एक सड़क पर बहुत बड़ा भारी पत्थर पड़ा हुआ था। उससे किसी का स्कूटर टकराता तो किसी की गाड़ी। लोग वापस संभलते, पत्थर को व पत्थर रखने वाले को दस-बीस गालियाँ निकालते और आगे बढ़ जाते। सुबह से लेकर साँझ तक कोई बीस-पच्चीस लोग टकरा गए होंगे, पर सभी की वही आदत-गालियाँ निकालना और चले जाना। शाम को साईकिल पर एक फूलों वाला गुजरा। वह भी टकराया और उसके सारे फूल बिखर गए। फूल इकट्ठा करके वह रवाना होने ही वाला था कि उसके मन में विचार आया, कोई और इससे टकराएगा तो नुकसान हो जाएगा इसलिए यहाँ से इसे हटा देना चाहिए। उसने आधे-एक घंटे की मशक्कत करके पत्थर हटा दिया। जैसे ही पत्थर हटा कि उसके नीचे एक लिफाफा व पर्ची निकली। वह बड़ा खुश हुआ क्योंकि पर्ची पर लिखा था- "दूसरों के प्रति हितकारी सोच रखने वाले को हजार रूपये का ईनाम।"
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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