रविवार, 16 जनवरी 2011

जो भाई बेवक्त में भाई के काम न आए वह कैसा भाई !

राम ने वनवास जाने की घोषणा कर दी। लक्ष्मण दौड़ा-दौड़ा सुमित्रा के पास पहुँचा और कहा- माँ, मैं भी तुमसे एक वचन मांगना चाहता हूँ।, अगर थोड़ी भी देर हो गई तो मैं जीवन भर पछताता रहुँगा। माँ ने कहा- पहले ही कैकयी के वचनों के कारण पूरी अयोध्या उजड़ गई हैं, भला अब तू वचन मांगकर क्या करेगा ? लक्ष्मण ने कहा- माँ, मैं भी भैया-भाभी की सेवा में वनवास जाना चाहता हूँ। यह सुना तो सुमित्रा रो पड़ी। उसने लक्ष्मण को गले लगाते हुए कहा- बेटा, आज तुने यह वचन मांगकर मेरी और पूरे अयोध्या की लाज रख दी। जो भाई बेवक्त में भाई के काम न आए वह कैसा भाई !

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