एक महिला बाजार-आफिस के काम निपटाकर गर्मी में दोपहर के दो बजे घर पहुँची। चेहरे पर थकावट स्पष्ट नजर आ रही थी। तभी बड़ा बेटा आकर बोला- मम्मी, आज छोटू ने कोयले से लिखकर फिर दीवार खराब कर दी। मैने उसे समझाया लेकिन वह नहीं माना। यह सुनते ही महिला आग बबूला हो उठी। उसने बच्चे को पकड़ा और दनादन मारने लगी। चार साल का छोटा बच्चा आखिर कब तक सहन करता। वह बेहोश हो गया यह देखते ही महिला के होश उड़ गए। वह उसे अस्पताल लेकर गई। चार घंटे में उसे होश आया। डाक्टर ने कुछ बनाकर लाने को कहा। वह घर आकर दलिया बनाने लगी। दलिया पके तब तक दीवार साफ कर देती हूँ यह सोचकर वह पौंछा लेकर गई तो उसकी आँखों में यह देखकर आँसू आ गए क्योंकि दीवार पर लिखा था-‘‘ मेरी प्यारी मम्मी, आई लव यू। ’’
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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