रविवार, 5 जुलाई 2009

युग-निर्माण योजना : एक दृष्टि में



युग-निर्माण योजना : एक दृष्टि में
लक्ष्य एवं उद्‌देश्य :
  • मनुष्य में देवत्व का उदय, धरती पर स्वर्ग का अवतरण।
  • व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण।
  • स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन, सभ्य समाज।
  • आत्मवत्‌ सर्वभूतेषु, वसुधैव कुटुंबकम्‌।
  • एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म, एक शासन।
  • लिंगभेद, जातिभेद, वर्गभेद से ऊपर उठकर सबको विकास का अवसर।
योजना के उद्‌घोषक-विस्तारक :
  • युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा
  • प्रखर प्रज्ञा - सजल श्रद्धा।
तीन समर्थ आयाम :
  • योजना-शक्ति-ईश्वर की
  • अनुशासन-संरक्षण-ऋषियों का
  • पुरुषार्थ-सहकार-सत्पुरुषों का।
आत्मनिर्माण के दो सूत्र :
  • उत्कृष्ट चिन्तन, आदर्श कत्र्तृत्व
  • सादा जीवन - उच्च विचार।
हमारे आधारभूत कार्यक्रम :
  • नैतिक क्रांति, बौद्धिक क्रांति, सामाजिक क्रांति
  • धर्मतंत्र-आधारित विविध माध्यमों से लोकशिक्षण
  • गायत्री-सामूहिक विवेकशीलता एवं यज्ञ-सहकारितायुक्त सत्कर्म।
हमारा उद्‌घोष :
  • हम बदलेंगे-युग बदेलगा, हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा
  • इक्कीसवीं सदी - उज्ज्वल भविष्य
  • सबकी सेवा - सबसे प्रेम।
हमारा प्रतीक :
  • लाल मशाल-समग्र क्रान्ति के लिए सामूहिक सशक्त प्रयास-युग शक्ति का विकास।
हमारा संविधान :
  • युग निर्माण सत्संकल्प के सूत्र।
हमारी ध्रुव मान्यताएँ :
  • मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है।
  • जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है।
  • नर-नारी परस्पर प्रतिद्वन्द्वी नहीं, पूरक हैं।
जीवन निर्माण के चार सूत्र :
  • साधना, स्वाध्याय, संयम, सेवा।
आध्यात्मिक जीवन के तीन आधार :
  • उपासना, साधना, आराधना।
प्रगतिशील जीवन के चार चरण :
  • समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, बहादुरी।
समर्थ जीवन के चार स्तंभ :
  • इंद्रिय संयम, अर्थ संयम, समय संयम, विचार संयम।
आत्मिक प्रगति के चार चरण :
  • आत्मसमीक्षा, आत्मसुधार, आत्मनिर्माण, आत्मविकास।
परिवार निर्माण के पंचशील :
  • श्रमशीलता, सुव्यवस्था, शालीनता (शिष्टता), सहकारिता, मितव्ययिता।
तीन को परिष्कृत करें :
  • स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर।
तीन की साधना करें :
  • ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग।
तीन का सन्तुलित समन्वय करें :
  • भावना, विचारणा, क्रिया-प्रक्रिया।
तीन का विकास करें :
  • श्रद्धा, प्रज्ञा, निष्ठा।
तीन को सुधारें :
  • गुण, कर्म, स्वभाव।
तीन को सँवारें :
  • चिंतन, चरित्र, व्यवहार।
तीन को त्यागें :
  • लोभ, मोह, अहंकार।
  • वासना, तृष्णा, अहंता
  • पुत्रैषणा, वित्तैषणा, लोकैषणा।
तीन को धारण करें :
  • ओजस्‌, तेजस्‌, वर्चस्‌।
तीन का सम्मान करें :
  • संत, सुधारक, शहीद।
सात आन्दोलन :
  • साधना, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलम्बन, नारी जागरण, पर्यावरण, व्यसन मुक्ति एवं कुरीति उन्मूलन।
तीन अभियान :
  • प्रचारात्मक, रचनात्मक, संघर्षात्मक।
प्रचारात्मक अभियान :
  • जन-जन तक युगनिर्माण का संदेश।
रचनात्मक अभियान :
  • नव सृजन में प्रतिभाओं का रचनात्मक सहयोग।
संघर्षात्मक अभियान :
  • सृजन के मार्ग में आने वाली बाधाओं का निवारण।
विचार क्रान्ति अभियान, शान्तिकुंज, हरिद्वार, उत्तरांचल (भारत)

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