सोमवार, 2 मई 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1951

1. ‘‘अखण्ड ज्योति’’ द्वारा प्रकाशित अमूल्य पुस्तकें।

2. जीवन जाग्रति की जय बोल !

3. गायत्री द्वारा पापों की निवृत्ति।

4. ईश्वर प्राप्त के लिए त्याग की आवश्यकता।

5. समाज का आधार वेदान्त।

6. हमारी सर्वश्रेष्ठ शक्ति।

7. दार्शनिक की योग्यता।

8. आस्तिकता से आत्म कल्याण।

9. सुख और सन्तोष का उद्गम केन्द्र।

10. मनुष्य जीवन का उद्देश्य।

11. हमारी आन्तरिक दुर्बलता।

12. स्त्री शिक्षा में सुधार की आवश्यकता।

13. दहेज की घातक प्रथा।

14. मानव-जीवन की विशालता।

15. वशीकरण की मनोवैज्ञानिक कुंजी।

16. गायत्री प्रसार की एक व्यापक योजना।

17. समस्त उलझनों का एक हल।

18. मधु-संचय।

19. गायत्री महाविद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न।

20. उनसे, उनकी याद मधुर हैं।

अखण्ड ज्योति जुलाई 1951

1. गायत्री अंक के पाठकों से निवेदन।

2. माता का यश गान।

3. गायत्री आन्दोलन का प्रयोजन।

4. अनेक समस्याओं का एक हल।

5. नारी प्रतिष्ठा का पुण्य आन्दोलन।

6. गुप्त शक्ति-भण्डार की कुंजी।

7. गायत्री उपासक श्री गोस्वामी जी महाराज।

8. एक ब्रह्मनिष्ठ तपस्वी।

9. नैष्ठिक गायत्री साधक।

10. हरि ओम् तत्सत्।

11. सुख शांति की दिव्य धारा।

12. पूजा प्रतिष्ठा का मँहगा सौदा।

13. महापुरूष उपजाने की खेती।

14. गायत्री महिमा का प्रत्यक्ष दर्शन।

15. मृत्यु से बापिसी।

16. कष्ट रहित महायात्रा।

17. आत्मिक स्फूरणा का प्रत्यक्ष प्रकाश।

18. गायत्री साधना में मेरी प्रवृत्ति।

19. यज्ञ आयोजन की पूर्ति।

20. गायत्री उपासना से काम विजय।

21. साधना के प्रारम्भिक अनुभव।

22. साधना के पथ पर।

23. तरण तारिणी माता।

24. गायत्री उपासना का प्रयोजन।

25. विद्या बुद्धि की प्रखरता।

26. बिछुड़े हुए बालक का पुर्नमिलन।

27. 20 वर्ष पुराने रोग से छुटकारा।

28. डाक्टरी बिलों से छुटकारा।

29. अशान्ति से शान्ति की ओर।

30. असफलता में सफलता की झांकी।

31. आश्चर्य जनक अनुभव।

32. सकाम से निष्काम साधना ओर।

33. गायत्री द्वारा सुसंति की प्राप्ति।

34. गई लक्ष्मी का पुनरागमन।

35. गायत्री सहस्त्र धारा-निर्झर की योजना।

36. गायत्री तीर्थ की आवश्यकता।

37. एक वर्ष में आत्मिक काया कल्प।

अखण्ड ज्योति जून 1951

1. अवसान की वेला।

2. गायत्री द्वारा सम्पूर्ण दुखों का निवारण।

3. अविद्या डाकिनी से बच भागो।

4. ईश्वर की उपासना।

5. ईश्वर भक्ति का व्यावहारिक रूप।

6. अमर्यादित इच्छाएं ही त्याज्य हैं।

7. अपना स्वभाव चिड़चिड़ा मत कीजिए।

8. चित्त शुद्धि की आवश्यकता।

9. सर्व श्रेष्ठ ज्ञान यज्ञ।

10. ईश्वरानुभूति से ब्रह्मानंद का रसास्वादन।

11. सम्मोहन विद्या के चमत्कार।

12. प्राचीन भारत में नारियों का धार्मिक स्थान।

13. स्नान कैसे किया जाय ?

14. प्रभावानुसार भोजन।

15. गायत्री जयन्ती का पुण्य पर्व।

16. हैजा से बचने के उपाय।

अखण्ड ज्योति मई 1951

1. गायत्री प्रेमियों के लिए कुछ आवश्यक सूचनाऐं।

2. साधना।

3. स्थिरता और स्वस्थता का संदेश।

4. आवेश और उद्वेग से बचिए।

5. सच्चा-सुख कहाँ हैं ?

6. आत्मज्ञान और ऋद्धि-सिद्धियां।

7. माया का मोहक आकर्षण।

8. चिन्ताओं की चिता में मत जलिए।

9. वस्तुओं का सदुपयोग कीजिए।

10. योजना बद्ध जीवन का महत्व।

11. भिखमंगो की समस्या।

12. मोटापा कैसे घटाया जाय ?

13. भोजन का चुनाव।

14. दूसरों के दुख को समझो।

15. मानव जीवन की सफलता का प्रधान केन्द्र-प्रेम।

16. उल्लास

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1951

1. गायत्री महाविज्ञान का तीसरा खंड भी तैयार।

2. मैं मानव हूँ जग का स्वामी........

3. निष्काम भाव से कर्म करते रहिए।

4. अपने को बुराइयों से बचाइये ?

5. अस्वाद और ब्रह्मचर्य का सम्बन्ध।

6. ज्ञान और विज्ञान का अन्तर।

7. ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या।

8. दरिद्रता का निवास स्थान।

9. आत्मिक विकास की चार कक्षाएँ।

10. क्या तलाक आवश्यक हैं ?

11. महात्मा शेखसादी की सुक्तियाँ।

12. वृहदारण्यक उपनिषद में गायत्री।

13. अण्डे खाना, स्वास्थ्य का नाश करना हैं।

14. रामराज्य का आदर्श।

15. उपवास काल में ध्यान रखने योग्य बातें।

16. सकाम प्रार्थना तो दुकानदारी हैं।

17. प्रयाण बेला में

अखण्ड ज्योति मार्च 1951

1. गायत्री महाविद्या के नौ ग्रन्थ रत्न।

2. शक्ति अपनी ही तुझे कब ज्ञात !

3. सर्वत्र अपना ही प्राण बिखरा पड़ा है।

4. महा महिमा मयी माता।

5. भारतीय संस्कृति का आदर्श-विश्व प्रेम।

6. सफलता का मनोवैज्ञानिक मार्ग।

7. जीवन की महानता की कसौटी।

8. अपनी आन्तरिक दशा सुधारिए।

9. साधनामय जीवन।

10. मातृ भावना का पुण्य विकास।

11. उपवास कब और कैसे ?

12. सात्विक भोजन का सूक्ष्म प्रभाव।

13. गायत्री शब्द का अर्थ।

14. भूगर्भ दृष्टा योगी।

15. हमारी अभिलाषाएँ पूरी क्यों नहीं होती ?

16. अखण्ड ज्योति द्वारा प्रकाशित अमूल्य पुस्तकें।

17. जीवन का अस्तित्व !

अखण्ड ज्योति फरवरी 1951

1. सन्तों की अमृत वाणियाँ।

2. प्रयाण-गीत।

3. ईश्वरीय सत्ता का तत्वज्ञान।

4. आदर्श जीवन जिऐं।

5. हमारी संकुचित मनोवृत्ति।

6. अनेकता में एकता की झांकी।

7. इन उलझनों को सुलझाइये।

8. कर्मयोग जीवन की एक कला है।

9. साहित्य का वास्तविक रूप।

10. आहार का संयम भी एक उपवास हैं।

11. दांतो से अपनी कब्र न खोदिए।

12. आध्यात्मिकता की वास्तविकता।

13. महात्मा शेखसादी की सुक्तियां।

14. नारी स्वर्गीय पवित्रता की प्रतीक है।

15. हृदय ! यह संताप कैसा ?

अखण्ड ज्योति जनवरी 1951

1. उलझन।

2. गृहस्थाश्रम की श्रेष्ठता महान है।

3. पारिवारिक जीवन।

4. पारिवारिक-प्रजातन्त्र के सुख तथा आनन्द।

5. हमारा परिवार तथा भिन्न भिन्न सम्बन्ध।

6. पारिवारिक मनोरंजन।

7. हमारे उत्सव तथा त्यौहार।

8. पारिवारिक कलह और मनमुटाव-कारण तथा निवारण।

9. बालकों के विकास सम्बन्धी समस्यायें।

10. दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने वाले स्वर्ण सूत्र।

11. परिवार की आन्तरिक व्यवस्था।

12. पारिवारिक आय-व्यय।

13. बचे हुए समय का उपयोग कैसे होना चाहिए ?

14. सुखी और शान्तिमय गृहस्थ जीवन बनाने वाले गुण।

15. तीसरा महायुद्ध और उसके बाद।

16. जीवन का सम्मान।

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1950
















अखण्ड ज्योति नवम्बर 1950

1. वेद का उपदेश।

2. विवेक वाटिका के सुवासित पुष्प।

3. साईं का पंछी बोले रे।

4. आत्म संयम और परमार्थ का मार्ग।

5. संसार में केवल ईश्वर ही सत् हैं।

6. सत्य की शोध कीजिए।

7. धर्म की तीन स्कन्ध।

8. आप निराश मत हूजिए।

9. सुख दुख में समभाव रखिए !

10. भारतीय देव भाषा की विशेषताऐं।

11. आदेश बनाम विवेक।

12. लड़के और लड़की में भेदभाव मत कीजिए।

13. आत्मोन्नित के लिए परमार्थ की आवश्यकता।

14. रोगों का नामकरण तथा भेद।

15. शेख सादी की सुक्तियां।

16. मुझे मांस नहीं चाहिए।

17. ग्रहस्थों को भी ब्रह्मचारी रहना चाहिए।

18. मधु का प्याला।

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1950

1. विवेक वाटिका के सुवासित पुष्प।

2. भूतल पर उतरा आसमान।

3. विवेक का अनुशीलन।

4. संतो की अमृत वाणियां

5. सच्चाई का व्यापार।

6. संसार में सर्वत्र ईश्वर ही हैं।

7. संवेदना शक्ति का विकास कीजिए।

8. धर्म और साम्प्रदायिकता।

9. जीवन के तीन स्तम्भ।

10. अद्वैत की ओर।

11. बूढ़े-बालक।

12. वर्ग संघर्ष या वर्ग साम्य।

13. पतिब्रता क्या नहीं कर सकती ?

14. स्वस्थ शरीर से आत्म कल्याण की प्राप्ति।

15. गायत्री उपासना का शुभ आयोजन।

16. क्या बहिन बेटियों से पर्दा कराना आवश्यक हैं ?

17. सन्तों की अमृत बाणियां।

18. गायत्री महाविद्या के नौ ग्रन्थ रत्न।

19. कपाल।

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1950

1. सन्तो की अमृत वाणिया।

2. मानवता का अभिमान।

3. दैवी सम्पत्तियों का संचय कीजिए।

4. सात्त्विक पुरूषार्थ से महान विजय।

5. हम दिव्य जीवन जियें।

6. मनुष्य आखिर अल्पज्ञ ही है।

7. चंचल मन का नियन्त्रण।

8. शब्द की महान शक्ति।

9. प्रातःकाल जरा जल्दी उठा कीजिए !

10. हत्यारी दहेज-प्रथा का नाश हो !

11. फलाहार तथा शाकाहार।

12. नारी जाति के उत्थान की आवश्यकता।

13. महात्मा ईसा मसीह के उपदेश।

14. विश्वनारी की पवित्र आराधना।

15. राष्ट्रीय स्वास्थ्य और सन्तान उत्पत्ति।

16. मिलने जुलने का शिष्टाचार।

17. जीवन को सुखी, सम्पन्न, सुव्यवस्थित और शान्तिमय बनाने वाली सस्ती, सुन्दर, उपयोगी और अनुभव पूर्ण पुस्तकें।

18. प्रेम और वासना।

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