एक दिन पं. जवाहरलाल नेहरू जी ने शास्त्री को जंगल का फूल कह दिया। शास्त्री जी ने उत्तर दिया-:पंडित जी, जंगल में जो आजादी और स्वच्छता है, वह बगीचे में कहाँ ?
लेकिन पूजा में प्रयुक्त होते है बगीचे के फूल, देवों के शीश चढ़ते है बगीचे के फूल - पंडित जी ने तर्क दिया।
स्वाभाविक हास-परिहास में शास्त्री जी ने उत्तर दिया-`` देवता के सिर पर चढ़ने की अपेक्षा, क्या विश्व कल्याण के लिए सुंगन्ध बिखेरना क्या कम है। फूल देवताओ के लिए ही क्यो खिले, क्या दूसरे जीव तुच्छ है ।