मंगलवार, 28 अक्टूबर 2008

प्रकाश

प्रकाश
हमें ले जाता है
अंतहीन यात्राओं पर
अपने साथ
दिग् से दिगंत तक.

असंख्य लय और ताल और रागों में
व्यक्त करता है प्रकाश अपनी भंगिमाएँ.

उन्ही में से कुछ रहती हैं हमारे साथ
जब हम
निकलते हैं
जीवन की अंतर्यात्राओं पर.

अंधेरे के ख़िलाफ़
हमारे संघर्ष में
सबसे विश्वसनीय
साथी होता है प्रकाश.

वह हमसे संवाद करता है,
हमें हमारी अर्थवत्ता और
इयत्ता के अनसुलझे रहस्य
समझाने के लिए.

वह हमे निष्कलुष संसार में जीने योग्य
बनाने की कोशिश करता है.

हे दीप मालिके !
हमें प्रकाश को समझने की शक्ति प्रदान कर !!

-देवराज (नजीबाबाद)

दीप पर्व 2008
हार्दिक मंगलकामनाए...

जनमानस परिष्कार मंच

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