विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
सोमवार, 25 अप्रैल 2011
अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1943
अखण्ड ज्योति अगस्त 1943
2. झंकार
4. आदमी बनो
6. वह हैं
8. ऋण का परिशोध
11. बुराई का परिणाम
16. भगवान का निवास
17. पुराना सो सोना
18. बाइबिल की वाणी
अखण्ड ज्योति जुलाई 1943
अखण्ड ज्योति मार्च 1943
5. झूठा वैराग्य
14. सत्य से सुख
18. चरित्र निर्माण
19. एक पकड़ और लड़लो
21. पतिव्रत धर्म
22. अपने अंदर
23. पाप का बाप
अखण्ड ज्योति फरवरी 1943
अखण्ड ज्योति जनवरी 1943
2. क्रोध मत करो
5. चेतावनी
6. हे महाकाल !
7. वह आ रहा हैं
11. सत्य क्या हैं ?
14. प्रलय की समीपता
23. अनेकता में एकता
26. पितृ-श्राद्ध
अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1942
5. अन्तर्दीप
11. ज्ञान का संचय
12. बड़े का बड़प्पन
13. भ्रम निवारण
14. हर कदम आगे की ओर
16. वार्षिक विवरण
17. ताकत का अंदाज
18. धर्म संकट
19. कुरान का संदेश
20. धर्म एक हैं
21. बाइबिल की वाणी
22. नरमेध यज्ञ
23. आश्चर्यमय जगत्
25. समालोचना
अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1942
5. संयुक्तांक
6. दस लेखमालाएं
10. अहं ब्रह्मास्मि
12. आकस्मिक सुख दुख
15. ‘द’ ‘द’ ‘द’
19. जन्म और जाति
20. ईश्वर और जीव
21. मूर्खों से पराजय
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