकृतिक चिकित्सा क्या है ?

4. कीटाणु नहीं विजातीय द्रव्य

5. विजातीय द्रव्य की उत्पत्ति और वृद्धि

6. पंचतत्व चिकित्सा का आश्चर्यजनक प्रभाव

7. शारीरिक मल का निष्कासन-उपवास

8. पेट की भीतरी कलपुर्जों की सफाई-एनीमा

9. जल चिकित्सा के सिद्धान्त और उपचार

10. मिट्टी समस्त रोगों की रामबाण औषधि हैं

11. सूर्य चिकित्सा या धूप स्नान

12. वायु स्नान और प्राणायाम

13. मानसोपचार का महत्व कम नहीं

14. रोगोपचार में मालिश का महत्व

15. प्राकृतिक चिकित्सा में जड़ी बुटियों का स्थान

16. शरीर शोधन के लिए पंचकर्म

अखण्ड ज्योति जुलाई 1962

1. युग निर्माण का आधार तत्व

2. ध्येय का पथ

3. समाजिक प्रगति का एकमात्र आधार

4. भौतिक ही नहीं, आत्मिक प्रगति भी

5. हम दो में से एक मार्ग चुन लें

6. महत्वाकांक्षाये और असंतोष

7. वित्तेषणा की डाकिन

8. पिशाचिनी पुत्रेषणा

9. लोकेषणा की हेय लालसा

10. सभ्य-समाज में नारी का स्थान

11. समाज-सुधार की अनिवार्य आवश्यकता

12. लक्ष्यपूर्ति के लिए हमें भी कुछ तो करना ही होगा


अखण्ड ज्योति जून 1962

1. मन का स्वास्थ्य पर प्रभाव

2. हमारा सत्-संकल्प

3. मानसिक परिवर्तन से जीवन परिवर्तन

4. परिवार भी हमारा एक शरीर ही हैं

5. परिजनो के सुधार की पूर्ण प्रक्रिया

6. उत्तराधिकार में परिवार को पाँच रत्न दीजिए

7. आर्थिक परिस्थितियाँ और उनका सुधार

8. मितव्ययता का उपयोगी दृष्टिकोण

9. जीवन की सर्वोपरि आवश्यकता-संजीवनी विद्या

10. इस संसार की श्रेष्ठतम विभूति-ज्ञान

11. दृष्टिकोण का परिवर्तन

12. मानसिक स्वच्छता का महत्व

13. मानसिक स्वच्छता के चार आधार

अखण्ड ज्योति मई 1962

1. हम आरोग्य का महत्व समझे

2. सत्-संकल्प

3. स्वास्थ्य सुधार के लिए धैर्य की आवश्यकता

4. रास्ता केवल एक ही हैं

5. पाचन प्रणाली का असाधारण महत्व

6. शक्ति का उत्पादन शिथिल न होने पावे

7. आरोग्य के घातक शत्रु-मनोविकार

8. मानसिक स्थिति का स्वास्थ्य पर प्रभाव

9. हम आहार में असावधानी न बरतें

10. व्यायाम की अनिवार्य आवश्यकता

11. दुर्बल व्यक्तियों के लिए सरल व्यायाम

12. सूर्य नमस्कार

13. नियमितता, संयम और व्यवस्था

14. अपनी चिकित्सा आप स्वयं करे

15. स्वास्थ्य समस्या और हमारा कर्तव्य

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1962

1. हे जन विराट जागो !

2. सक्रिय अध्यात्मवाद की ओर

3. एक लक्ष्य के दो कार्यक्रम

4. दो में से एक का चुनाव

5. साधना, स्वाध्याय, संयम और सेवा

6. विश्व मानव की अखण्ड अन्तरात्मा

7. हम भी सत्य को ही क्यो न अपनाये ?

8. निष्काम भक्ति में दुहरा लाभ

9. गुत्थियों का हल अपने भीतर हैं

10. विश्वव्यापी विचार-क्रान्ति के देवदूत

11. समय का सदुपयोग

12. सिख धर्म के गृहस्थ गुरू

13. जीवन की सर्वश्रेष्ठ विभूति ज्ञान

14. विचारणीय और मननीय

15. सामयिक जानकारी और सूचनायें

16. हमारा महत्वपूर्ण एवं उपयोगी प्रकाशन

अखण्ड ज्योति मार्च 1962

1. दृढ़ विश्वास

2. प्रगति का मूल मन्त्र-आत्मोकर्ष

3. स्वार्थ को नहीं, परमार्थ को साधा जाये

4. अध्यात्म लक्ष्य की सर्वांगपूर्णता

5. आस्तिकता से विश्व शक्ति का अवतरण

6. उपासना को भी दैनिक जीवन में स्थान मिले

7. देवासुर संग्राम में हम निरपेक्ष न रहे

8. सुख-शान्ति का एक मात्र उपाय

9. ज्ञान यज्ञ का महान् अभियान

10. अष्टग्रही और उसके बाद

11. युग परिवर्तन और उसकी सम्भावनाये

12. सामूहिक सत्प्रयत्नों की प्रगति

13. महिलायें और बच्चे भी पीछे नहीं

14. नवीन पर्व का सृजन हुआ हैं

अखण्ड ज्योति फरवरी 1962

1. सँभालो नहीं डूबने जा रहा हैं

2. विवेकशीलता का महान् अभियान

3. वर्तमान का विहंगावलोकन

4. मौत और बीमारी की सुरक्षा

5. जीवनी-शक्ति का अपव्यय

6. अब नहीं तो 65 वर्ष बाद सही

7. अस्वच्छ मन के उपद्रव एवं उत्पात

8. उत्तेजना और आवेश की विभीषिका

9. हमारे पारिवारिक स्नेह सम्बन्ध क्या टूट ही जायेंगे ?

10. अपराधों का कारण गरीबी ही नहीं हैं

11. बेचारी सरकार भी क्या करे ?

12. नारी क्या इसी प्रकार सताई जाती रहेगी ?

13. सामूहिक आत्महत्या की तैयारी

14. भलाई की शक्ति मर नहीं सकती ?

15. व्यक्तिगत सदाचार और आदर्शवाद

16. साहस और पुरूषार्थ का फल

17. सच्चा धर्म

अखण्ड ज्योति जनवरी 1962

1. बिछाओ जग के पथ पर फूल (कविता)

2. लक्ष्य के पथ पर

3. स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन, सभ्य समाज

4. युग निर्माण योजना और उसकी पृष्ठभूमि

5. आरोग्य को नष्ट न होने दिया जाय

6. कब्ज और उसका निवारण

7. मन की स्वच्छता आवश्यक हैं

8. जीवन की सर्वोत्तम विभूति

9. हमारा समाज असभ्य एवं अविवेकी न हो ?

10. अध्यात्म लक्ष्य और उसका आवश्यक कर्तृत्व

11. युग निर्माण के लिए ‘‘ज्ञान-यज्ञ’’

12. योजना और कार्यक्रम

13. संगठन और उसका भावी स्वरूप

14. अष्टग्रही योग के अवसर पर

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1961

1. हृदय की विशुद्धता

2. चलते समय

3. हमारा आन्तरिक महाभारत

4. ईश्वरोपासना के सत्परिणाम

5. सुखद और सरल तो सत्य ही हैं

6. ‘बहुत’ नहीं ‘उत्कृष्ट’ चाहिए

7. सुखों की ही भाँति दुःख को भी सहन कीजिए

8. क्या आत्म कल्याण के लिए गृह त्याग आवश्यक हैं ?

9. धर्म पुराणों की सत् कथायें

10. मानवता के सच्चे उपासक-श्री जगद्बन्धु

11. क्रोध मत किया कीजिए

12. महान् प्रेरक-वालटेयर

13. अनमोल बोल

14. विचारणीय और मननीय

15. बेचारा-बेंजामिन फ्रेंकलिन

16. सौराष्ट्र की लोकोपकारिणी सन्त महिलायें

17. ज्ञान से ही बन्धन टूटते हैं

18. गांधी का स्वराज्य स्वप्न-न जाने कब पूरा होगा ?

19. 1952 का अष्टग्रही योग

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1961

1. जीवन उद्देश्य प्राप्त करो

2. उद्बोधन-गीत

3. सामयिक चेतावनी

4. एक महत्वपूर्ण कदम

5. तत्वदर्शियों की दृष्टि में सत्य का तथ्य

6. क्या आत्मकल्याण के लिए गृहत्याग आवश्यक हैं ?

7. प्रतिकूल परिस्थिति में भी हम अधीर न हो

8. सफलता का गुप्त स्त्रोत-दृढ़ इच्छा शक्ति

9. आहार और उसकी शुद्धि

10. मन को भी उचित आहार चाहिए

11. विचारणीय और मननीय

12. धर्म पुराणों की सत्कथायें

13. सच्चे ब्राह्मणत्व का पालन करने वाले-संत एकनाथ

14. अथक प्रयत्न-अनवरत श्रम

15. लापरवाही एक प्रकार की आत्महत्या हैं

16. खर दिमाग एडीसन

17. भारतीय बालकों की शानदार परम्परा

18. सत्कर्म ही क्यो न करे ?

19. गायत्री परिवार समाचार

20. आगे बढ़ो (कविता)

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1961

1. दुःख निवृत्ति का केवल एक ही मार्ग हैं

2. त्याग की बेला (कविता)

3. साधना का शुभारम्भ

4. ‘प्रेय’ से ‘श्रेय’ की ओर

5. तपश्चर्या का एक सरल आरम्भ

6. आत्म-शिक्षण की अनिवार्य आवश्यकता

7. स्वाध्याय, सत्संग और मनन चिन्तन

8. आत्मबल का मूल उद्गम केन्द्र

9. वीर-बलिष्ठ-तेजस्वी बनाने वाला प्राणायाम

10. प्राण संचार और शक्तिपात

11. आत्मा पर से मल-आवरण भी तो हटे

12. मानवता का प्रथम गुण-कृतज्ञता

13. आनन्द का स्त्रोत, प्रेम भावनाओं में हैं

14. जप के साथ ध्यान भी

15. प्रस्तुत साधना का व्यावहारिक रूप

16. अष्टग्रही योग और उसकी सम्भावनाये

17. हमारी अत्यन्त महत्वपूर्ण पुस्तकें

18. शूल और फूल (कविता)

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1961

1. साधना मार्ग के सहायक

2. ‘‘जब तुम खेवनहार हो’’

3. अध्यात्म ही सब कुछ हैं

4. लौकिक सुखों का एकमात्र आधार

5. आत्मा की अनन्त सामर्थ्य

6. आत्मोन्नति के प्रधान साधन

7. धर्म पुराण की सत् कथायें

8. शक्तियों को यों ही नष्ट मत कीजिये

9. भारतीय नारी की गौरवमयी गरिमा

10. महायोगी गोरखनाथ और उनका योग मार्ग

11. आदर्श के अनुयायी

12. कही आप भी तो ऐसे नहीं हैं ?

13. विचारणीय और मननीय

14. अशान्त रहने से क्या लाभ ?

15. दीर्घ जीवन के आध्यात्मिक कारण

16. अष्टग्रही और उसकी सम्भावनाये

17. अखण्ड ज्योति के सम्बन्ध में

18. दोनो ही उपहार (कविता)


अखण्ड ज्योति अगस्त 1961

1. गति ही जीवन प्राण (कविता)

2. साधना आवश्यक हैं, अनिवार्य हैं

3. साधना की महानता

4. आत्मनिर्माण का पुण्य पथ

5. साधना और उसका स्वरूप

6. वानप्रस्थ से तेजस्वी जीवन

7. विचारणीय और मननीय

8. धर्म पुराणों की सत् कथायें

9. शुभ काम दिखावे के लिए न करे

10. कहा तो उनने था सुने हम भी

11. बुद्धिमान यह किया करते हैं

12. बिखरे विचार

13. प्रेम के द्वारा सर्वांगीण कल्याण की साधना

14. गायत्री-परिवार सम्बन्धी स्पष्टीकरण

15. चारों वेदों का सरल हिन्दी भाष्य

16. नव श्रंगार करो (कविता)

अखण्ड ज्योति जुलाई 1961

1. सत्येशवर प्रभु (कविता)

2. भले ही थोड़ा, पर उत्कृष्ट

3. कला का उद्देश्य-सृष्टा के अनन्त सौन्दर्य की अनुभूति

4. गायत्री की रहस्यमयी प्राण विद्या

5. कठिन समस्याओं के सरल समाधान

6. लोक-मानस की शुद्धि कौन करेगा ?

7. विचारणीय और मननीय

8. अपने और पराये

9. ईश्वर प्राप्ति की समस्या और उसका हल

10. प्रगति का आन्तरिक आधार

11. पुरूषार्थ से क्या नहीं हो सकता ?

12. आत्मशक्ति का अक्षय भण्डार

13. कहा तो उनने था-पर सुने हम भी

14. अध्यात्म आदर्श के प्रतीक-शिव

15. धर्म पुराणों की सत्कथायें

16. रविवार का व्रत उपवास

17. स्वाध्याय सन्दोह

18. गायत्री परिवार के सम्बन्ध में

19. भ्रम का विस्तार (कविता)

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