मंगलवार, 11 जनवरी 2011

जीवन में खिलाएँ, हँसी के फूल

1. हँसी टानिक की तरह हैं जो आपको ऊर्जावान बनाती हैं। यदि आप विपरीत परिस्थिति में अपनी हँसी को सुरक्षित रखते हैं तो इसका मतलब हैं क्रोध, चिंता, तनाव और अवसाद जैसी बीमारियाँ आपसे चार कोस दूर हैं।
---------
2. हँसने से ओंठ गुलाबी होते हैं और गाल सुहावने, जबकि रोने से ओंठ सूख जाते हैं और गाल मुरझा जाते हैं। ईश्वर ने इंसान को हँसने का जन्मजात गुण देकर सुन्दरता बढ़ाने का राज दे दिया है। 

---------
3. सदाबहार हँसी आपको उस लक्ष्य तक पहुँचा सकती हैं जिसे पाने के लिए लोग वनवासी और सन्यासी बनते हैं।

---------
4. हँसना और हँसाना एक चुनौति भरा कार्य हैं, जब ईश्वर ने अपन लोगों यह गुण दिया हैं तो फिर हँसने में हम कंजूसी क्यों बरतते हैं ?

---------
5. इंसान रोता हुआ भले ही पैदा हो, पर जीवन की धन्यता इसी में हैं कि वह हँसता हुआ धरती से जाए। हम हँसे और दुनिया रोए, यह कबीर की वाणी हैं। हम रोएँ और दुनिया हँसे यह जीते-जी मरने के समान हैं।

---------
6. दूसरों पर आप तो क्या, एक मूर्ख भी हँस सकता हैं, पर खुद पर हँसने वाले तो काई महर्षि ही होते है

---------
7. जब भी हँसे, दिल से हँसे। मन से हँसने वाले शरारती होते हैं और ओठों से हँसने वाले औपचारिक। हृदय से हँसने वाले ही आत्मा से हँस रहे होते हैं। 

---------
8. हँसमुख हंसान से मिलकर हर कोई प्रसन्न होता हैं। कोई भी इंसान न तो मुरझाए हुए फूल पसंद करता हैं, नही मुरझाए चेहरे।

---------
9. फोटो की सुन्दरता के लिए हर फोटोग्राफर का पहला सुझाव होता हैं- स्माइल प्लीज। काश ! इस सुझाव को हम 24 सों घंटों के लिए अपना ले तो बिना ब्यूटी पार्लर के ही हम सुंदरता की ऊँचाइयाँ छू सकते हैं।

---------
10. दिन मे कम-से-कम तीन बार खुलकर हँसिए। दिन में दस बार उन्मुक्त हँसी हँसने वाले जिंदगी में कभी डिप्रेशन और हार्ट-अटैक के शिकार नहीं हो सकते। 

---------
11. एक मिनट तक खुलकर हँसने से दिमाग की हर कोशिका का व्यायाम हो जाता हैं, वाणी में मिठास घुल जाती हैं और व्यवहार में मोहब्बत

---------
12. अपने दुकान-दफ्तर की चैखट पर कदम बाद में रखिए, पहले मुस्कुराकर अपना चेहरा ठीक कर लीजिए। हँसना ओर मुस्कुराना एक ऐसी संजीवनी हैं जो आपको हर हाल में स्वस्थ, प्रसन्न और मधुर रखती हैं।

---------
13. बिना किसी वजह के हँसना साहस का काम हैं, जबकि बिना वजह के रोना बेवकूफी का। अगर आप क्रोध, चिंता या तनाव से परेशान हैं तो हँसना शुरू कीजिए। प्रकाश जितना बटोरेंगे अंधेरा उतना ही दूर होता जाएगा।

---------
14. क्रोध, चिंता और ईष्र्या हमारी नैसर्गिक हँसी के शत्रु हैं। हर विपरीत बात को धैर्य और सहजता से लीजिए। शत्रुघ्न होकर ही आप सफलता की इबारत लिख सकते हैं।

---------
15. सुबह आँख खुलते ही अपने आप से पूछिए-सुखीराम बनना चाहते हो, या दुखीराम। मन जैसे ही जवाब दे सुखीराम, तो एक पल भी व्यर्थ मत जाने दीजिए। हँसिए और खुद को सुखीराम बना लीजिए

---------
साभार- संबोधि टाइम्स, संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

यह संकलन हमें श्री गोविन्द सोनी, सर्व शिक्षा अभियान, हुरड़ा से प्राप्त हुआ हैं। धन्यवाद। यदि आपके पास भी जनमानस का परिष्कार करने के लिए संकलन हो तो आप भी  हमें मेल द्वारा प्रेषित करें। उसे अपने इस ब्लाग में प्रकाशित किया जायेगा। आपका यह प्रयास ‘‘युग निर्माण योजना’’ के लिए महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
vedmatram@gmail.com

परिवार में रखिए संस्कार की कार

1. परिवार मे बैर-विरोध के कैंची नहीं, प्रेम और मोहब्बत के सुई-धागे की जरूरत हैं ताकि टूटते हुए रिश्तों को फिर से सांधा जा सके।
---------
2. हमें मालिक बनकर नहीं माली बनकर परिवार को सम्हालना चाहिए। माली उपवन के छोट-से-पौधे का ख्याल रखता हैं पर किसी पर मालिकाना हक नहीं जताता।

---------
3. बेटी को लक्ष्मी कहते हैं। पर बहु को गृहलक्ष्मी। लक्ष्मी आती हैं, वापस जाती भी हैं, पर गृहलक्ष्मी सदा घर में बनी रहे इस हेतु प्रेम का रस घोलते रहिए।

---------
4. मंदिर में हम आधा घंटा रहते हैं पर घर में हम 24 घंटे रहते हैं। अपने धर्म की शुरूआत घर से ही कीजिए। घर में मंदिर नहीं घर को ही मंदिर बना लजिए।

---------
5. दुनिया में दो लोगों को सबसे ज्यादा प्यार कीजिए- पहले वे जिन्होंने आपको जन्म दिया, दूसरे वे जिन्होंने आपके लिए जन्म लिया।

---------
6. बहु से राड़ मत कीजिए, उसका लाड कीजिए। ओछा नहीं अच्छा व्यवहार कीजिए, नही तो वक्त आने पर वह तुम्हारे पुत्र के साथ वनवास तो चली जाएगी पर यह कहकार कि इस सासू माँ के साथ रहने की बजाय वनवास में रहना ज्यादा अच्छा है। 

---------
7. बहुरानी ! अपनी सासू माँ को उतने वर्ष जरूर निभा लेना जितने वर्ष का उन्होंने तुम्हें पति दिया। सास से कभी जुदा मत होना क्योंकि यही वह महिला हैं जिसकी कोख में तुम्हारा सुहाग पला हैं।

---------
8. जिन मूर्तियों को हम बनाते हैं हम उनकी तो पूजा करते हैं, पर जिन्होंने हमें बनाया हम उन माता-पिता की पूजा क्यों नहीं करते

---------
9. परिवार में वह बड़ा नहीं जो उम्र में बड़ा हो या पैसा ज्यादा कमाता हो, परिवार में वह बड़ा हैं जो परिवार को एक रखने के लिए वक्त आने पर बड़प्पन दिखाता हैं।

---------
10. सास के कहे को बुरा मत मानिए। सास शक्कर की हो तब भी टक्कर तो मारती ही है।

---------
11. घर का स्वर्ग हैं भाई-भाई के बीच प्रेम और त्याग की भावना। घर का नरक हैं मनमुटाव और स्वार्थ की भावना।

---------
12. बच्चों को कार नहीं संस्कार की कार दीजिए इससे आपका गौरव बढ़ेगा और बच्चे बेहतर नागरिक बनेंगे।

---------
13. बुढ़ापे को विषाद नहीं प्रसाद बनाएँ। 21 के थे तो शादी की तैयारी की थी, पर 51 के होने पर शांति की तैयारी शरू कर दें। दादा बन जाएँ तो दादागिरी छोड़ दें और परदादा बन जाएँ तो दुनियादारी।

---------
14. परिवार में जब भी धन का बंटवारा हो तो अपने हिस्से में एक धन जरूर लेना वह हैं माता-पिता की सेवा। दूसरे धन तो धूप-छांव के खेल की तरह हैं, पर माता-पिता की सेवा इस जन्म में भी काम आएगी और अगले जन्म में भी

---------
15. परिवार में सदा मधुर वाणी का उपयोग कीजिए। कड़वे वचनों के तीर घाव कर देते हैं । याद रखिए। दीवार में कील ठोककर वापस निकाल भी दी जाए फिर भी निशान जरूर शेष रहता हैं।
---------
साभार- संबोधि टाइम्स, संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

यह संकलन हमें श्री सम्पत लाल काठेड़, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड रामपुरा-आगूँचा से प्राप्त हुआ हैं। धन्यवाद।
यदि आपके पास भी जनमानस का परिष्कार करने के लिए संकलन हो तो आप भी अपने नाम व शहर के नाम के साथ हमें मेल द्वारा प्रेषित करें। उसे अपने इस ब्लाग में प्रकाशित किया जायेगा।
आपका यह प्रयास ‘‘युग निर्माण योजना’’ के लिए महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
vedmatram@gmail.com

नजरिये को बनाइए पाजिटिव

1- इंसान का नजरिया उसके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। कोई देवता मुझे जादू की छड़ी दे और कहे कि तुम इससे क्या करोगे ? तो मेरा जवाब होगा, लोगों का नजरिया अच्छा बनाऊँगा।
--------------
2- सकारात्मक नजरिये के लोग विजयी टीम का हिस्सा होते हैं, और घटिया नजरिये के लोग टीम के हिस्से कर डालते हैं अच्छे नजरिये के लोग उसूलों पर अडिग रहते हैं बाकी छोटी-मोटी बातों पर समझौता कर लेते हैं। जबकि नकारात्मक नजरिये के लोग छोटी-मोटी बातों पर अडिग रहते हैं, उसूलों पर समझौता कर बैठते हैं

--------------
3- सकारात्मक नजरिये के लाभ हैं- 1. कार्य-क्षमता में वृद्धि, 2. मिल-जुलकर काम करने की उत्सुकता, 3. रिश्तों में बेहतरता, 4. तनाव से बचाव और 5. प्रभावी व्यक्तित्व तथा भाषा का विकास। वहीं नकारात्मक नजरिये के नुकसान हैं- 1. कड़वाहट, 2. नाराजगी, 3. लक्ष्यहीन जिंदगी, 4. सेहत खराब और 5. अपने तथा दूसरों के लिए तनाव।

--------------
4- हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी खोज यही हैं कि हम नजरिये को बेहतर बना सकते हैं। सकारात्मक नजरिये का व्यक्ति हमेशा समाधान का हिस्सा होता हैं, वहीं नकारात्मक नजरिये का व्यक्ति समस्या का हिस्सा होता हैं।

--------------
5- जीवन में स्मार्टनेस का मूल्य हैं, पर हर सफलता के पीछे स्मार्टनेस का मूल्य 30 प्रतिशत होता हैं, जबकि नजरिये का मूल्य 70 प्रतिशत

--------------
6- अपने नजरिये को सकारात्मक और उत्साहपूर्ण बनाए। नकारात्मक और उदासीन नजरिया घाटे का सौदा हैं दुकानदार को ग्राहक क्यों छोड़ जाते हैं- 1 प्रतिशत मृत्यु के कारण, 8 प्रतिशत दोस्ती के कारण, 9 प्रतिशत प्रतिस्पर्धा के कारण, 14 प्रतिशत चीज या काम से असंतुष्टि के कारण, पर 68 प्रतिशत उदासीन नजरिये के कारण। नजरिया अच्छा बनाइये, सफलता सौ गुनी होगी।

--------------
7- वातावरण हमारे नजरिये को प्रभावित करता हैं। वातावरण अच्छा हो तो मामूली कर्मचारी भी अच्छा काम करता हैं, माहौल घटिया हो तो अच्छा काम करने वाले की भी कार्य-क्षमता घट जाती हैं। 

--------------
8- शिक्षा हमारे नजरिये के विकास में मदद करती है। हम ऐसी शिक्षा लें जिससे कोरी किताबें न पढ़नी पड़े, बल्कि सही संस्कार भी अर्जित होए फार एटम और बी फार बम की बजाय ए फार एक्टिव और बी फार ब्रेव की शिक्षा ग्रहण करे।

--------------
9- हम बचपन में ही अच्छा नजरिया बनाने पर जोर दें। बचपन नींव की तरह हैं। बचपन से ही जिसकी सोच, वाणी व व्यवहार श्रेष्ठ होते हैं, वे जीवनभर श्रेष्ठतर परिणाम दिया करते है

--------------
10- अगर सपने में भी कोई अपराध हो जाए तो उसका प्रायश्चित करें, क्योंकि जो बात सपने में आई हैं, कल वह हमारे चरित्र का हिस्सा भी बन सकती हैं। 

--------------
11- हम अपनी सोच बदलें और हमेशा अच्छाई देखें। जो गलतियाँ ढूँढ़ने के आदी हैं वे स्वर्ग में भी चले जाएँ तब भी गलतियाँ ढूँढने से नहीं चूकते

--------------
12- हमेशा आधा गिलास भरा हुआ देखें। किसी के द्वारा किये गए अपमान को याद रखने की बजाय यह देखें कि यह अब तक मेरे कितना काम आया है। अहसानों और उपकारों को याद कर कृतज्ञ बनें, कृत्घ्न नही।

--------------
साभार- संबोधि टाइम्स, संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

यह संकलन हमें श्री शंकर लढ़ा, चार्टेड एकाउन्टेंट, इन्दोर से प्राप्त हुआ हैं। धन्यवाद।
यदि आपके पास भी जनमानस का परिष्कार करने के लिए संकलन हो तो आप भी अपने नाम व शहर के नाम के साथ हमें मेल द्वारा प्रेषित करें। उसे अपने इस ब्लाग में आपके नाम सहित प्रकाशित किया जायेगा।
आपका यह प्रयास ‘‘युग निर्माण योजना’’ के लिए महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
vedmatram@gmail.com

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin