1. प्रगति और विपत्ति में सभी सहयोगी
2. ज्ञान प्राप्ति का मार्ग
3. तो क्या यह संसार झूठ हैं ?
4. सुन्दर अनुपम सुन्दर यह सृष्टि
5. अपना स्वर्ग स्वयं ही बनायें
6. दिव्य शक्तियों की उपलब्धि, सम्भावना ओर दर्शन
7. उपलब्धियों से अधिक महत्वपूर्ण उनका उपयोग
8. मृत्यु-जीवन का अन्त या नये जीवन की तैयारी
9. बाह्य जगत अन्तर्जगत का प्रतिबिम्ब
10. भावनाओं में घुला हुआ विष और अमृत
11. सेवा-साधना मे जीवन की सार्थकता
12. सहयोग, सद्भाव भरी उदार दिव्य आत्माएँ
13. सत्प्रयत्न संयुक्त रूप से किये जायें
14. यह संसार केवल मनुष्य के लिए ही नहीं हैं
15. संस्कृति के तीन आधार-काय् वाक् एवं चित्त संस्कार
16. शरीर से पहले मन का उपचार करें
17. समूचे व्यक्तित्व को ही सम्मोहक बनाये
18. हरिद्वार कुम्भ पर्व पर प्रगतिशील जातीय सम्मेलनों की धूम
19. सन् 81 के सौर स्फोट और उनका धरती पर प्रभाव
20. निकट भविष्य की अशुभ सम्भावनाएँ
21. नियति के परिवर्तन में अध्यात्म शक्ति का उपयोग
22. आज में जो जिया सो जिया-कविता
2. ज्ञान प्राप्ति का मार्ग
3. तो क्या यह संसार झूठ हैं ?
4. सुन्दर अनुपम सुन्दर यह सृष्टि
5. अपना स्वर्ग स्वयं ही बनायें
6. दिव्य शक्तियों की उपलब्धि, सम्भावना ओर दर्शन
7. उपलब्धियों से अधिक महत्वपूर्ण उनका उपयोग
8. मृत्यु-जीवन का अन्त या नये जीवन की तैयारी
9. बाह्य जगत अन्तर्जगत का प्रतिबिम्ब
10. भावनाओं में घुला हुआ विष और अमृत
11. सेवा-साधना मे जीवन की सार्थकता
12. सहयोग, सद्भाव भरी उदार दिव्य आत्माएँ
13. सत्प्रयत्न संयुक्त रूप से किये जायें
14. यह संसार केवल मनुष्य के लिए ही नहीं हैं
15. संस्कृति के तीन आधार-काय् वाक् एवं चित्त संस्कार
16. शरीर से पहले मन का उपचार करें
17. समूचे व्यक्तित्व को ही सम्मोहक बनाये
18. हरिद्वार कुम्भ पर्व पर प्रगतिशील जातीय सम्मेलनों की धूम
19. सन् 81 के सौर स्फोट और उनका धरती पर प्रभाव
20. निकट भविष्य की अशुभ सम्भावनाएँ
21. नियति के परिवर्तन में अध्यात्म शक्ति का उपयोग
22. आज में जो जिया सो जिया-कविता