एक नई-नवेली बहू ने देखा कि उसकी सास अपनी सास को भोजन में सूखी रोटियाँ, ठण्डी सब्जी और बासी दाल परोस रही हैं। वह रोटियों को उलट-पुलट कर देखने लगी। सासु ने पूछा- यह क्या कर रही हो ? बहू ने कहा- मेरी मम्मी ने कहा था कि ससुराल जाकर वहाँ के रीति-रिवाज समझना और वैसा ही करना इसलिए मैं देख रही हूँ कि सास को कैसा भोजन परोसा जाता हैं ताकि मैं भी वैसा ही कर सकूं। तो क्या तुम मुझे भी ऐसा भोजन खिलाओगी ? सासु ने पूछा। बहू ने कहा- मैं तो केवल यहाँ के रिवाजों का पालन करूंगी। यह सुनते ही सासु की आँखे खुल गई और उसने गलत व्यवहार करना छोड़ दिया।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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