विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
शुक्रवार, 18 मार्च 2011
अपना लक्ष्य साधो
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2. यदि तुम कमजोर हो तो घबराओ मत, दिमाग को केन्द्रित करो, फिर से कोशिश करो और अपना लक्ष्य साधो। - संत प्रवर श्री चंद्रप्रभ जी
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3. जे कुछ करना चाहते हो, उसे दृढ़ निश्चयी चित्त से करो। संदेह की तुला पर आरूढ़ रहने की अपेक्षा नीचे रहना ही अच्छा हैं। -मुनि गणेश वर्णी
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4. नीति परायण, साहसी और धुन के पक्के बनो-तुम्हारे नैतिक चरित्र में कही धब्बा न हो, मृत्यु से भी मुठभेड़ लेने की हिम्मत रखो। स्वामी विवेकानन्द
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5. गिरना उतना महत्वपूर्ण नहीं होता जितना गिर कर उठना और फिर प्रयास करना। शिव खेड़ा
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6. काम कोई छोटा-बड़ा नहीं होता, ऐसा सोचने वाले ही सदा पिछड़ते रहे हैं। -शब्द प्रकाश
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7. जो व्यक्ति किताबों के साथ रहता हैं, उसे किसी विश्वसनीय मित्र, प्यार करने वाली प्रेमिका, शिक्षा और ज्ञान देने वाले गुरू और सुख तथा आनंद देने वाले भोजन और सेवक की जरूरत नहीं रह जाती। किताबें सिर्फ कागज पर छपी हुई बेजान इबारतें नहीं, वे मुद्रित और जिल्दबंद मनुष्यतायें हैं।-अज्ञात
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सदा खुश कैसे रहे ? कुछ सूत्र-
1. एकाग्रता।
2. अनासक्ति और भूलने की क्षमता।
3. विचारों को व्यवस्थित कीजिए।
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