सोमवार, 9 मई 2011

अखण्ड ज्योति जुलाई 1956

1. मांग रही हैं आप मनुजता रहो और रहने दो !

2. महात्मा गांधी की दैनिक प्रार्थना

3. भारतीय संस्कृति की अन्तरात्मा

4. सुख-दुःख में समभाव

5. सत्संग की महिमा

6. उदारता एक महान् गुण

7. वैदिक युगीन एक धर्म प्रचारिका

8. भगवान का अनुग्रह

9. महात्मा बुद्ध के व्यावहारिक उपदेश

10. देवताओं के वाहनों का रहस्य

11. सांस्कृतिक पुनरूत्थान और नारी

12. गुरू मंत्र-गायत्री

13. श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेश

14. वेदों में यज्ञ की महिमा

15. यज्ञ से देवतत्वों की परिपुष्टि

16. भारतीय आहार-विज्ञान

17. गौ-वंश की रक्षा होनी ही चाहिए

18. दहेज का असुर तो ऐसे मरेगा

19. गायत्री परिवार के समाचार

20. सकाम यज्ञों के कुछ विधि-संकेत

अखण्ड ज्योति जून 1956

1. वृत की शपथ

2. वर्तमान समय में ब्राह्मणों का कर्तव्य

3. भारत की सांस्कृतिक समस्या

4. आप हर समय प्रसन्न रहा कीजिए

5. राष्ट्र एवं सांस्कृतिक उत्थान का उपाय

6. भारतीय संस्कृति में गुण कर्म की प्रधानता

7. एकता का आदर्श

8. भारतीय संस्कृति की कसौटी

9. श्रद्धा का मर्म

10. भाग्य भी कोई चीज हैं

11. वैयक्तिक सेवा

12. आज की एक महान् आवश्यकता

13. इन महान् कार्यो में भाग लीजिए

14. नरमेध यज्ञ-एक संस्मरण

15. मनुष्य की अद्भुत स्मरण शक्ति

16. आत्म-ज्ञान की आवश्यकता

17. बौद्ध धर्म और वैदिक धर्म की एकता

18. राजस्थान प्रान्तीय गायत्री सम्मेलन

अखण्ड ज्योति मई 1956

1. करो नित गायत्री का जाप

2. गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति

3. समारोह का उद्घाटन

4. पूर्णाहुति से प्रेरणा

5. जब स्वर्ग उतर आया-पृथ्वी पर

6. गायत्री तपोभूमि की मधुर स्मृति

7. एक नारी की दृष्टि में महायज्ञ की पूर्णाहुति

8. गायत्री उपासना से ही वास्तविक कल्याण

9. सांस्कृतिक सेवा श्रंखला की प्रतिज्ञाएं

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1956

1. धर्म और सदाचार

2. विडम्बना

3. प्रभु-भक्ति का वैदिक स्वरूप

4. कर्मयोग ही जीवन विद्या हैं

5. मानव-जीवन का आदर्श-संयम

6. हिन्दू संस्कृति का लक्ष्य

7. यज्ञों का आध्यात्मिक स्वरूप

8. बुद्ध भगवान की महानता

9. भारतीय संस्कृति में गुण-कर्म की प्रधानता

10. स्वभाव को कैसे सुधारा जाय ?

11. असफलता के तालिका कारण

12. यज्ञ की वैज्ञानिकता

13. इन चार बातों का ध्यान रखिए

14. योगेश्वर भगवान कृष्ण

15. सकाम यज्ञों की परम्परा

16. परिजनों को कुछ आवश्यक सूचनाए

17. श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेश

18. नवरात्रि की साधना

अखण्ड ज्योति मार्च 1956

1. संस्कृति सौष्ठव

2. वेदों मे यज्ञाग्नि की प्रार्थना

3. सच्चा मार्ग तो कर्मयोग ही हैं

4. क्रोध को शत्रु से कम मत समझिए

5. भारतीय संस्कृति की उपयोगिता

6. बुरे विचारों से सावधान !!

7. हमें स्वतन्त्र चिन्तन करना चाहिए

8. बातें नहीं काम कीजिए

9. भारतीय एकता के सूत्र उसकी संस्कृति में

10. सच्ची स्वतन्त्रता

11. आत्मिक-शान्ति कैसे मिले ?

12. वर्तमान समस्याओं का हल-चरित्र निर्माण

13. अभिमान हटाइये

14. तीर्थ यात्रा और धार्मिक मेलों का उद्देश्य

15. सांस्कृतिक पुनरूत्थान के लिए आप यह कीजिए

16. रूपये की शक्ति

17. सांस्कृतिक सेवा के लिए तपोभूमि यह करेगी

18. संतोषामृत पिया करे

19. हमारे जीवन में वनों का महत्व

20. अमृत वचन

21. अधिक बच्चे पैदा मत कीजिए

22. तपोभूमि समाचार

अखण्ड ज्योति फरवरी 1956

1. भारतीय संस्कृति की जय हो

2. गीता की वास्तविक शिक्षा

3. वासनाओं की जीतिए

4. अन्तर की अखण्ड ज्योति

5. विचार शक्ति का महात्म्य

6. ईर्ष्या नहीं स्पर्धा करो

7. कठिनाइयों का अन्त कैसे हो ?

8. आपके वश की बात

9. जीवन और मृत्यु की समस्या

10. सद्भावना ही श्रेष्ठ हैं

11. दुर्गुण ही वास्तविक शत्रु हैं

12. संस्कृति की रक्षा के लिए संस्कृत पढ़ना आवश्यक हैं

13. मानसिक शक्ति बढ़ाने के कुछ उपाय

14. अपनी कमजोरियों को दूर कीजिए

15. स्नान कैसे करना चाहिए

16. सन्त रैदास

17. यज्ञ से आत्म शान्ति

18. सुखी वैवाहिक जीवन

19. मालिश से स्वास्थ्य लाभ

20. वशीकरण के छः उपाय

21. यज्ञ विज्ञान में नये अनुसंधान की आवश्यकता

22. आत्म-दान की याचना

23. पूर्णाहुति की तैयारियाँ

24. यह काम आपको सौंपते है।

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