एक शहर में दंगे छिड़ गए। संवेदनशील इलाके में एस.पी. पुलिस दल के साथ पहुँचा। एक गुस्साए युवक ने एस.पी. पर थूंक दिया। साथ चल रहे हवलदार ने युवक पर रिवाल्वर तान दी। एस.पी. ने रूमाल से चेहरा पौंछा और आगे बढ़ने लगा। हवलदार ने कहा- सर, इसने आप पर थूका हैं, इसे रिवाल्वर से मार देना चाहिए। एस.पी. ने कहा- ‘‘मेरे भाई ! जो काम रूमाल से निपट सकता हैं उसके लिए रिवाल्वर चलाने की कोई जरूरत नहीं हैं।’’
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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