सुकरात नदी में नहा रहे थे। तभी एक युवक आया और पूछने लगा- सफलता का राज क्या हैं ? सुकरात ने उसे अपने पास बुलाया। जैसे ही वह पास आया तो सुकरात ने उसे पकड़ा, नदी में डुबोया और खुद उस पर बैठ गए। युवक पानी के अंदर तड़फड़ाने लगा। उसने खूब कोशिश की, पर सफल न हो पाया। अंत में उसने पूरी ताकत झौकते हुए सुकरात को पछाड़ा और बाहर निकल आया वह सुकरात को भला-बुरा कहने लगा। मैं तो कुछ पूछने आया था और तुम मुझे ही डुबोकर मारने लगे। सुकरात ने कहा- मैं तो तुम्हारे सवाल का जवाब दे रहा था। युवक ने पूछा- क्या मतलब ? सुकरात ने कहा-‘‘जैसे पानी में तुम्हारी एक ही इच्छा थी कि जैसे-तैसे करके बाहर निकलूँ ओर इसके लिए तुमने अपनी पूरी ताकत झौंक दी ठीक वैसे ही जब तुम सफल होने के लिए अपनी सौ प्रतिशत ताकत लगा दोगे तो एक दिन अवश्य सफल हो जाओगे।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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