शनिवार, 15 जनवरी 2011

हितकारी सोच

एक सड़क पर बहुत बड़ा भारी पत्थर पड़ा हुआ था। उससे किसी का स्कूटर टकराता तो किसी की गाड़ी। लोग वापस संभलते, पत्थर को व पत्थर रखने वाले को दस-बीस गालियाँ निकालते और आगे बढ़ जाते। सुबह से लेकर साँझ तक कोई बीस-पच्चीस लोग टकरा गए होंगे, पर सभी की वही आदत-गालियाँ निकालना और चले जाना। शाम को साईकिल पर एक फूलों वाला गुजरा। वह भी टकराया और उसके सारे फूल बिखर गए। फूल इकट्ठा करके वह रवाना होने ही वाला था कि उसके मन में विचार आया, कोई और इससे टकराएगा तो नुकसान हो जाएगा इसलिए यहाँ से इसे हटा देना चाहिए। उसने आधे-एक घंटे की मशक्कत करके पत्थर हटा दिया। जैसे ही पत्थर हटा कि उसके नीचे एक लिफाफा व पर्ची निकली। वह बड़ा खुश हुआ क्योंकि पर्ची पर लिखा था- "दूसरों के प्रति हितकारी सोच रखने वाले को हजार रूपये का ईनाम।" 

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