रविवार, 22 मई 2011

अखण्ड ज्योति जनवरी 1965

1. आध्यात्मिकता की मुस्कान

2. ईश्वर हैं या नहीं ?

3. परिवार में आस्तिकता का वातावरण

4. महानता की प्राप्ति और उसके साधन

5. धर्मरक्षा से आत्मरक्षा

6. शुभ संस्कार संचित कीजिए

7. संस्कृति का स्वरूप और लक्ष्य

8. हम संयमी बने-शक्ति का अपव्यय न करे

9. जीवन का सदुपयोग कीजिए

10. मृत्यु हमारे जीवन का अन्तिम अतिथि

11. सत्य में अपवाद

12. मधु संचय

13. महत्वाकांक्षायें अनियंत्रित न होने पावे

14. वाणी का ठीक उपयोग करना सीखे

15. दान-आत्मकल्याण की एक श्रेष्ठ साधना

16. विवाह एक व्रत हैं-एक संकल्प भी

17. निराशा से दूर रहिए

18. जीवन संग्राम मे पुरूषार्थ की आवश्यकता

19. टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं

20. आत्मग्लानि से मत डूबे रहिए

21. प्राणवान बनना है तो प्राणायाम कीजिए

22. सांस्कृतिक उत्थान की नींव-बाल उत्थान

23. जनसंख्या-वृद्धि का अभिशाप

24. खाद्य पदार्थों में मिलावट कैसे दूर हो ?

25. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

26. अगले वर्ष की विशिष्ट साधना

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1964

1. ईश्वर प्राप्ति कठिन नहीं, सरल हैं

2. ईश्वर हैं या नहीं

3. लक्ष्य ऊँचा हो और महान् भी

4. क्या सत्य, क्या असत्य ?

5. धर्म ही रक्षा करेगा और कोई नहीं

6. अपनी संस्कृति की रक्षा कीजिए

7. वाणी का दुरूपयोग मत कीजिए

8. आत्मबल और उसकी महत्ता

9. मन मान जाता हैं, मनाइये तो सही

10. स्वतन्त्र चिन्तन और उसकी आवश्यकता

11. सद्भावना से हम दूसरों का हृदय जीत लेते हैं

12. अपना दृष्टिकोण दूरदर्शितापूर्ण रहे

13. आप अकेले तो हैं नहीं

14. सुख की आकांक्षा को बुरी मत कहिए

15. गृहस्थाश्रम भी एक योग साधना हैं

16. निराशा-जीवन का एक महान् अभिशाप

17. मानसिक आवेशों का सदुपयोग करना सीखें

18. हित भुक्, मित भुक्, ऋत भुक्

19. अनावश्यक सत्य भी क्यों बोले

20. श्रम का सम्मान कीजिए, साथ ही श्रमिक का भी

21. स्वच्छता आपका मूल्य और सम्मान बढ़ाती हैं

22. लघु कथा-अनुचित लोभ से नाश

23. छोटी भूल का बड़ा दुष्परिणाम, साहस नहीं तो कुछ नहीं

24. पैसे को ही परमेश्वर मत मानते रहिए

25. स्वास्थ्य का मनोरंजन-श्रेष्ठ साधन संगीत

26. मधु संचय

27. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

28. आगामी मास का अति महत्वपूण शिक्षण शिविर

29. युग निर्माण योजना-हर सदस्य पढ़े

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1964

1. हम पुरूष से पुरूषोत्तम बने

2. मनुष्य और उसकी महान् शक्ति

3. अपने आप को भी जानिए

4. अध्यात्म की अनन्त शक्ति-सामर्थ्य

5. दिव्य विचारों से उत्कृष्ट जीवन

6. श्रेय की सफलता विवेक से

7. क्या यही हमारी राह हैं

8. सात्विक कर्मों से ही आनन्द मिलेगा

9. हमारा आत्मविश्वास जाग्रत हो

10. साहसी बनिए-आप जरूर सफल होंगे

11. मृत्यु की भी तैयारी कीजिए

12. हम किसी से क्यों डरे ?

13. उत्तम पुस्तकें जाग्रत देवता हैं

14. समाज को शक्तिशाली बनावे

15. निराशा मनुष्य की कायरता का एक घृणित चिन्ह

16. सेवा-भावना बिना मन मरघट

17. परिवार-संस्था और उसका महत्व

18. समय जो गुजर गया फिर न मिलेगा

19. मिथ्या आडम्बर से सौ कोस दूर

20. स्वास्थ्य के लिए व्यायाम की आवश्यकता

21. केश, वस्त्र और वेश सभ्यों जैसा रखिए

22. बच्चे आपका अनुकरण करते हैं

23. चित्रों का भला और बुरा प्रभाव

24. खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या

25. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

26. नई धरती नया आकाश

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1964

1. शान्ति तो अन्दर ही खोजनी पड़ती हैं

2. ईश्वर प्राप्ति की साधना

3. केवल सत्य ही जीतता हैं

4. जीवन का कुछ उद्देश्य भी तो हो

5. ज्ञान की उपासना कीजिए

6. अपने स्वामी आप बनिए

7. गौरव निरन्तर चलते रहने में हैं

8. जीवन साधना के साधक-अरविन्द

9. हिन्दू धर्म की अगणित विशेषताए

10. जीवन में सादगी की आवश्यकता और उपयोगिता

11. नारी समस्या का आध्यात्मिक हल

12. सन्त रैदास की साधना

13. चिन्ता में डूबे रहने से क्या फायदा

14. शारीरिक स्वच्छता की उपेक्षा न करे

15. हनुमान जी को पूजिए पर वैसे बनिए भी

16. कुरूप और फिसड्डी-ईसप

17. किसी से भी ईर्ष्या मत किया करें

18. मधु संचय

19. धर्मपत्नी के प्रति पति के कर्तव्य

20. शिक्षको का महान् उत्तरदायित्व

21. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना

22. अन्नमय कोश की साधना

23. मनोमय कोश का परिष्कार

24. प्राणमय कोश का अनावरण

25. विज्ञानमय कोश का जागरण


26. आनन्दमय कोश का आनन्द

27. पुस्तकालय को प्रणाम

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1964

1. प्रेम और कृतज्ञता का सौन्दर्य

2. आत्मा और परमात्मा का सम्बन्ध

3. प्रेम ही परमेश्वर है

4. भारतीय संस्कृति महान् हैं

5. अकेला चल अकेला

6. संयम की आवश्यकता

7. आत्म विश्वास की शक्ति

8. संघर्ष के समर्थक-परशुराम

9. आत्मनिरीक्षण से मानसोपचार

10. सत्य से बढ़कर और कुछ नहीं

11. विश्वकवि-रविन्द्रनाथ टैगोर

12. शान्ति और सन्तोष क्यों नहीं मिलते ?

13. दुर्बलता के पाप से बचिए

14. विश्व साहित्य के अमर निर्माता-टाल्सटाय

15. देश के लिए-समाज के लिए

16. विज्ञानवेत्ता-लियो जिलार्ड

17. धन्यों गृहस्थाश्रम

18. समय जरा भी बर्बाद मत होने दीजिए

19. क्रान्तिकारिणी-भीका जी कामा

20. खर्च करना भी सीखिए

21. बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाया जाय

22. छोटे-छोटे काम भी उपेक्षणीय नहीं

23. मधु संचय

24. युग निर्माण की प्रगति

25. स्वर्ग को चल पड़े स्वर्ग के देवता

अखण्ड ज्योति अगस्त 1964

1. अपने लिए नहीं, ईश्वर के लिए जिए

2. हमारा जीवन लक्ष्य-आत्मदर्शन

3. संसार की सर्वोपरि सम्पत्ति-ज्ञान

4. जीवन-सार्थकता की साधना-चरित्र

5. मंगल सोचिए, मंगल करिए

6. धर्मराज्य के प्रसार कर्ता-सम्राट अशोक

7. कर्मदेव का अपमान न करे

8. धर्म से ही मनुष्य का कल्याण सम्भव हैं

9. भय का कारण और निवारण

10. परम भागवत सन्त नामदेव

11. निर्धनता अभिशाप नहीं

12. वयोवृद्ध नवयुवक बेंजामिन फ्रेंकलिन

13. राजनीति धर्म पर आधारित हो

14. सभ्य समाज का स्वरूप और आधार

15. युग चारण-एलेक्जेण्डर पुश्किन

16. बात-बात पर उद्विग्न न हों

17. खाते समय यह भी ध्यान रखे

18. स्त्री-शिक्षा की अनिवार्य आवश्यकता

19. राष्ट्र-भाषा के अमर शिल्पी-महावीर प्रसाद द्विवेदी

20. बच्चे घर की पाठशाला में

21. स्वास्थ्य के लिए कोष्ठ शुद्धि की आवश्यकता

22. मधु संचय

23. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

अखण्ड ज्योति जुलाई 1964

1. प्रेम और परमेश्वर

2. सत्य का दर्शन

3. हम परमार्थ की साधना करे

4. सफलता आत्मविश्वासी को मिलती हैं

5. भागीरथ और उनकी भागीरथी

6. स्वार्थपरता एक अनैतिक मूर्खता

7. सावधान-समर्थ गुरू रामदास

8. काम से जी न चुराये

9. क्रोध आवश्यक भी हैं

10. जापान के गांधी

11. मातृ ऋण भुलाया न जाये

12. मनोविकारों का शरीर पर प्रभाव

13. सच्चे पादरी-जार्जेज पियरे

14. मित्रता क्यों और कैसे ?

15. हिन्दू संस्कृति के सच्चे सेवक-राजा राम मोहन राय

16. भ्रष्टाचार कैसे दूर किया जाय

17. बच्चे अपराधी क्यों बनते हैं ?

18. जमीला, जमीला, जमीला

19. धन का उपार्जन और सदुपयोग

20. तुलसी का उपयोग कीजिए

21. अपने दोषों को भी देखा कीजिए

22. मधु संचय

23. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

अखण्ड ज्योति जून 1964

1. महात्मा-महान् आत्मा वाला पुरूष

2. आत्म-बल कैसे बढ़े ?

3. श्रद्धा ही जीवन हैं

4. त्याग करे, पर किसका

5. दया, धर्म का मूल

6. सच्ची ईश्वर भक्ति का आधार

7. हम चरित्र को महत्व दे

8. अन्धकार में प्रकाश उत्पन्न करने वाले-शंकराचार्य

9. सामूहिक चेतना की आवश्यकता

10. युग दृष्टा-राजर्षि गोखले

11. जन-संख्या वृद्धि की समस्या

12. करूणामूर्ति माता टेरीजा

13. वर्ण व्यवस्थता का स्वरूप और लक्ष्य

14. आश्रम धर्म की उपयोगिता और आवश्यकता

15. आदर्श और संकल्प के प्रतीक-महर्षि कर्वे

16. नारी की महानता को समझे

17. सच्चे पुरोहित-रविशंकर महाराज

18. बढ़ते हुए बाल अपराध

19. अन्ध दम्पति-नैमेथ

20. सन्त-समागम

21. हम सेवा-भावी बने

22. मधु-संचय

23. अन्ध विश्वास का इन्द्रजाल

24. जीवेम् शरदः शतम्

25. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना

26. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

27. बुझता दीपक

अखण्ड ज्योति मई 1964

1. धर्म प्रसार का प्रमुख आधार

2. आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप

3. जीवन और उसका सदुपयोग

4. पुण्य निस्वार्थ भाव से किया जाय

5. विचार ही जीवन की आधार शिला हैं

6. जीवन में शिष्टाचार की आवश्यकता

7. हमी अपने भाग्य का निर्माण करते हैं

8. भाव उत्कृष्टता से पूर्णता की प्राप्ति

9. आदर्श धर्मोपदेशक एचिले

10. सन्त-समागम

11. जैसा अन्न वैसा मन

12. सफलता के सूत्र

13. मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारे

14. अकारण दुखी रहने की आदत

15. हम भी क्रियाकुशल क्यों न बने ?

16. विरोधियों की उपेक्षा कीजिए

17. नास्तिक नित्से

18. कन्या की उपेक्षा न हो

19. पुत्र और कन्या की तुलना

20. स्वास्थ्य के लिए उपवास का प्रयोग

21. आधुनिक स्त्री शिक्षा की कुछ त्रुटिया

22. धूम्रपान की सत्यानाशी आदत

23. मधु-संचय

24. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

25. माँ की लोरी

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1964

1. अध्यात्म और प्रेम

2. अन्तरात्मा की सच्ची प्रार्थना

3. उपासना बिना कल्याण नहीं

4. आत्मा की पुकार अनसुनी न करे

5. भौतिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण

6. सहिष्णुता-सुखी जीवन का सम्बल

7. आपत्तियों से डरिये नहीं-लडिए

8. शक्तियों का अपव्यय रोका जाय

9. कठिनाइयां आपकी सहायक भी तो हैं

10. दान की सार्थकता

11. सन्त-समागम

12. हमें पाश्चात्यों से भी कुछ सीखना हैं

13. प्रगतिशील विद्यासागर

14. कृपया बहुत झूंठ न बोला कीजिए

15. काम करने का सही तरीका

16. दासी का पुत्र-जार्ज कार्वर

17. महत्वाकांक्षाओं का पागलपन

18. दाम्पत्य जीवन और प्रेम

19. स्वास्थ्य की उपेक्षा न करे

20. सामाजिक क्रान्ति और उसका आधार

21. मधु-संचय

22. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना

23. भव्य समाज की नव्य रचना

24. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

25. शास्त्र-मन्थन का नवनीत

26. नर की परख

अखण्ड ज्योति मार्च 1964

1. भगवान की कृपा या अकृपा

2. हमारा अन्तःकरण पवित्र बने

3. धर्म का पालन करने से ही समाज का कल्याण हैं

4. जीवन सार्थकता की साधना

5. जिन्दगी कैसे जियें ?

6. दुःख से छुटकारा कैसे मिले ?

7. सहयोग भावना मानवता की प्रतीक हैं

8. अपने को जीतने वाला ही विश्व विजयी हैं

9. सद्ज्ञान और जीवन लाभ

10. युग बदल रहा हैं-बदलेगा

11. प्रगति के दो अमोघ साधन

12. सन्त समागम

13. हम आशावादी बने

14. महान् अन्वेषक माइकल फैरेडे

15. पतिव्रत धर्म की गरिमा

16. पत्नीव्रत धर्म की आवश्यकता

17. आहार में सात्विकता की आवश्यकता

18. हमारी हानिकारक रूढि़याँ

19. मधु संचय

20. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना

21. भव्य समाज की नव्य रचना

22. युग-निर्माण आन्दोलन की प्रगति

23. श्रद्धा को अखण्ड ही रखा जाय

24. मैं अनन्त पथ का राही हूँ

अखण्ड ज्योति फरवरी 1964

1. देने से ही मिलेगा

2. ज्ञान का महत्व समझिए

3. अन्दर और भीतर की पवित्रता

4. वाक्शक्ति का दुरूपयोग न करे

5. इच्छा शक्ति की प्रचण्ड क्षमता

6. हम एकता की ओर बढ़े

7. धन का उपार्जन एवं उपयोग

8. सच्चे वेदान्ती-स्वामी रामतीर्थ

9. हमारा हर कार्य विवेकपूर्ण हो ?

10. पति और पत्नी का सम्बन्ध

11. युग परिवर्तन निकट ही है

12. साहसी बुंचे

13. सन्त-समागम

14. हमारे समाज में नारी की स्थिति

15. वयोवृद्ध और उनका आदेश

16. हमारी संकीर्णताजन्य दुष्प्रवृत्ति

17. जुआ समाज का बड़ा शत्रु हैं

18. मधु संचय

19. उद्धरेदात्मनाऽत्मानम्

20. आत्मशोधन-अध्यात्म का श्रीगणेश

21. गायत्री की उच्चस्तरीय साधना

22. जीवन सार्थकता की साधना

23. भव्य समाज की नव्य रचना

24. इसका उन्मूलन इस प्रकार होगा

25. प्रगतिशील जातीय संगठनों की आवश्यकता

26. अखण्ड ज्योति की रजत जयन्ती

27. श्रद्धा अभिव्यक्ति की कसौटी

28. मैं अनन्त पथ का राही हूँ

अखण्ड ज्योति जनवरी 1964

1. तप से ही कल्याण होगा

2. कर्म का ब्रह्मापर्ण

3. सुख और दुःख क्या हैं ?

4. अनुशासन का उल्लंघन न करे

5. हम शक्तिशाली भी तो बने

6. प्रभावशाली व्यक्तित्व यों बनता हैं

7. परिश्रमी बनिए, ऊचें उठिए

8. कठिनाइयों का भी स्वागत कीजिए

9. इस जल्दबाजी से क्या फायदा

10. आज के काम को कल पर मत टालिए

11. स्वस्थ रहने के लिए विश्राम कीजिए

12. काना कुरूप-सेम्यूअल जानसन

13. वाणी का व्यभिचार रोका जाय

14. मित्रता की आवश्यकता और उसका पोषण

15. परस्पर सहयोग से ही प्रगति होगी

16. अश्लीलता और कामुकता का अभिशाप

17. गृहस्थ की दुर्दशा का महत्वपूर्ण कारण

18. सन्तान-पालन की शिक्षा चाहिए

19. अन्ध विश्वास और ठगी की व्याधि

20. उद्धरेदात्मनाऽत्मानम्

21. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना

22. अखण्ड ज्योति की रजत जयन्ती

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1963

1. भिक्षुक का पश्चाताप

2. आत्म-समर्पण द्वारा प्रभु प्राप्ति

3. हम निष्पाप बने

4. जीवन की सफलता का आधार

5. आत्म-विश्वास की प्रबल शक्ति

6. विचार ही जीवन का निर्माण करते हैं

7. आन्तरिक दुर्बलता की निशानी-उत्तेजना

8. उदारमना-अब्राहम लिंकन

9. नैतिक मर्यादाओं का उल्लंघन न करे

10. पीडि़तों की उपेक्षा मत कीजिए

11. सहयोग की आवश्यकता

12. भारतीय नारिया और पश्चिमी सभ्यता

13. जीवन का लक्ष्य क्षुद्र नहीं-महान् रहे

14. दाम्पत्य जीवन की असफलता का मूल कारण

15. परस्पर स्नेह सम्बन्धों का निर्वाह

16. थकावट और कमजोरी क्यों ?

17. क्या दण्ड से बच्चे सुधरते हैं ?

18. क्या सन्तानहीन होना दुर्भाग्य हैं ?

19. आतिथ्य-धर्मके आधार

20. दावतें, मृतक-भोज और झूंठन छोड़ना

21. मधु-संचय

22. अखण्ड ज्योति की रजत जयंति

23. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना

24. अखण्ड ज्योति के ग्राहकों को आवश्यक सूचनाये

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1963

1. देने से ही मिलता

2. आत्मा को जानिए

3. जीवन में सामन्जस्य पैदा कीजिए

4. जीवन को आनन्दित रखने वाला कर्मयोग

5. परमार्थ भावनाए टालिए मत

6. अनुशासन में रहा कीजिए

7. विचार शक्ति और उसका उपयोग

8. सत्पुरूषों के सत्संग की महत्ता

9. मानव सेवा मे व्रतधारी-स्वामी विवेकानन्द

10. मत असन्तुष्ट रहिए, मत खिन्न हूजिए

11. सफलता का आधार-तत्परता

12. दत्तात्रेय के 24 गुरू

13. स्त्री की हीनता समस्त समाज को हीन बनाती हैं

14. गृहस्थ जीवन की शिक्षा

15. सच्चरित्रता संसार की सर्वोपरि सम्पत्ति हैं

16. बालकों की शिक्षा में चरित्र निर्माण का स्थान

17. वार्तालाप और व्यवहार में यह भी ध्यान रखिए

18. अन्धी, बहरी, गूंगी केलर

19. पेट खराब करने वाली बुरी आदतें

20. मांसाहार स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हैं

21. मधु संचय

22. क्या सन्तान न होना दुर्भाग्य हैं

23. भीरूताग्रस्त सिंह

24. नशा बहुत बड़ा दुर्व्यसन हैं

25. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना

26. युग-निर्माण आन्दोलन की प्रगति

27. अखण्ड ज्योति के पाठकों से दो आवश्यक परामर्श

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1963

1. विचारों का अवतार

2. आत्मा की प्रार्थना

3. त्याग से जीवन मुक्ति

4. कामना और वासना का संतुलित स्वरूप

5. बाहर नहीं, भीतर भी देखे

6. समाज के साथ ही व्यक्ति का उत्कर्ष सधेगा

7. कर्मों का सामूहिक फल

8. भारत के महापुरूष-निस्पृह जनसेवक गोस्वामी गणेशदत्त जी

9. कठिनाइयों से डरिये मत

10. महापुरूषों के अभिवचन

11. धैर्य रखिये-उतावली मत कीजिए

12. हँसिये और जीवन को मधुमय बनाइये

13. स्वाध्याय सन्दोह-महानता सज्जनता में सन्निहित हैं

14. जीवन की छोटी किन्तु महत्वपूर्ण बातें

15. शास्त्र चर्चा-ज्ञान की महत्ता

16. बात करने से पूर्व इन बातों को समझिए

17. दाम्पत्य जीवन की सफलता

18. बुढ़ापा प्रगति में बाधक नहीं

19. स्वास्थ्य कैसे ठीक रखें

20. बच्चों का पालन-पोषण कैसे करें

21. विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या

22. गायत्री की उच्चस्तरीय साधना-प्राणायाम कोश का जागरण

23. नाड़ी शोधन प्राणायाम

24. शक्ति संचार का साधना क्रम

25. मधु संचय

26. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

27. तेरे गीत सदा गाऊँगा (कविता)


अखण्ड ज्योति सितम्बर 1963

1. जड़े गहरी जानी चाहिए

2. आस्तिकता की आवश्यकता

3. प्रेम और उसकी शक्ति

4. अनधिकार चेष्टा

5. भारतीय संस्कृति का स्वरूप

6. दैवी विधान और मनुष्य की स्थिति

7. कठिनाइयाँ क्या हैं ?

8. कर्मयोग की अनिवार्य आवश्यकता

9. पापमूल-अभिमान

10. जीवित मृत्यु देने वाला-आलस्य

11. नारी जाति के उद्धारक-ईश्वर चन्द विद्यासागर

12. भाग्यवाद से हमारा अहित होगा

13. श्रद्धा और विद्या

14. अनन्त वत्सला नारी और उसकी महत्ता

15. बुढ़ापे में हीनता न आने दे

16. मन का निग्रह

17. पारिवारिक जीवन और सामाजिक जीवन

18. साधनहीन सत्य का शक्तिशाली असत्य से संघर्ष

19. हम दीर्घजीवी क्यों नही बन पाते

20. बच्चों में अच्छी आदतें पैदा कीजिए

21. मधु-संचय

22. गायत्री की पंचकोशी साधना

23. अन्नमय कोश का अनावरण

24. मनोमय कोश का परिष्कार

25. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

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