रामप्रसाद बिस्मिल को ब्रिटिश सरकार ने फाँसी की सजा सुना दी। आज उनका अंतिम दिन था। जेलर ने उनको देखा तो आश्चर्य से कहा- अरे, तुम्हारी एक घंटे बाद तो फाँसी होने वाली हैं और तुम योगासन, कसरत, प्राणायाम कर रहे हो। क्या तुम्हें मौत से भय नहीं ? इसकी बजाय तो तुम भगवान को याद करो। बिस्मिल ने कहा- भगवान ने मुझे धरती पर स्वस्थ शरीर देकर भेजा था और मैं चाहता हूँ कि जब वापस भगवान के पास जाऊँ तो लटके चेहरे के साथ नहीं स्वस्थ शरीर के साथ जाऊँ।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
1 टिप्पणी:
sachmuch, aise krantikariyon aur shahidon ke karan hi hamara desh mahaan hai, humain apna kartavya karke unke rinn se urinn hone ka paryatan karna chahiye.
एक टिप्पणी भेजें