बुधवार, 4 मई 2011

अखण्ड ज्योति फरवरी 1953

1. मेरे मन के अधिकारी

2. इन्द्रियों का नियन्त्रण।

3. हमारा लक्ष्य ‘भोग’ नहीं है।

4. शान्ति पथ की यात्रा।

5. आत्म शुद्धि से बन्धन मुक्ति।

6. आत्मीयता का विस्तार करिए।

7. अकेला चल।

8. हम अपनी ओर देखें।

9. विकास की शक्ति।

10. कठिनाइयों से संघर्ष कीजिए।

11. विचार की महान् शक्ति।

12. बालकों का चरित्र निर्माण कैसे हो ?

13. आरोग्य का भारतीय आधार।

14. अथ गायत्री संहिता।

15. सम्बोधन !

अखण्ड ज्योति जनवरी 1953

1. गीता में मानवता के लक्षण।

2. मानवता को चुनौति।

3. आज मानवता रो रही है।

4. सामाजिक क्षेत्रों में मानवता का ह्रास।

5. क्या यही इंसानियत है !

6. नैतिकता का इतना नीचा स्तर कभी नहीं देखा गया।

7. शिष्टाचार की अवहेलना और अनुशासन हीनता।

8. हमारे परिवारो में होने वाला शोषण।

9. स्वास्थ्य क्षेत्र में मानवता का यह पतन।

10. राजनैतिक क्षेत्रों में भयंकर पतन।

11. धर्म के नाम पर मानवता का पतन।

12. मानवता की रक्षा के उपाय।

13. मानवता की रक्षा, विकास एवं सेवा के उपाय।

14. पूर्णाहुति यज्ञ की तैयारियां।

15. मानवता के पथ पर

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1952

1. मन का भ्रम।

2. सहयोग और सहिष्णुता।

3. स्वकर्म द्वारा ईश्वराराधन।

4. परम शांति का पथ।

5. बलवान ही विजयी होता है।

6. धर्मों का मूल आदर्श एक है।

7. कठिनाई का सामना करने को तैयार रहो।

8. स्थिर सुख का सरल साधन है।

9. भावुकता-एक अभिशाप भी !

10. प्राणायाम का आध्यात्मिक आधार।

11. भीष्म जी की धर्म शिक्षा।

12. जीवन का सदुपयोग।

13. ज्ञान प्राप्त करने में सदा संलग्न रहिए।

14. पूर्णाहुति एवं पुण्य प्रतिष्ठा।

15. गायत्री का विराट रूप दर्शन।

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1952

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1952

1. सिर पर वरद-हस्त जननी का।

2. आरोग्य की कुंजी।

3. कर्म योग का रहस्य।

4. प्रेम पथ की यात्रा।

5. अन्तःकरण चतुष्टय का परिचय।

6. योग का व्यावहारिक स्वरूप।

7. शिष्टाचार का पालन कीजिए।

8. तृष्णा पिशाचिनी।

9. व्यर्थ की चिन्ताए मत कीजिए।

10. प्रत्यक्ष देवता की पूजा।

11. आदतों का जीवन पर प्रभाव।

12. गहरी निद्रा कैसे आवे ?

13. गायत्री उपनिषद्।

14. वितंडावादो से बचने की नीति।

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1952

1. जीवन प्रवाह


2. नारी की निर्मल अन्तःकरण।


3. ज्ञानप्रधान धर्मशास्त्र।


4. मन संयम के सिद्धान्त।


5. यज्ञ का रहस्य।


6. सत्य की साधना।


7. बोलचाल में इन बातों का ध्यान रखिए।


8. चरित्र का आधार-संयम और निष्ठा।


9. सन्मित्र के लक्षण।


10. काम या बात को मत टालिए।


11. अधिक लोगों का अधिक सुख।


12. गायत्री उपनिषद्।


13. नवरात्रि की गायत्री उपासना।


14. गायत्री प्रेमियों के आवश्यक कर्तव्य।

अखण्ड ज्योति अगस्त 1952

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