जोधपुर के श्री चुन्नी लाल बाहेती को हार्ट अटैक हो गया। डाक्टरों ने कह दिया- कुछ भी हो सकता हैं। उन्होंने मन ही मन संकल्प लिया कि अगर मैं बच गया तो एक दुकान को गौशाला के नाम से समर्पित कर दूंगा। प्रभुकृपा से वे बच गए। पिता का संकल्प सुनकर बेटों ने एक दुकान को गायों के नाम कर दिया। जब कर्मचारियों ने सुना तो उन्होने भी ईमानदारी पूर्वक काम करना शुरू कर दिया। उस साल दुकान में पाँच लाख का मुनाफा हुआ। कहते हैं वे हर साल राजस्थान की समस्त गौशालाओं को पचास लाख का दान भिजवाते हैं, एक छोटे से संकल्प ने जीवन का कल्याण कर दिया।
-संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी
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