अकबर ने मजाक करते हुए पूछा- बीरबल, मेरी हथेली में बाल क्यों नहीं हैं ? बीरबल ने कहा- जहाँपनाह, आप दान बहुत देते हैं ना इसलिए देते-देते आपकी हथेली के बाल घिस गए हैं। अकबर ने फिर पूछा- जो दान देते नहीं उनकी हथेली में बाल क्यों नहीं होते ? दान लेते-लेते उनके बाल घिस जाते हैं। तो मेरा अंतिम सवाल बीरबल- जो लेते भी नहीं और देते भी नहीं उनकी हथेली में बाल क्यों नहीं होते ? जहाँपनाह, वे केवल हाथ मसलते रहते हैं इसलिए मसलते-मसलते बाल गायब हो जाते हैं। जरा हम सोचें, हमारी हथेली में बाल क्यों नहीं हैं ?
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
रविवार, 16 जनवरी 2011
जो भाई बेवक्त में भाई के काम न आए वह कैसा भाई !
राम ने वनवास जाने की घोषणा कर दी। लक्ष्मण दौड़ा-दौड़ा सुमित्रा के पास पहुँचा और कहा- माँ, मैं भी तुमसे एक वचन मांगना चाहता हूँ।, अगर थोड़ी भी देर हो गई तो मैं जीवन भर पछताता रहुँगा। माँ ने कहा- पहले ही कैकयी के वचनों के कारण पूरी अयोध्या उजड़ गई हैं, भला अब तू वचन मांगकर क्या करेगा ? लक्ष्मण ने कहा- माँ, मैं भी भैया-भाभी की सेवा में वनवास जाना चाहता हूँ। यह सुना तो सुमित्रा रो पड़ी। उसने लक्ष्मण को गले लगाते हुए कहा- बेटा, आज तुने यह वचन मांगकर मेरी और पूरे अयोध्या की लाज रख दी। जो भाई बेवक्त में भाई के काम न आए वह कैसा भाई !
प्रेम हैं जहाँ, प्रभु हैं वहाँ
एक बार नारद ने भगवान को डायरी देखते हुए देखा तो पूछा- प्रभु, क्या देख रहे हैं ? प्रभु बोले- जो भक्त मुझे याद करते हैं मैं उनके नाम देख रहा हूँ । नारद ने उसे देखा तो बड़े खुश हुए साथ ही आश्चर्यचकित भी क्योंकि उसमें उनका नाम तो सबसे पहले था, पर हनुमान के नाम का कहीं नामोनिशान तक न था। वे नीचे आए और हनुमान से कहने लगे- तुम तो व्यर्थ ही भगवान का नाम लेते हों क्योंकि ........। हनुमान ने कहा- मुझे नाम से क्या लेना-देना, मैं नाम के लिए नहीं प्रभु को पाने के लिए प्रभु को याद करता हूँ। कुछ दिन बाद जब नारद ने पुनः डायरी देखते हुए भगवान को देखा तो पूछा- प्रभु, आज फिर डायरी में क्या देख रहे हो ? प्रभु ने कहा- आज मैं उन भक्तों के नाम देख रहा हूँ जिन्हें मैं खुद याद करता हूँ। नारद ने उसे देखा तो पता चला उसमें हनुमान का नाम सबसे ऊपर था।
संयम की महान् सोच
गांधीजी अपनी पत्नी कस्तुरबा के साथ श्रीलंका के एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुँचे। मंच संचालक ने कहा- आज श्रीलंका का सौभाग्य हैं कि गांधीजी के साथ उनकी मातुश्री कस्तुरबा भी आए हैं। लोगों में कानाफूसी होने लगी। लोगो ने उससे कहा- यह उनकी माँ नहीं, पत्नी हैं। यह सुनते ही मंच संचालक सहम गया। उसने कहा- उससे बहुत बड़ी भूल हो गई हैं कि उसने पत्नी को माँ कह दिया इसलिए मैं सबसे माफी मांगता हूँ। यह सुनकर गांधीजी बोले- इन्होनें गलती नहीं की वरन् मुझे सचेत किया हैं। मैं अब साठ साल का हो गया हूँ अतः पत्नी के रिश्ते से ऊपर उठ जाना चाहिए, इसलिए आज के बाद कस्तुरबा मेरी पत्नी की तरह नहीं, माँ की तरह आदरणीय रहेगी। यह हैं संयम की महान् सोच।
रीति-रिवाज
एक नई-नवेली बहू ने देखा कि उसकी सास अपनी सास को भोजन में सूखी रोटियाँ, ठण्डी सब्जी और बासी दाल परोस रही हैं। वह रोटियों को उलट-पुलट कर देखने लगी। सासु ने पूछा- यह क्या कर रही हो ? बहू ने कहा- मेरी मम्मी ने कहा था कि ससुराल जाकर वहाँ के रीति-रिवाज समझना और वैसा ही करना इसलिए मैं देख रही हूँ कि सास को कैसा भोजन परोसा जाता हैं ताकि मैं भी वैसा ही कर सकूं। तो क्या तुम मुझे भी ऐसा भोजन खिलाओगी ? सासु ने पूछा। बहू ने कहा- मैं तो केवल यहाँ के रिवाजों का पालन करूंगी। यह सुनते ही सासु की आँखे खुल गई और उसने गलत व्यवहार करना छोड़ दिया।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश से बढ़कर हैं माँ
राजा पुरू के दरबार में दो महिलाएँ एक बच्चे को लकर पहुँची और उस पर अपना-अपना हक जताने लगी। पुरू आश्चर्य में पड़ गया। थोड़ी देर बाद उसने कहा- धन की तरह इस बच्चे के भी दो हिस्से करके दोनों में बराबर बाँट दिए जाएँ। जल्लाद दोनों के दो टुकड़े करने वाला ही था कि पहली महिला बोली- इसे मारो मत, यह बच्चा मेरा नहीं हैं, इसको मारने की बजाय इसे उसको दे दिया जाए।
क्योंकि असली माँ कभी-भी अपने सामने अपने बच्चे को मरता हुआ नहीं देख सकती। इसे कहते हैं माँ की ममता।
महान् कृतियाँ लिखकर या महान कृत्य करके जाएं
जोधपुर के श्री चुन्नी लाल बाहेती को हार्ट अटैक हो गया। डाक्टरों ने कह दिया- कुछ भी हो सकता हैं। उन्होंने मन ही मन संकल्प लिया कि अगर मैं बच गया तो एक दुकान को गौशाला के नाम से समर्पित कर दूंगा। प्रभुकृपा से वे बच गए। पिता का संकल्प सुनकर बेटों ने एक दुकान को गायों के नाम कर दिया। जब कर्मचारियों ने सुना तो उन्होने भी ईमानदारी पूर्वक काम करना शुरू कर दिया। उस साल दुकान में पाँच लाख का मुनाफा हुआ। कहते हैं वे हर साल राजस्थान की समस्त गौशालाओं को पचास लाख का दान भिजवाते हैं, एक छोटे से संकल्प ने जीवन का कल्याण कर दिया।
-संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी
बच्चों को दे संस्कार
जार्ज वाशिंगटन को किसी अपराध के कारण अदालत में हाजिर होना पड़ा। उनसे कहा गया- बाइबिल पर हाथ रखकर झूठ न बोलने की कसम खाइये। उन्होनें कहा- इसकी जरूरत नहीं हैं क्योंकि वाशिंगटन आज तक झूंठ नही बोला हैं। उन्होने अपराध स्वीकार कर लिया। उनसे पूछा गया- आप झूठ क्यों नही बोलते ? उन्होनें कहा- बचपन में एक बार मैने माँ के सामने झूठ बोल दिया था। माँ ने कहा था- बेटा, सावधान मर जाना पर आज के बाद कभी-भी झूठ मत बोलना क्योंकि मैं झूठे बच्चे की माँ कहलवाने की बजाय खुद को बाँझ कहलवाना कहीं ज्यादा पसंद करूंगी।
रामप्रसाद बिस्मिल
रामप्रसाद बिस्मिल को ब्रिटिश सरकार ने फाँसी की सजा सुना दी। आज उनका अंतिम दिन था। जेलर ने उनको देखा तो आश्चर्य से कहा- अरे, तुम्हारी एक घंटे बाद तो फाँसी होने वाली हैं और तुम योगासन, कसरत, प्राणायाम कर रहे हो। क्या तुम्हें मौत से भय नहीं ? इसकी बजाय तो तुम भगवान को याद करो। बिस्मिल ने कहा- भगवान ने मुझे धरती पर स्वस्थ शरीर देकर भेजा था और मैं चाहता हूँ कि जब वापस भगवान के पास जाऊँ तो लटके चेहरे के साथ नहीं स्वस्थ शरीर के साथ जाऊँ।
मन की निर्मलता
शिकागो में विवेकानन्द के तेज को देखकर एक युवती उन पर मोहित हो गई। वह उनसे मिलने गई और एकांत देखकर कहने लगी- स्वामीजी, मैं आप जैसे एक तेजस्वी पुत्र की माँ बनना चाहती हूँ। क्या आप मेरी यह इच्छा पूरी कर सकते हैं ? विवेकानन्द ने युवती से कहा- भारतीय संत अपने द्वार पर आए किसी को भी कभी खाली हाथ नहीं लौटाते। मैं तुम्हारी यह इच्छा अभी पूरी कर देता हूँ। लो तुम मुझे ही आज से अपना बेटा मान लो। इसे कहते है। मन का संयम।
क्रोध काबू में तो स्वर्ग हथेली में
सुभाष चन्द्र बोस एक जगह भाषण दे रहे थे। अचानक एक युवक ने उत्तेजित होकर उन पर जूता फैंक दिया। उन्होनें जूते को उठाते हुए भरी सभा से कहा- मेरे देश के लोग कितने अच्छे हैं जो बिना जूते वाले को जूते भी दे देते हैं। मेरा उस युवक से निवेदन हैं कि उसके तो एक जूता काम आएगा नहीं इसलिए वह दूसरा जूता भी फैंक दे क्योंकि पिछली सभा में मेरे जूते खो गए थे।
स्वेट मार्डन
एक युवक-युवती आपस में एक-दूसरे को बेहद चाहते थे, पर युवती को न जाने क्या सूझा कि उसने किसी दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली। यह देखकर वह सदमें मे चला गया। उसका खाना-पीना छूट गया। उस पर नशे का भूत सवार हो गया, मात्र दो सालों में वह सूखकर कंकाल हो गया। एक दिन न्यूज पेपर में उसने देखा-एक युवक ने फाँसी खाकर आत्महत्या कर ली। वह यह देखकर चैक उठा क्योंकि वह युवक और कोई नहीं उसकी प्रेमिका का पति था। उसने लिखा था- मैंने जिससे शादी की वह औरत इतनी गुस्सैल थी कि मैं उससे तंग आकर आत्महत्या कर रहा हूँ। यह पढ़ते ही उसने दोनो हाथ ऊपर उठाए और भगवान से कहा-तेरा लाख-लाख शुक्रिया हैं। अगर मेरी शादी उससे हो जाती तो आज अखबार में उसका नहीं मेरा फोटो छपा होता। वही व्यक्ति आगे चलकर दुनिया का महान् लेखक स्वेट मार्डन के नाम से मशहूर हुआ।
पुरूषार्थ
शिष्य जयद्रथ ने एक बार गुरू द्रोणाचार्य से पूछा- गुरूदेव, आखिर क्या कारण हैं कि एक ही गुरू से शिक्षा लेने के बावजूद एक धनुर्धारी अर्जुन बन गया और दूसरा जयद्रथ रह गया। गुरू द्रोण ने कहा- जयद्रथ, मैने तो समान भाव से दोनों को शिक्षा दी थी, पर तुमने मेरे द्वारा दिये गए ज्ञान में संतोष कर लिया और अर्जुन ने संतोष न करने की बजाय दिन-रात मेहनत करके उसे बढ़ाने का काम किया और इसी के चलते तुम तो पीछे रह गए और अर्जुन तुमसे आगे निकल गया। जो बच्चे पुरूषार्थ करके अपनी सोई हुई प्रतिभा को जगा देते हैं वे ही आने वाले कल में पूजे जाते हें।
जो हैं उसका आनन्द उठाओ
एक मछुआरा हमेशा मछली पकड़ने जाता। एक दिन वह भोर होने से पहले ही समुद्र पर पहुँच गया। रास्ते में उसे एक पत्थरों से भरी हुई थैली मिली। उसने उसे उठा ली। वह पत्थरों को समुद्र में फेंककर आनन्द लेने लगा। तभी एक सज्जन उसके पास से गुजरे। वह अंतिम पत्थर फेंकने वाला ही था कि सज्जन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा- मूर्ख, यह पत्थर नहीं हीरा हैं हीरा। यह सुनते ही वह चोक गया। हे भगवान, यह मैंने क्या कर दिया ? हाथ में आई हुई किस्मत को फैंक दिया। वह रोने लगा। सज्जन ने कहा-भाई, दुखी मत हो, भगवान को शुक्रिया दे कि उसने अंतिम हीरा हाथ से जाते-जाते बचा दिया। इसको बेच और जिंदगी का आनन्द उठा। जो चला गया उसका रोना रोने की बजाय जो हैं उसका आनन्द उठाओ।
आत्मज्ञान
आत्मज्ञानी संत एक गांव में पहुँचे। एक युवक आत्मज्ञान पाने के लिए उस संत की कुटिया में दौडा-दौड़ा पहुँचा। उसने जूतों को साइड में पटका, धड़ाम से दरवाजा खोला और संत को प्रणाम करते हुए कहने लगा- मुझे आत्मज्ञान देने की कृपा कीजिए। संत ने उसे भलीभाँति देखा और कहा-पहले जूतों की व्यवस्थित रखकर आओ और दरवाजे से माफी मांगो। उसने कहा-भला आत्मज्ञान का जूतों और दरवाजे से क्या संबंध ? संत ने कहा-जो व्यक्ति अपने जूतों तक को सही ढंग से उतारना नहीं जानता और दरवाजे को भी आदरपूर्वक नहीं खोलता वह भला आत्मज्ञान पाने का उत्तराधिकारी कैसे बन पाएगा और ऐसा व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त भी कर लेगा तो कौनसा तीर मार लेगा।
सफलता का राज क्या हैं ?
सुकरात नदी में नहा रहे थे। तभी एक युवक आया और पूछने लगा- सफलता का राज क्या हैं ? सुकरात ने उसे अपने पास बुलाया। जैसे ही वह पास आया तो सुकरात ने उसे पकड़ा, नदी में डुबोया और खुद उस पर बैठ गए। युवक पानी के अंदर तड़फड़ाने लगा। उसने खूब कोशिश की, पर सफल न हो पाया। अंत में उसने पूरी ताकत झौकते हुए सुकरात को पछाड़ा और बाहर निकल आया वह सुकरात को भला-बुरा कहने लगा। मैं तो कुछ पूछने आया था और तुम मुझे ही डुबोकर मारने लगे। सुकरात ने कहा- मैं तो तुम्हारे सवाल का जवाब दे रहा था। युवक ने पूछा- क्या मतलब ? सुकरात ने कहा-‘‘जैसे पानी में तुम्हारी एक ही इच्छा थी कि जैसे-तैसे करके बाहर निकलूँ ओर इसके लिए तुमने अपनी पूरी ताकत झौंक दी ठीक वैसे ही जब तुम सफल होने के लिए अपनी सौ प्रतिशत ताकत लगा दोगे तो एक दिन अवश्य सफल हो जाओगे।
आत्मविश्वास
राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अपने लवाजमे के साथ किसी कार्यक्रम में जा रहे थे। बीच में पेट्रोल भरवाने के लिए गाड़ियाँ रोकी गई। संयोग से पेट्रोल पंप का मालिक बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन के बचपन का मित्र निकला। व उससे गपशप करने लगी। बिल क्लिंटन ने मजाक करते हुए हिलैरी से कहा- ये तो अच्छा हुआ तुम्हारी शादी मेरे से हो गई अन्यथा तुम राष्ट्रपति की पत्नी कहलाने की बजाय पेट्रोल पंप की मालकिन भर कहलाती। हिलेनी ने कहा-‘‘ माफ करना सर ! अगर मेरी शादी इनसे हो गई होती तो आज अमेरिका के राष्ट्रपति आप नहीं ये होते। इसे कहते हैं आत्मविश्वास। ’’
मेरी प्यारी मम्मी, आई लव यू।
एक महिला बाजार-आफिस के काम निपटाकर गर्मी में दोपहर के दो बजे घर पहुँची। चेहरे पर थकावट स्पष्ट नजर आ रही थी। तभी बड़ा बेटा आकर बोला- मम्मी, आज छोटू ने कोयले से लिखकर फिर दीवार खराब कर दी। मैने उसे समझाया लेकिन वह नहीं माना। यह सुनते ही महिला आग बबूला हो उठी। उसने बच्चे को पकड़ा और दनादन मारने लगी। चार साल का छोटा बच्चा आखिर कब तक सहन करता। वह बेहोश हो गया यह देखते ही महिला के होश उड़ गए। वह उसे अस्पताल लेकर गई। चार घंटे में उसे होश आया। डाक्टर ने कुछ बनाकर लाने को कहा। वह घर आकर दलिया बनाने लगी। दलिया पके तब तक दीवार साफ कर देती हूँ यह सोचकर वह पौंछा लेकर गई तो उसकी आँखों में यह देखकर आँसू आ गए क्योंकि दीवार पर लिखा था-‘‘ मेरी प्यारी मम्मी, आई लव यू। ’’
जिंदगी को नरक बनाता हैं गुस्सा
एक शहर में दंगे छिड़ गए। संवेदनशील इलाके में एस.पी. पुलिस दल के साथ पहुँचा। एक गुस्साए युवक ने एस.पी. पर थूंक दिया। साथ चल रहे हवलदार ने युवक पर रिवाल्वर तान दी। एस.पी. ने रूमाल से चेहरा पौंछा और आगे बढ़ने लगा। हवलदार ने कहा- सर, इसने आप पर थूका हैं, इसे रिवाल्वर से मार देना चाहिए। एस.पी. ने कहा- ‘‘मेरे भाई ! जो काम रूमाल से निपट सकता हैं उसके लिए रिवाल्वर चलाने की कोई जरूरत नहीं हैं।’’
दिमाग की कीमत
एक फैक्ट्री में मशीन चलते-चलते रूक गई। फैक्ट्री के मेकेनिक ने कोशिश की, पर मशीन सही न हुई। बाहर से इंजीनियर को बुलाया गया। उसने मशीन को अच्छी तरह से देखा और कहा- एक हथोड़ा लाओ। उसने मशीन के एक विशेष भाग पर जोर से हथोड़ा मारा और मारते ही मशीन चल पड़ी। सभी उसकी प्रशंसा करने लगे। उसने मालिक को बिल पकड़ाया। एक लाख रूपये का बिल देखकर मालिक भौचक्का रह गया। उसने कहा- आपने किया क्या, केवल एक हथोड़ा मारा और उसके एक लाख रूपये। इंजीनियर ने कहा- साहब माफ करना, हथौड़ा मारने का तो केवल एक रूपया हैं, पर वह कहाँ मारना हैं इसके 99999 रूपये हैं। मालिक समझ गया- हाथ की कीमत कितनी हैं और दिमाग की कीमत कितनी।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)