राम ने वनवास जाने की घोषणा कर दी। लक्ष्मण दौड़ा-दौड़ा सुमित्रा के पास पहुँचा और कहा- माँ, मैं भी तुमसे एक वचन मांगना चाहता हूँ।, अगर थोड़ी भी देर हो गई तो मैं जीवन भर पछताता रहुँगा। माँ ने कहा- पहले ही कैकयी के वचनों के कारण पूरी अयोध्या उजड़ गई हैं, भला अब तू वचन मांगकर क्या करेगा ? लक्ष्मण ने कहा- माँ, मैं भी भैया-भाभी की सेवा में वनवास जाना चाहता हूँ। यह सुना तो सुमित्रा रो पड़ी। उसने लक्ष्मण को गले लगाते हुए कहा- बेटा, आज तुने यह वचन मांगकर मेरी और पूरे अयोध्या की लाज रख दी। जो भाई बेवक्त में भाई के काम न आए वह कैसा भाई !
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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