मंगलवार, 14 सितंबर 2010

क्या करें कामयाबी के लिए - श्री चन्द्र प्रभ जी - 4


1. समस्याओं के कांटो को उगने से तो हम नहीं रोक सकते, पर बेहतर नजरिया और सकारात्मक सोच को अपना कर फूलों की तरह फिर भी खिले हुए तो रह ही सकते हैं।
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2. जीवन में बाधा इसलिये महसूस हो रही हैं क्योंकि आपने आत्मविश्वास का दामन छोड़ दिया।

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3. हो सके तो अपना मनपसन्द काम कीजिये, नही तो जो कर रहे हैं, उसे ही मनपसन्द बना लीजिये। 

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4. चिन्ता मत पालिये, जिसने जन्म दिया हैं, उसने मां के आँचल में दूध भी भरा हैं। 

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5. खोये का रोना क्या ? जो आया नहीं हैं उसका सोचना क्या ? जो हैं, उसे कुदरत की व्यवस्था मानकर सुख शान्ति से जिये।

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6. अपने से बड़ों को प्रणाम अवश्य कीजिये, आपके लिए आर्शीवादों का खजाना खुल जायेगा। 

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7. सुस्ती का त्याग कीजिये, वरना आप सुस्ती में ही व्यस्त रह जायेंगे। 

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8. जो आपके मन की शान्ति और सन्तुलन को विचलित करे, उस बात को न सुनिये, न देखिये, न बोलिये। 

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9. स्वयं को स्वार्थ, संकोच और अन्धविश्वास के डिब्बे से बाहर निकालिये, आपके लिये ज्ञान और विकास के नित-नवीन द्वार खुलते जायेंगे। 

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10. दुनिया की सबसे अच्छी तस्वीर भी यदि कैमरे में पड़ी रह जाये, तो उसकी सार्थकता नहीं हैं। 

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11. एक कहता हैं-‘पौधे पर कांटे लगे हैं’, दूसरा कहता है-‘पौधे पर कलियां फूट आयी हैं’। दोनो के नजरिये में क्या फर्क हैं ? समझिये और अपना नजरिया ठीक कीजिये। 

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12. अपनी मेहनत का फल पाने के लिए बैचेन मत होइये, वरना पक रहे फलों को पाने से वंचित रह जायेंगे। 

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13. आपकी जेब में अगर माचिस की तीली हैं, तो याद रखिये कि आग आपके पास हैं। 

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14. अगर आप चुप रहेंगे, तो आपको पछताना नहीं पड़ेगा। 

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15. अपनी खुशियों को दूसरों के साथ बांटना, खुशियों को बढ़ाने का सबसे सरल तरीका हैं। 

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16. नाकामयाबी के कारण निराश मत होइये, उसने आपको सम्भल कर चलने की प्रेरणा दी हैं। 

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17. पिछले बीस सालों का निरीक्षण कीजिये। हो सकता हैं आपको अपने जीवन से ही कोई अच्छी प्रेरणा मिल जाये। 

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18. किसी के कड़वे वचन को सहना अच्छी बात हैं, पर उसे माफ कर देना आपकी महानता हैं। 

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19. धीरज रखिये ! भले ही धैर्य का स्वाद कड़वा हो, पर इसका फल मीठा ही होता हैं। 

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20. अगर आप दुःखों से मुक्त रहना चाहते हैं, तो स्वयं को सदा व्यस्त रखिये। 

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21. सफलता के रास्ते पर चलने के लिए उन बारूदी सुरंगो से बचिये जिन्हें दूसरे शब्दों में गुस्सा, बेईमानी और अनादर कहते हैं। 

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22. पे्रम सबसे कीजिये, विश्वास कुछ पर कीजिये, पर बुरा किसी का भी मत कीजिये। 

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23. किसी के बुरा-भला कहे जाने के बावजूद आपका सहज-सौम्य रहना संतुलित मन की निशानी हैं। 

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24. निराश मत होइये, फिर से प्रयत्न कीजिये, ईश्वर आपके साथ हैं।

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सोमवार, 13 सितंबर 2010

क्रोध का परिवार

क्रोध का अपना पूरा खानदान हैं। 
क्रोध की माँ का नाम उपेक्षा हैं और पत्नी का नाम हिंसा हैं। 
उसकी छोटी बहिन जिद हैं।
क्रोध का पिता अहंकार हैं। अहंकार से ही क्रोध का जन्म होता हैं। 
क्रोध के बेटे का नाम भय हैं। क्रोधी से सभी डरते हैं। क्रोधी से सभी परहेज रखते हैं। क्योंकि वह भय का ही बाप हैं। 
क्रोध की दो बेटिया भी हैं - निन्दा और चुगली। 
निन्दा मुँह के पास रहती हैं तो चुगली कान के पास। 
निन्दा मुहं की गोद में रहने वाली बेटी हैं तो चुगली कान की गोद में। 
क्रोध के बदमाश बेटों में एक बेटा बड़ा नकटा हैं और उसका नाम वैर-विरोध हैं। 
यह बेटा दो पत्नियों से एक साथ शादी करता हैं। एक पत्नी से इसका मन नहीं धापता।
इसे एक साथ दो-दो पत्नियाँ चाहिये। एक दांयी ओर, एक बांयी ओर। 
ये दो पत्निया क्रोध के घर की दो बहुए हैं। 
इनका नाम हैं - ईर्ष्या और घृणा। 
क्रोध के घर में आने वालों का यही दो बहुए अभिवादन करती हैं। 
जब देखो तब नाक-भौंह सिकोड़ती रहती हैं। 
इनके अभिवादन की यही तकनीक हैं। 
ससुरे क्रोध ने इन्हें यही सब समझाया हैं। 

साभार 
कैसे पायें मन कि शांति - श्री चन्द्रप्रभ जी 

रविवार, 12 सितंबर 2010

क्या करें कामयाबी के लिए - श्री चन्द्र प्रभ जी - 3

1. मुश्किलों में भी मुस्कराना मत भूलिये। किसी भी कार्य को करने से पहले मुस्कराना उस कार्य के श्रीगणेश करने का सबसे अच्छा तरीका हैं। 
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2. रात-रात भर जगकर पढ़ाई करने वालो के बजाय वे लोग अधिक सफल होते हैं जो प्रतिदिन कुछ घण्टे ही सही, पर वर्षभर नियमित अभ्यास करते रहे हैं।

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3. यदि आप अपनी सोच और नजरियो को हमेशा सकारात्मक रखते हैं, तो कहा जायेगा कि आपको जीने की कला आ गई हैं। 

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4. दूसरों की मदद कीजिये, वे स्वतः आपके मददगार बन जायेंगे।

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5. जीते जी आप जिनके न हो पाये, कम से कम मरते वक्त तो उनके जरूर हो जाये।

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6. ओठों से हॅंसना अच्छी बात हैं, आखो से हॅंसना उससे भी अच्छी बात हैं, पर यदि आप दातो से ज्यादा हॅंसते हैं, तो उस पर अंकुश लगाना ही बेहतर हैं।

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7. सावधान ! आपकी थोड़ी सी असावधानी आपके लिए कई मुसीबतों के पहाड़ खड़ी कर सकती हैं।

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8. विनोद नमक की तरह हैं, उसे भोजन मत बनाइये।

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9. आवश्यकता को इतना मत बढ़ाइये कि वे द्रोपदी का चीर बन जाये।

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10. आप पढ़-लिख गये कि तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप अपने पूवर्जों को मूर्ख समझे। आने वाली पीढ़ी आपको भी मूर्ख समझने की परम्परा दोहरायेगी।

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11. आप कुछ भी करे, पर ईश्वर के अनुग्रह को कभी न भूले। 

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12. अपने दाये हाथ का नाम रखिये-‘शुभ लाभ’, और बाये हाथ का नाम रखिये-‘शुभ खर्च’। फिर दोनो का उपयोग करते रहिये, आपको आध्यात्मिक खुशी मिलेगी।

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13. आपके पास दो रूपये हैं, तो एक से रोटी खरीदिये और दूसरे से अच्छी किताब। रोटी आपको जीवन देगी और किताब आपको जीने की कला।

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14. औरों से वैसी अपेक्षा मत रखिये, जैसी आप अपने आप से रखते हैं, वरना झुन्झुलाहट पैदा होगी।

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15. र्धर्य और शान्ति रखिये, विशेष रूप से उस समय जब कोई नाराज होकर आपके बुरा-भला कहने लगे।

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16. झगड़े को खतम करने की तत्काल औषधि हैं, कहिये-‘क्षमा कीजिये’।

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17. परिवर्तन से मत डरिये, वरना आप नई प्रगति से वंचित रह जायेंगे।

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18. सावधान ! फिसलते पावों को सम्हाला जा सकता हैं, पर जुबान फिसल जाये तो गहरा जख्म कर देती हैं।

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19. गलत रास्ते पर कदम बढ़ भी चुके हैं, तो सम्हल जायें। भोर का भटका शाम को लौट आये, तो उसे भटका नहीं कहते है।

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20. असफल होने पर भाग्य को कोसने की बजाय यह देखिये कि प्रबन्धन कहा कमजोर रहा।

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21. इससे पहले कि कल आप पर काम का अतिरिक्त बोझ बढ़े, आप उसे आज ही करना शुरू कर दीजिये।

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22. तीन काम अवश्य कीजिये- बचपन में ज्ञान का अर्जन, जवानी में धन का अर्जन, बुढ़ापे में पुण्य का अर्जन।

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23. मेहनत से मत कतराइये, विकास के शिखरों तक पहुचने का वही रास्ता हैं।

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24. आशा को अपनी सहेली बनाइये और उत्साह को अपना मित्र। इन्हें साथ लीजिये और मन्जिल तय कीजिये। 

क्या करें कामयाबी के लिए - श्री चन्द्र प्रभ जी - 2

1. हर सुबह की शुरूआत प्रसन्न मन के साथ कीजिये। आपका पूरा दिन उत्साह और ऊर्जा से भरा रहेगा। 
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2. संकल्प लीजिये-जो गलती आपसे कल हुई, उसे आप आज नहीं दोहरायेंगे। 

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3. धीरज रखिये। आपका सिर माचिस की तीली नहीं हैं कि छोटी सी रगड़ लगते ही सुलग उठे। 

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4. सबसे अच्छी सलाह वही हैं, जो आपको आपकी अन्तरात्मा से मिले।

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5. एक धर्म ऐसा कीजिये कि किसी रोते हुए अनाथ बच्चे के चेहरे पर मुस्कान फूल खिलाइये। 

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6. अपने व्यवहार को जादू की छड़ी बनाइये कि जहा भी चले, अपना करिश्मा दिखाये। 

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7. दूसरे के गुस्से को अपने पर मत लादिये, नही तो उसकी चिन्गारी आपकी शान्ति को आग लगा देगी। 

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8. बुढ़ापे की स्वस्थता के लिए व्यायाम कीजिये, सुरक्षा के लिए धन की बचत कीजिये और मधुरता के लिए पोते-पोतियों से प्यार कीजिये। 

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9. दूसरों के दुःख-दर्द को देखकर अगर आपके आसू छलक आये, तो आप उन्हें अपने अन्र्तमन का मोती समझिये। 

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10. गिरने को गिरना न समझे, इस बहाने ही सही, आप सम्हलना सीख पाये। 

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11. अपने सिरहाने दो अच्छी पुस्तकें रखिये और सोने से पहले दो पन्ने ही सही पढ़ने की आदत अवश्य डालिये।

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12. झगड़े की आग अभी बुझ जायेगी, बशर्ते आप उसे हवा ना दे। 

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13. याद रखिये, कछुआ अपनी रफ्तार के कारण नहीं जीतता, वरन् लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठता ही उसकी सफलता का राज हैं। 

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14. सफलता के लिए इच्छा शक्ति चाहिये और इच्छा शक्ति के लिए उत्साह। उत्साह से किया गया हर कार्य सफलता के शिखर की ओर ले जाता हैं। 

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15. किसी शान्त और विनम्र व्यक्ति से अपनी तुलना करके देखिये, आपको लगेगा कि आपका घमण्ड निश्चय ही त्यागने जैसा हैं। 

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16. उस पाप से बचिये, जिसके चलते आप एक अनजाने भय से घिरे रहते हैं।

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17. प्रकृति के आप जितना करीब रहेंगे, उतने ही स्वस्थ और सुखी रह सकेंगे। 

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18. बच्चों से यह कहलवाने के लिए ही ‘पापा, आप कितने अच्छे हैं’, आप भी कहें, ‘बेटा, तुम बहुत अच्छे हो।’

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19. खाकर नहीं, खिलाकर खुश होइये। आटा डिब्बे में रखने के लिए नहीं, उपयोग करने के लिए होता हैं। 

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20. स्वयं को सदा सकारात्मक ढंग से सोचने का टीका लगाइये, आप अनेक संघर्षो और मनोविकारों से बचे रहेंगे। 

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21. यदि आप बीमार हैं, तो आराम कीजिये और यदि स्वस्थ है, तो आराम को हराम समझिये। 

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22. वृद्ध, विकलांग और अनाथ इन तीनों का सहयोग कीजिये। ये आपकी सेवा के प्रथम अधिकारी हैं। 

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23. अपने पास इतना सत्य तो अवश्य रखिये कि आपको कोई दो मुहा इन्सान न कहें। 

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24. झूठ तभी बोलिये, जब सच खतरे में पड़ा हो। 

क्या करें कामयाबी के लिए - श्री चन्द्र प्रभ जी - 1

1. आज को इस तरह जिएं कि वह कल के लिए यादगार बन जाये। 
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2. बड़े काम की तलाश करते रहने के बजाय छोटे काम ही सही, शुरू कर दीजिये। 

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3. हर समय इतने व्यस्त रहिये कि चिन्ता करने की फुरसत ही ना मिले।

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4. गुलाब की तरह महकना हैं, तो पहले चिराग की तरह जलना सीखिये। 

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5. योजना धैर्य से बनाइये और काम पूरी गति से कीजिये। 

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6. अपने नजरिये को इतना बेहतर बनाइये कि हमेशा आधे भरे हुए गिलास पर ही नजर जाये। 

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7. सावधान ! एक मिनट का गुस्सा भी आपकी स्मरण शक्ति के दसवें हिस्से को नष्ट कर सकता हैं। 

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8. जो काम रूमाल से निपट सकता हो उसके लिए रिवोल्वर का उपयोग मत कीजिये। 

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9. समाधान के लिए प्रयत्न कीजिये, वरना आप स्वयं ही समस्या बन जायेंगे। 

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10. स्वर्ग के रास्ते पर कदम बढ़ाने के लिए अपना स्वभाव अच्छा बनाइये। गन्दे स्वभाव से देवता तो क्या, आपके पड़ोसी भी नफरत करते हैं। 

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11. जितने लोगों को आप साथ लेकर चलेंगे, आपकी शक्ति उतनी ही बढ़ेगी।

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12. स्वयं के उस कछुए की तरह बनाइये जो भले ही धीमे चले, पर लगातार लक्ष्य की ओर बढ़ता ही रहे। 

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13. जीवन की गाड़ी में विनम्रता का ग्रीस लगाइये, गाड़ी बड़े आराम से चलेगी।

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14. कोशिश अगर तबियत से करे तो छोटा सा पत्थर भी आसमान में छेद कर सकता हैं। 

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15. अपना कार्य इस तरह से कीजिये कि वह आपकी पहचान बन जाये। 

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16. चार बार भोजन करने से आप जितनी ऊर्जा प्राप्त करते हैं, एक बार क्रोध करने से वह नष्ट हो जाती हैं। 

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17. गिरते हुए को टेका दीजिये, गिराने के लिए टक्कर नही। 

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18. आप बेसहारों का सहारा बनिये, आपको सहारा अपने आप मिल जायेगा।

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19. कामयाबी के दरवाजे उन्हीं के लिए खुला करते हैं जो उन्हें खोलने के लिए खटखटाया करते हैं। 

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20. अवसाद से बचने की सर्वश्रेष्ठ औषधि हैं-हर समय प्रसन्न रहिये। 

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21. एक समय में एक ही काम कीजिये, ताकि वह पूरी एकाग्रता से सम्पन्न हो सके। 

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22. किनारों को बदलना चाहते हैं, तो अपनी कश्ती का रूख बदलिये। 

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23. जिस बिन्दू पर आप सोच सकते हैं, ध्यान रखिये, आप उसे पूरा भी कर सकते हैं। 

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24. जो बात आपने गुस्से और तैश में आकर कही, काश वही आप प्रेम और शान्ति से प्रकट कर देते, तो इस तरह पछताना न पड़ता। 

रविवार, 5 सितंबर 2010

दिनचर्या के सूत्र


हर मानव को प्रतिदिन अपनी दिनचर्या बनाकर उसके अनुसार उसे पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिये।

1. पिछले दिन का कोई कार्य बाकी रह गया हो तो उसे अगले दिन पूर्ण करना चाहिये।
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2. मानसिक शान्ति कायम रखनी चाहिये और संतोष धारण कर निद्रा लेनी चाहिये। आलस्य में सोना बन्द करे। जागने पर तुरंत उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नित्य प्रभु स्मरण करके अपने जीविकोपार्जना-कार्य का शुभारम्भ करना चाहिये।
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3. स्वयं के शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक कर्तव्यों का बोध कर उनके पालन में रही कमी का ज्ञानकर उनकी पूर्ति हेतु समय निकालने की व्यवस्था करनी चाहिये। 
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4. सामाजिक कार्य जो सहज में किया जा सकता हैं उसे करने का प्रयास करना चाहिये एवं धीरे-धीरे दायरा बढ़ाना चाहिये।
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5. पारिवारिक सम्बन्धों को निभाने हेतु समय देना चाहिये।
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6. आगन्तुकों की शंका का समाधान कर उनके सुख-शान्ति की कामना रखते हुए उनके चाहने पर सुझाव भी देना चाहिये।
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7. सोने से पूर्व दिनचर्या अनुसार कार्य पूर्ति हुई या नहीं इस पर मनन करना चाहिये तथा अधुरे कार्यों की पूर्ति हेतु सजग होकर कार्य में जुटना चहिये।
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8. समय के दुरूपयोग से बचना चाहिये। यदि समय का दुरूपयोग हुआ हो तो प्रायश्चित करना चाहिये।
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9. मृत्यु निश्चित हैं, इसका ध्यान रखते हुए प्राकृतिक एवं भौतिक साधनों का उपयोग सीमित रखने का प्रयास रखना चाहिये। ‘‘जियो और जीने दो’’ की भावना हर वक्त कायम रखनी चाहिये। 
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कल्याण से साभार
                                                      आप भी युग निर्माण योजना में सहभागी बने।

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