शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

स्वामी विवेकानन्द

1- उठो, जागो और तब तक रुको नही जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये । 
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2- जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो–उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘बुद्धिमान’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है, और उन्हें बहा ले जाती है, तो ले जाने दो–वे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना अच्छा ही है। 
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3- तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ। जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते। 
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4- ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। 
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5- ज्ञान स्वयमेव वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है। 
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6- मानव-देह ही सर्वश्रेष्ठ देह है, एवं मनुष्य ही सर्वोच्च प्राणी है, क्योंकि इस मानव-देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत् से संपूर्णतया बाहर हो सकते हैं–निश्चय ही मुक्ति की अवस्था प्राप्त कर सकते हैं, और यह मुक्ति ही हमारा चरम लक्ष्य है। 
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7-जो मनुष्य इसी जन्म में मुक्ति प्राप्त करना चाहता है, उसे एक ही जन्म में हजारों वर्ष का काम करना पड़ेगा। वह जिस युग में जन्मा है, उससे उसे बहुत आगे जाना पड़ेगा, किन्तु साधारण लोग किसी तरह रेंगते-रेंगते ही आगे बढ़ सकते हैं। 
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8- जो महापुरुष प्रचार-कार्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, वे उन महापुरुषों की तुलना में अपेक्षाकृत अपूर्ण हैं, जो मौन रहकर पवित्र जीवनयापन करते हैं और श्रेष्ठ विचारों का चिन्तन करते हुए जगत् की सहायता करते हैं। इन सभी महापुरुषों में एक के बाद दूसरे का आविर्भाव होता है–अंत में उनकी शक्ति का चरम फलस्वरूप ऐसा कोई शक्तिसम्पन्न पुरुष आविर्भूत होता है, जो जगत् को शिक्षा प्रदान करता है। 
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9- आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो। 
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10- मुक्ति-लाभ के अतिरिक्त और कौन सी उच्चावस्था का लाभ किया जा सकता है? देवदूत कभी कोई बुरे कार्य नहीं करते, इसलिए उन्हें कभी दंड भी प्राप्त नहीं होता, अतएव वे मुक्त भी नहीं हो सकते। सांसारिक धक्का ही हमें जगा देता है, वही इस जगत्स्वप्न को भंग करने में सहायता पहुँचाता है। इस प्रकार के लगातार आघात ही इस संसार से छुटकारा पाने की अर्थात् मुक्ति-लाभ करने की हमारी आकांक्षा को जाग्रत करते हैं। 
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11- हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है। 
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12- मन का विकास करो और उसका संयम करो, उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो–उससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी। यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो, और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो। ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त कर सकता है। 
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13- पहले स्वयं संपूर्ण मुक्तावस्था प्राप्त कर लो, उसके बाद इच्छा करने पर फिर अपने को सीमाबद्ध कर सकते हो। प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो। 
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14- सभी मरेंगे- साधु या असाधु, धनी या दरिद्र- सभी मरेंगे। चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो, जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ। भारत में घोर कपट समा गया है। चाहिए चरित्र, चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल, जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके। 
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15- संन्यास का अर्थ है, मृत्यु के प्रति प्रेम। सांसारिक लोग जीवन से प्रेम करते हैं, परन्तु संन्यासी के लिए प्रेम करने को मृत्यु है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम आत्महत्या कर लें। आत्महत्या करने वालों को तो कभी मृत्यु प्यारी नहीं होती है। संन्यासी का धर्म है समस्त संसार के हित के लिए निरंतर आत्मत्याग करते हुए धीरे-धीरे मृत्यु को प्राप्त हो जाना। 
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16- हे सखे, तुम क्योँ रो रहे हो ? सब शक्ति तो तुम्हीं में हैं। हे भगवन्, अपना ऐश्वर्यमय स्वरूप को विकसित करो। ये तीनों लोक तुम्हारे पैरों के नीचे हैं। जड की कोई शक्ति नहीं प्रबल शक्ति आत्मा की हैं। हे विद्वन! डरो मत्; तुम्हारा नाश नहीं हैं, संसार-सागर से पार उतरने का उपाय हैं। जिस पथ के अवलम्बन से यती लोग संसार-सागर के पार उतरे हैं, वही श्रेष्ठ पथ मै तुम्हे दिखाता हूँ! 
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17- बडे-बडे दिग्गज बह जायेंगे। छोटे-मोटे की तो बात ही क्या है! तुम लोग कमर कसकर कार्य में जुट जाओ, हुंकार मात्र से हम दुनिया को पलट देंगे। अभी तो केवल मात्र प्रारम्भ ही है। किसी के साथ विवाद न कर हिल-मिलकर अग्रसर हो -- यह दुनिया भयानक है, किसी पर विश्वास नहीं है। डरने का कोई कारण नहीं है, माँ मेरे साथ हैं -- इस बार ऐसे कार्य होंगे कि तुम चकित हो जाओगे। भय किस बात का? किसका भय? वज्र जैसा हृदय बनाकर कार्य में जुट जाओ। 
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18- तुमने बहुत बहादुरी की है। शाबाश! हिचकने वाले पीछे रह जायेंगे और तुम कुद कर सबके आगे पहुँच जाओगे। जो अपना उध्दार में लगे हुए हैं, वे न तो अपना उद्धार ही कर सकेंगे और न दूसरों का। ऐसा शोर - गुल मचाओ की उसकी आवाज़ दुनिया के कोने कोने में फैल जाय। कुछ लोग ऐसे हैं, जो कि दूसरों की त्रुटियों को देखने के लिए तैयार बैठे हैं, किन्तु कार्य करने के समय उनका पता नही चलता है। जुट जाओ, अपनी शक्ति के अनुसार आगे बढो।इसके बाद मैं भारत पहुँच कर सारे देश में उत्तेजना फूँक दूंगा। डर किस बात का है? नहीं है, नहीं है, कहने से साँप का विष भी नहीं रहता है। नहीं नहीं कहने से तो 'नहीं' हो जाना पडेगा। खूब शाबाश! छान डालो - सारी दूनिया को छान डालो! अफसोस इस बात का है कि यदि मुझ जैसे दो - चार व्यक्ति भी तुम्हारे साथी होते 
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19- तमाम संसा हिल उठता। क्या करूँ धीरे - धीरे अग्रसर होना पड रहा है। तूफ़ान मचा दो तूफ़ान! 
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20- किसी बात से तुम उत्साहहीन न होओ; जब तक ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर है, कौन इस पृथ्वी पर हमारी उपेक्षा कर सकता है? यदि तुम अपनी अन्तिम साँस भी ले रहे हो तो भी न डरना। सिंह की शूरता और पुष्प की कोमलता के साथ काम करते रहो। 
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21- लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग मे, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो। 
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22- श्रेयांसि बहुविघ्नानि अच्छे कर्मों में कितने ही विघ्न आते हैं। -- प्रलय मचाना ही होगा, इससे कम में किसी तरह नहीं चल सकता। कुछ परवाह नहीं। दुनीया भर में प्रलय मच जायेगा, वाह! गुरु की फतह! अरे भाई श्रेयांसि बहुविघ्नानि, उन्ही विघ्नों की रेल पेल में आदमी तैयार होता है। मिशनरी फिशनरी का काम थोडे ही है जो यह धक्का सम्हाले! ....बडे - बडे बह गये, अब गडरिये का काम है जो थाह ले? यह सब नहीं चलने का भैया, कोई चिन्ता न करना। सभी कामों में एक दल शत्रुता ठानता है; अपना काम करते जाओ किसी की बात का जवाब देने से क्या काम? सत्यमेव जयते नानृतं, सत्येनैव पन्था विततो देवयानः (सत्य की ही विजय होती है, मिथ्या की नहीं; सत्य के ही बल से देवयानमार्ग की गति मिलती है।) ...धीरे - धीरे सब होगा। 
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23- वीरता से आगे बढो। एक दिन या एक साल में सिध्दि की आशा न रखो। उच्चतम आदर्श पर दृढ रहो। स्थिर रहो। स्वार्थपरता और ईर्ष्या से बचो। आज्ञा-पालन करो। सत्य, मनुष्य -- जाति और अपने देश के पक्ष पर सदा के लिए अटल रहो, और तुम संसार को हिला दोगे। याद रखो -- व्यक्ति और उसका जीवन ही शक्ति का स्रोत है, इसके सिवाय अन्य कुछ भी नहीं। 
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24- इस तरह का दिन क्या कभी होगा कि परोपकार के लिए जान जायेगी? दुनिया बच्चों का खिलवाड नहीं है -- बडे आदमी वे हैं जो अपने हृदय-रुधिर से दूसरों का रास्ता तैयार करते हैं- यही सदा से होता आया है -- एक आदमी अपना शरीर-पात करके सेतु निर्माण करता है, और हज़ारों आदमी उसके ऊपर से नदी पार करते हैं। एवमस्तु एवमस्तु, शिवोsहम् शिवोsहम् (ऐसा ही हो, ऐसा ही हो- मैं ही शिव हूँ, मैं ही शिव हूँ। )

गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

निर्णय शक्ति

कोई मनुष्य यदि कल्पना कर सकता है और बिना विचारे उस पर आसक्त हो जाता है, तो वह एक खतरनाक मार्ग को अपनाता है । ज्यों ही एक कल्पना उठी, त्यों ही उस पर आसक्त होकर कार्य रूप में लाने को तुरंत तैयार हो जाना- एक ऐसा दुर्गुण है, जिसके कारण लोग अकसर धोखा खाते और ठगे जाते हैं । 
अपनी ही कल्पना के आवेश में ये कुछ का कुछ कर बैठते हैं । आत्महत्या जैसे दुःखद परिणाम निर्णय शक्ति के अभाव और आवेश में होते हैं ।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ. ८

कल्पना से कार्य तक

जो कल्पनाएँ आपके मस्तिष्क में उठें, उनके संबंध में प्रथम विचार कीजिए कि उनसे हमारा कोई लाभ है या नहीं । यदि निरर्थक हानिकर कल्पनाएँ उठती हैं, तो उन्हें अपने मानसलोक से निकाल बाहर कीजिए । प्रथम अपना उद्देश्य और कार्यक्रम निर्धारित कीजिए । फिर मन को आज्ञा दीजिए कि उन्हीं की सीमा के अंदर कल्पनाओं की लहरें उत्पन्न करें । निर्धारित क्षेत्र में उपजी हुई कल्पनाएँ यदि दिलचस्प हों, तो भावना के स्वरूप में प्रकट होती हैं ।

भावनाओं का तर्कों द्वारा संशोधन करना चाहिए । जिस प्रकार एक चतुर न्यायाधीश दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद उसमें झूठ, सच का पृथक्करण करता है, उसी प्रकार विचारणीय विषय के औचित्य-अनौचित्य का विशुद्ध ज्ञान और अनुभव के आधार पर निर्णय करना चाहिए । जिन जटिल विषयों के संबंध में अपना ज्ञान अपर्याप्त मालूम हो, उनके संबंधों में अन्य महापुरूषों की सम्मति लेनी चाहिए । इस प्रकार जो निर्णय कर लिया जाय, विवेक बुद्धि जिसे करने की आज्ञा दे और हृदय के अंदर से जिसके करने में उत्साह उठ रहा हो, उसे ठीक निर्णय मान लेना चाहिए । ऐसे सुस्थिर विचारों को कार्यरूप में लाने में अपयश और असफलता का मुँह नहीं देखना पड़ता और उनका कर्ता बुद्धिमान् समझा जाता है।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ. ९

विचार क्रान्ति के बीज

भारत को आज मैं उस मन:स्थिति में देख रहा हूँ, जिसमें अवतार की आकांक्षा होती है। यह जरुरी नहीं है कि मनुष्य का अवतार होगा। विचार का भी अवतार होता है। लोग समझते है कि रामचंद्र एक अवतार थे, कृष्ण-बुद्ध अवतार थे। लेकिन उन्हें हमने अवतार बनाया है। वे आपके और मेरे जैसे मनुष्य ही थे। उन्होंने एक विचार का संचार सृष्टि में किया और वे उस विचार के मूर्तरुप बन गये, इसलिए लोगों ने उन्हे अवतार माना।

भगवान किसी-न-किसी गुण या विचार के रुप में अवतार लेता है और उस गुण या विचार को मूर्तरुप देने में जिनका अधिक से अधिक परिश्रम लगता है, उन्हें जनता अवतार मान लेती है। यह अवतार मीमांसा है।

वास्तव में अवतार व्यक्ति का नहीं, विचार का होता है और विचार के तौर पर मनुष्य काम करते हैं। किसी युग में सत्य की महिमा प्रकट हुई, किसी में प्रेम की, किसी में करुणा की तो किसी में व्यवस्था की। इस तरह भिन्न-भिन्न गुणों की महिमा प्रकट हुई है।
-महात्मा विनोबा

सोमवार, 10 दिसंबर 2012

नम्रता

एक बार अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन नगर की स्थिति का जायजा लेने के लिए निकले। रास्ते में एक जगह भवन का निर्माण कार्य चल रहा था। वह कुछ देर के लिए वहीं रुक गए और वहां चल रहे कार्य को गौर से देखने लगे। कुछ देर में उन्होंने देखा कि कई मजदूर मिलकर एक बड़ा-सा पत्थर उठा कर इमारत पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। किंतु पत्थर बहुत ही भारी था, इसलिए वह इतने मजदूरों के उठाने पर भी नहीं उठ रहा था। ठेकेदार उन मजदूरों को पत्थर न उठा पाने के कारण डांट रहा था। परन्तु खुद किसी भी तरह उन्हें मदद देने को तैयार नहीं था। वॉशिंगटन यह देखकर उस ठेकेदार के पास आकर बोले - इन मजदूरों की मदद करो। यदि एक आदमी और प्रयास करे तो यह पत्थर आसानी से उठ जाएगा। ठेकेदार वॉशिंगटन को पहचान नहीं पाया और रौब से बोला - मैं दूसरों से काम लेता हूं, मैं मजदूरी नहीं करता। यह जवाब सुनकर वॉशिंगटन घोड़े से उतरे और पत्थर उठाने में मजदूरों की मदद करने लगे। उनके सहारा देते ही वह पत्थर उठ गया और आसानी से ऊपर चला गया। इसके बाद वह वापस अपने घोड़े पर आकर बैठ गए और बोले - सलाम ठेकेदार साहब, भविष्य में कभी तुम्हें एक व्यक्ति की कमी मालूम पड़े, तो राष्ट्रपति भवन में आकर जॉर्ज वॉशिंगटन को याद कर लेना। यह सुनते ही ठेकेदार उनके पैरों पर गिर पड़ा और अपने दुर्व्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगा। ठेकेदार के माफी मांगने पर वॉशिंगटन बोले - मेहनत करने से या किसी की मदद करने से आदमी छोटा नहीं हो जाता। मजदूरों की मदद करने से तुम उनका सम्मान ही हासिल करोगे। याद रखो, मदद के लिए सदैव तैयार रहने वाले को ही समाज में प्रतिष्ठा हासिल होती है। इसलिए जीवन में ऊंचाइयां हासिल करने के लिए व्यवहार में नम्रता का होना बेहद जरूरी है। उस दिन से ठेकेदार का व्यवहार बिल्कुल बदल गया और वह सभी के साथ अत्यंत नम्रता से पेश आने लगा।

बुधवार, 7 नवंबर 2012

B+ve

1- "Words don't have teeth, but they can bite." 
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2- GOD is d Best Listener,
U Neither Need 2 Shout Nor CRY Loud.
Bcoz He Hear's Even d Very silent prayer of a Sincere Heart. 
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3- Poet ELIOT said: "Whn u get little u want more, Whn u get more, u desire even more, bt whn u lose it, u realize LITTLE was enough" 
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4- Important lessons from a humble pencil-
It tells u that everything u do will always leave a mark.
U can always correct the mistakes u make. 
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To be d best u can be, u must allow urself to be held & guided by the Hand that holds u.. 
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5- Make use of opportunities. Strike while iron is hot. Use ur talent, strength & energy for change. This is d time to take risk. 
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6- 6 Bate 6 Bato Ko Khatam Krti H
1-Sorry-Galti Ko
2-Dukh-Zindagi Ko
3-Gussa-Rishte Ko
4-Juth-Vishwas Ko
5-Sath-Gam Ko
6-Dhokha-Pyar Ko 
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7- Don't Try To Search A Good Person In This Bad World. Instead Try To Make urself d Best B'coz This Act Of urs May End Someone Else's Search. 
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8- Bible Vachan-
Buri sohbat acchi aadte bigad deti h or acchi dosti buddhimani se kam karne me madad karti h. 
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9- A Bad Attitude is like a Punctured Tyre,
We cannot reach anywhere until we change it. 
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10- A caring n loving prsn is vry important in lyf
Bcz.wen dat prsn is with u, u'll learn hw 2 live n wen dat prsn leaves u,
u'll learn hw 2 survive. 
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11- A -ve thinker see a difficulty in evry opportunity,
A +ve thinker see n opportunity in evry difficulty..
B+ve 
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12- Problems Are
Not Permanent..!
But,
Our Life is Permanent..!
So,
Face The All Problems With
Confidence..! 
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13- Samay aur Samajh dono ek sath khush kismat logo ko hi milte h.
Aksar Samay pr samajh nhi aati
Aur
Samajh aane pr Samay nikal jata h. 
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14- AGAR SATGURU KO PRAPT KARNA CHAHTE HO TO USE SMS KARO.
SMS KARNE KA MATLAB...
=S= sache... 
=M= man se...
=S= simran karo. 
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15- ALWAYS be READY for Everything in LIFE,
bcoz
Life is Too short
and
We DON'T have TIME to PRACTICE for Everything BEFORE it Happens...! 
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16- Always welcome ur problems.
Bcoz problems gives U dual Advice.
One U can know how 2 solve that,
other how 2 avoid it in future. 
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17- "Every great achievement was once considered Impossible ".
Don't focus on obstacles, Just focus on your goals. 
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18- YADI HUM APNI ANTRATMA KI PUKAR KO ANSUNA NAHI KARTE H OR POORI IMANDARI SE USKI AAGYA KA PALAN KARTE H TO HAMARE AADHE KASHT SAMAPT HO JATE H. 
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19- Enthusiasm is a steam that drives the engine in our body. 
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20- Rishta ?
"Aankh"or"Palak" sa hona chahiye,
Aankh me kuch gir jaye to palak tadap uthti h
or palak kuch der na jhpke to aankh ro deti h. 
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21- BEHAVIOR is Greater Than KNOWLEDGE..
B'coz there are many Situations where Our Knowledge May FAIL! But,Our Behavior Can Handle That Very well. 
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22- AATMA KI MAHANTA PAVITR VICHARO ME H OR SHARIR KI MAHANTA PAVITR KARMO ME. 'JINDGI KA DOOSRA NAAM SUVICHAR H OR MRITYU KA KUVICHAR.' 
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23- Zindagi ki sbse bdi har-
kisi ki aankh me aansu hona Sirf aapki wajah se.
or zindgi ki sbse bdi jeet-
kisi ki aankh me aansu hona aapke liye. 
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24- zindagi chahe 1 din ki ho chahe 4 din ki.
use aese jiyo jaise ki
zindagi tumhe nahi mili 
zindagi ko tum mile ho.
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Think about it...

1- KABHI-KABHI KISI KE JIWAN ME AESA BHEE HOTA H KI 'AEK PAL KA SATSANG' POORE JIWAN KO BADAL DETA H-RAMAYAN 
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2- Life Is A Continuous Challenge And An Unending Struggle.
We r Not Made Rich By What Is In Our Pocket But
We r Rich By What Is In Our Heart & Soul. 
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3- "Success does not depend On making Important Decisions Quickly.!
But it Depends On Taking ''Quick Action'' On Important Decisions" 
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4- Jindagi Aisi Na Jeeyo Ki Log...
"'FARIYAAD'" Kare.
Balki Aisi Jeeyo Ki Log...
"'FIR-YAAD'" Kare... 
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5- "Seediyan unke liye bani h jinhe chat pr jana h.
Aasman pr ho jinki nigahe, unhe to rasta khud banana h" 
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6- "Successful people don't plan results,They plan beginnings.Right results always follow right beginnings".Have a right beginning. 
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7- Rishto ki Rassi kamzor Tab Hoti H,
Jab Insaan Galat Fehmi me Paida Hone Wale Sawalo ka Jawab B khud Hi Bana Leta H. 
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8- KISI GALAT KARM K DOORGAMI PARINAMO SE DARNA SIKHO NAHI TO JAB UN KARM-FALO SE SAMANA HOGA TO AAP KAHI K NA RAHOGE HAR KARM KA PARINAM NISCHIT H. 
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9- An interesting fact-
"A poor person begs outside d temple . . 
whereas a rich person begs inside d temple. 
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10- A strange reality by Chanakya : 
"Aapka khush rahna hi aapke Dushmano k liye sabse badi saza hai."
So always be happy. 
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11- Control 3 things:
Temper, Desire & Speech
Preserve 3 things:
Good Books, Good Deeds & Good Friends;
Value 3 Things:
Time, Ability & Opportunity 
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12- Think about it-
Aadmi apne dukh se zyada auro k sukh se pareshan h. 
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13- All the problems are stuck between mind and matter...
If u don't mind, It doesn't matter....!! 
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14- Ameer Itna Ban0 Ki Aap Kitni
B Keemti Cheez Kharid Sako 0R
Keemti Itnee Ban0 Ki Iss Dunia
Ka K0i b Ameer Apk0 Kharid Na Ske 
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15- Baat Pate Ki - 
Anyone who has NEVER made a mistake has NEVER Tried Anything new. 
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16- Chehre ki hsi se hr gam ko mita do
Bhut km bolo pr sb kuch bta do
Khud na rutho pr sb ko mna lo
Yhi 'Raaj' jindgi ka ki Jeo aur Jeena sikha do. 
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17- Ultimate Truth..
Satisfaction Is
the Highest Level Of
Happiness...
And
It Is Easily Attained
Wen we Have No
Expectations.! 
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18- MITHE PANI KI JhEEL ME KHADE HOKAR BHEE JAB KOI JEEW PYASA RAH JATA H TO US STHITI KO KAHTE H DOORDASHA. "JINDGI KA
'HAR KADAM' BADA MAHTWPURN H" 
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19- "SUCCESS ALWAYS HUGS YOU IN PRIVATE....BUT FAILURE ALWAYS SLAPS IN THE PUBLIC...!!!! THAT'S LIFE.... 
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20- "Always select d Good people & reject d bad ones in life
Bcoz
Even Ants reject Salt & carry away Sugar from d mixture of Sugar & Salt." 
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21- Q-From what four word expression does the word 'goodbye' derive?
Ans- Goodbye comes from - : god be with you. 
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22- "We can't have all that we desire, bt time will give us all that we deserve". 
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23- When MIND is Weak situation is a PROBLEM
When MIND is Balanced situation is CHALLENGE
When MIND is Strong situation is an OPPORTUNITY. 
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24- "Words r d only weightless thing in this world that can actually make u feel 'Heavy'...!!!"
Think & use it properly.
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शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

Bat Pte ki

1- Bat Pte ki-
"A person Dreaming of an Ambition without making an Effort, is much similar to a Bird flying with wings and No Legs to Land". 
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2- British 2 Vivekanand: Cant U Wear Proper Clothes 2 b A Gentleman ? 
Swami: In Ur Culture Tailor Makes Gentlemen, Bt In Our Culture CHARACTER Makes Gentlmen. 
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3- KOI B KAMNA KISI VYADHI SE KAM NAHI H JITNI BADI KAMNA UTNI BADI VYADHI JEEW JITNI KAM KAMNA RAKHEGA USE UTNI HI SHANTI KI PRAPTI HOGI... 
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4- Choose ur Friends & ur Books carefully.
Friends influence ur Character & books influence our Thoughts. 
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5- Aaj ka happy price Menu : Pyar ki roti Chahat ki sabji Sneh ka raita Vishvas ka salad Friendship ki sweet dish.
ur Bill :1 SMS to 09929827894 
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6- BEST PHRASE BY SHAKESPEARE:
When ur friend lies to u, its not his fault ! Actually its urs.
B'coz u dint give him d proper space to tell d truth. 
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7- KUCH APRADHI BAHuT HOSHIYAR, MAHIR OR TAKATWAR HOTE H JO SAMAAJ OR KANOON DONO SE BACH JATE H PR UPAR WALE KI LAATHI SE KABHI NAHI. 
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8- "Respones" is 1 of d most powerful weapon 2 occupy a place in sm1's 'HEART'.So Alwz giv d best respones 2 d person who cares 4 u. 
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9- Baat Pate ki-
if u expect the world to be fair with u bcoz u r fair...
It's like expecting d lion not to eat u because u don't eat him. 
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10- Always have d determination of a Mirror, which nvr loses its ability to reflect in spite of it being broken into pieces.Keep shining. 
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11- "No one is rich enough to buy back his yesterday.
But if u have d attitude to do better things today, 
u will be d richest one tomorrow". 
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12- "Prasannata" aisa Chandan h, jise dusre ke 'Mastak' pr Lagane se apni Anguliyan apne aap hi Sugandhit ho Jati h. 
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13- NASAMJH OR NADAN DOOSRO K JIWAN ME KAMI DEKHTA H.
SAMJDAR OR BUDHIMAN APNE JIWAN KI KAMI DEKHTA H OR USE DOOR KARNE KA PRYAS KARTA H. 
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14- 2day, Communication is d lifeline of any relationship.
When u stop communicating, u start losing ur valuable relationships, so be in touch always. 
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15- A Bell has no sound till some1 rings it
A song has no tune till some1 sings it
So nvr hide ur feelings, bcoz it has no value till some1 feel it 
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16- Baat Pate Ki -
Kind words can be Short and Easy to speak,
but THEIR ECHOES ARE TRULY ENDLESS. 
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17- UMEED KI AEK KIRAN' KE SAHARE SARA JIWAN NIKALA JAA SAKTA H, HAR TUFAN SE LOHA LIYA JAA SAKTA H BUS JARURAT H US KIRAN KO EK MAJBOOT SADHANA KI. 
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18- SACH" Wo Daulat H Jise Pehle Kharch Kro or Zindagi Bhr Anand Pao.Or "JHUTH" Wo Karz H Jo Kuch Din Masti To Karlo Pr Zindagi Bhr Chukate Rho. 
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19- Don't choose such frnds who has reached d heights.
But choose that friends who can hold u when u fall from heights.
Bcoz LOYAL is better than Royal. 
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20- Zindgi ki uljhane shararaton ko kam kar deti h..!
Aur log samajhte h ki hum bade ho gaye h.....! 
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21- Ummid ki udan ko aise n rokiye,
irado ke chirag ko bujhne n dijiye,
saflta to khud tumhe dhund legi dosto, 
apne pnkho ko jra hwa to dijiye. 
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22- One Who Touches His Parent Foot Daily,
He Never Faces d Situation In His Life To Touch Others Foot. 
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23- "Some Flowers Grow Best in d Sun;
Others do Well in Shade.
Remember,
God Always Puts Us where v Grow d Best ." 
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24- "Zindagi Ko
Badalne Me Waqt
Nahi Lagta....
.
Par 
.
Kabhi-Kabhi
Waqt Ko Badalne
Me Zindgi Lag Jati
Hai...!!

बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

सेवाधर्म की बाधाएँ और भटकाव

बहुत से लोगों के मन में उमंगें उठती हैं पर वे यह सोचकर चुप रह जाते हैं कि अभी हम उसके योग्य नहीं। जब हम पूर्णतः योग्य और सक्षम हो जायेंगे तब सेवा करेंगे। स्मरण रखा जाना चाहिए कि आज तक संसार में पूर्णतः योग्य न हुआ है और न होगा, क्योंकि जो पूर्ण होता है वह भवबंधनों से ही मुक्त हो जाता है। उस पूर्ण पुरुष को संसार में आने की आवश्यकता ही कहाँ रह जाती है।

संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उनके व्यक्तित्व में कहीं न कहीं, कोई न कोई त्रुटी अवश्य रही है। उन त्रुटियों के सुधार का प्रयत्न करते हुए भी वे सेवा के पथ पर निरंतर अग्रसर होते रहे हैं।

जिस प्रकार प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने वाला अध्यापक अनिवार्य रूप से उच्च शिक्षित कहाँ होता है। छोटे पहलवान अपने से छोटे पहलवान को पहलवानी का अभ्यास कराते हैं। कहने का अर्थ यह है कि कम बुराई वाला व्यक्ति अधिक बुराईयों वाले व्यक्ति को शिक्षा दे सकता है।

जीवन देवता की साधना - आराधना (2) - 10.11"

कार्यस्थल की सुसज्जा

अपने काम में आने वाली वस्तुओं को साफ-सुथरा रखना, उन्हें सुंदर बनाना और सजाकर रखना यह भी एक छोटा मनोरंजक कार्य है, जिससे चित्त में प्रसन्नता की लहरें उत्पन्न होती हैं। गंदी, टूटी हुई और बेतरतीब पड़े हुए कागजों वाली मेज पर काम करने की अपेक्षा एक साफ-सुथरी, सुंदर और सुसज्जित मेज पर मन अधिक लगेगा, चित्त प्रसन्न रहेगा और काम अधिक एवं उत्तमता के साथ हो सकेगा । 

बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ. १५ "

स्मरण शक्ति बढ़ाने का व्यायाम

एक स्थान पर कई प्रकार की चीजें एकत्रित करो, जैसे दो-तीन प्रकार की कलमें, तीन-चार तरह के फूल, कई तरह के बटन, चाकू, पिन, मिठाई की गोलियाँ आदि। आरंभ में इनकी संख्या दस-बारह होनी चाहिए। एक बार ध्यानपूर्वक इन सबको देख लो, फिर आँखें बंद करके बताओ कि कौन वस्तु कहाँ रखी हुई है ? यदि ठीक न बता सको, तो चीजों की संख्या कम कर दो और फिर उनका क्रम बताओ। जो संख्या आसानी से बताई जा सके, वहीं से धीरे-धीरे आगे के लिए अभ्यास बढ़ाना चाहिए। जैसे आज पाँच चीजों का क्रम बना सकते थे, तो धीरे-धीरे इन संख्याओं को 6, 7, 8, 9, 10, 20, 30 करते जाइए। इस प्रकार एक बार देखकर एक स्थान पर खड़े हुए मनुष्यों या वृक्षों की संख्या एवं क्रम याद रखने का अभ्यास करना चाहिए। यह स्मरण शक्ति बढ़ाने का अच्छा अभ्यास है। होशियार चोर जिस घर में घुसते हैं, एक बार दियासलाई जलाकर सारे घर को देख लेते हैं, और वहाँ का चित्र उनके मन में अच्छी तरह अंकित हो जाता है। बस फिर वे अपने पूर्व स्मरण के सहारे अँधेरे घर में सब काम ठीक-ठीक वैसे ही करते रहते है, मानों उस घर में उजाला हो। 

बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ.35"

बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

आलस्य में न पड़े

उत्साह, चुस्त स्वभाव और समय की पाबंदी यह तीन गुण बुद्धि बढ़ाने के लिए अद्वितीय कहे गये हैं। इनके द्वारा इस प्रकार के अवसर अनायास ही होते रहते हैं, जिनके कारण ज्ञानभंडार में अपने आप वृद्धि होती है। एक विद्वान् का कथन है -कोई व्यक्ति छलांग मारकर महापुरुष नहीं बना जाता, बल्कि उसके और साथी जब आलस में पड़े रहते हैं, तब वह रात में भी उन्नति के लिये प्रयत्न करता है। 
आलसी घोड़े की अपेक्षा उत्साही गधा ज्यादा काम कर लेता है । एक दार्शनिक का कथन है - “यदि हम अपनी आयु नहीं बढ़ा सकते तो जीवन की उन्हीं घड़ियों का सदुपयोग करके बहुत दिन जीने से अधिक काम कर सकते हैं ।"

स्मरण शक्ति बढ़ाने का व्यायाम

यह उपाय सबसे पुराना है और अब तक सबसे अधिक यही काम में लाया जाता है कि जो बात याद रखनी हो उसे बार-बार दुहराई जाये। बार-बार दुहराना, रटाई, मश्क यह शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यक विधि है। परंतु कई बार यह विधि भी व्यर्थ प्रमाणित होती। विद्यार्थी रटता है, पर वह शब्दावली याद नहीं होती, या याद भी हो जाती है, तो बहुत ही जल्द विस्मरण हो जाती है।कारण यह है कि ऐसी रटाई निरर्थक श्रेणी में चली जाती है और मनोविज्ञान का यह नियम है कि निरर्थक बातों को हम बहुत जल्द भूल जाते हैं। इसलिए रटाई सार्थक बनाने का प्रयत्न करना चाहिए, ऐसा करने से यह बहुत जल्द याद हो जाएगी और बहुत दिन तक विस्मरण न होगी। जो पद्य आपको याद करना हो, पहले उसका अर्थ समझिए, इससे उसको याद करना सरल हो जायेगा। जिस विषय के ज्ञान को आप याद रखना चाहते हैं, उसके आवश्यक सूत्रों का अर्थ अच्छी तरह समझिए, उसका भाव भली प्रकार मन में लाइये। इसके उपरांत उसे बार-बार दुहराएँ। पढ़िए या रटिए, वह बात मस्तिष्क में स्थान ग्रहण कर लेगी और सार्थक होने के कारण स्मरण बनी रहेगी। 

बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ.36" 

भूल

भूल से बुद्धि-विकास होता है। एक भूल का अर्थ है - आगे के लिए अकलमंदी। संसार के अनेक पशु भूल से विवेक सीखते हैं लेकिन मनुष्य उनसे बहुत जल्दी सीखता है। भूल का अर्थ है कि भविष्य में आप अपनी गलती नहीं दुहराएँगे। भूल से अनुभव बढ़ता है। संसार में व्यक्ति के अनुभव का ही महत्व है। अनुभव अनेक भूलों द्वारा अर्जित सद्ज्ञान है। भूल यदि दोहराई न जाय तो बुद्धि-विकास में बहुत सहायता करती है। महापुरूषों के जीवन में अनेक क्षण ऐसे आए हैं, जब वे भूलों के बल पर महान बने हैं। 

- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, 
आत्मज्ञान औरआत्मकल्याण, पृ. १०

स्मरण शक्ति बढ़ाने का व्यायाम

कोई ऐसा एक रंगा चित्र लीजिए, जिसमें अनेक वस्तुएँ दिखाई पड़ती हों। सीनरी के चित्र इस कार्य के लिये अच्छे बैठते हैं। एक चित्र को एक मिनट ध्यान से देखिये, फिर एक कागज पर लिखिये कि उसमें क्या-क्या चीजें देखीं ? बाद में अपने लिखे हुए कागज और चित्र का मुकाबला करके देखिये कि आप क्या-क्या बातें लिखना भूल गए हैं? अब दूसरा चित्र लीजिए और उसे देखिए तथा पूर्ववत् उसमें देखी हुई चीजों को भी लिखिए, तत्पश्चात् परीक्षा कीजिए कि अबकी बार क्या छोड़ा गया ? एक चित्र एक बार ही काम में लेना चाहिए, क्योंकि दूसरी बार कोई चीज छूटना प्रायः कठिन है। एक दिन में दो-तीन चित्रों का अभ्यास काफी होगा। यह जरूरी नहीं है कि इतने चित्र खरीदें तभी काम चले। सचित्र पुस्तकों में अनेक चित्र आते हैं, ऐसी एक किताब में कई दिन का काम चल सकता है।एक मिनट का अभ्यास ठीक हो जाए तो फिर समय घटाना चाहिए औरधीरे-धीरे एक-दो सेकंड देखकर ही चित्र का पूरा विवरण लिखने का अभ्यास करना चाहिए। 

एक रंग के चित्र के बाद बहुरंग चित्र का अभ्यास है। इसमें दीखने वाली चीजों का स्वरूप और रंग दोनों लिखते जाइये, यह दूसरा अभ्यास है। इसलिए आरंभ काल में देखने के लिए एक मिनट से कुछ अधिक समय भी लिया जा सकता है, फिर क्रमशः घटाते जावें। कुछ दिन लगातार चित्र दर्शन और लेखन का अभ्यास करने पर स्मरण शक्ति का काफी विकास हुआ मालूम होता है। 

बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि - पृ. 34"

निष्काम लोकसेवा ही पूजा

निष्काम सेवा करने से आप अपने हृदय को पवित्र बना लेते हैं। अहंभाव, घृणा, ईर्ष्या, श्रेष्ठता का भाव और इसी प्रकार के और सब आसुरी संपत्ति के गुण नष्ट हो जाते हैं। नम्रता, शुद्ध, प्रेम, सहानुभूति, क्षमा, दया आदि की वृद्धि होती है। भेदभाव मिटजाते हैं। स्वार्थपरता निर्मूल हो जाती है। आपका जीवन विस्तृत तथा उदार हो जाएगा। आप एकता का अनुभव करने लगेंगे।आप अत्यधिक आनंद का अनुभव करने लगेंगे। अंत में आपको आत्मज्ञान प्राप्त हो जाएगा। आप सब में 'एक' और 'एक' में ही सबका अनुभव करने लगेंगे। संसार कुछ भी नहीं है केवल ईश्वर की ही विभूति है। लोकसेवा ही ईश्वर की सेवा है। सेवा को ही पूजा कहते है।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. ७"

असफलता

लगातार असफल होने से आपको साहस नहीं छोड़ना चाहिए। असफलता के द्वारा आपको अनुभव मिलता है। आपको वे कारण मालूम होंगे, जिनसे असफलता हुई है और भविष्य में उनसे बचने के लिए सचेत रहोगे। आपको बड़ी-बड़ी होशियारी से उन कारणों की रक्षा करनी होगी। इन्हीं असफलताओं की कमजोरी में से आपको शक्ति मिलेगी। 

असफल होते हुए भी आपको अपने सिद्धांत, लक्ष्य, निश्चय और साधन का दृढ़ मति होकर पालन और अनुसरण करना होगा। आप कहिए, ‘कुछ भी हो मैं अवश्य पूरी सफलता प्राप्त करूंगा, मैं इसी जीवन में नहीं इसी क्षण आत्मसाक्षात्कार करूंगा। कोई असफलता मेरे मार्ग में रूकावट नहीं डालसकती।’ 

प्रयत्न और कोशिश आपकी ओर से होनी चाहिए। भूखे मनुष्य को अपने आप ही खाना पड़ेगा। प्यासे को पानी अपने आप ही पीना पड़ेगा। आध्यात्मिक सीढ़ी पर आपको हर एक कदम अपने आप ही रखना पड़ेगा। 

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, 
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. ६"

आत्मनिर्माण की दूसरी साधना - भावनाओं पर विजय

गंदी वासनाएँ दग्ध की जाए तथा दैवी संपदाओं का विकास किया जाए तो उत्तरोत्तर आत्मविकास हो सकता है। कुत्सित भावनाओं में क्रोध, घृणा, द्वेष, लोभ और अभिमान, निर्दयता, निराशा अनिष्ट भाव प्रमुख हैं, धीरे-धीरे इनका मूलोच्छेदन कर देना चाहिए। इनसे मुक्ति पाने का एक यह भी उपाय है कि इनके विपरीत गुणों- धैर्य, उत्साह, प्रेम, उदारता, दानशीलता, उपकार, नम्रता, न्याय, सत्य-वचन, दिव्य भावों का विकास किया जाए। ज्यों-ज्यों दैवी गुण विकसित होंगे दुर्गुण स्वयं दग्ध होते जाएंगे, दुर्गुणों से मुक्ति पाने का यही एक मार्ग है। आप प्रेम का द्वार खोल दीजिए, प्राणिमात्र को अपना समझिए, समस्त कीट-पतंग, पशु-पक्षियों को अपना समझा कीजिए। संसार से प्रेम कीजिए। आपके शत्रु स्वयं दब जाएँगे, मित्रता की अभिवृद्धि होगी। इसी प्रकार धैर्य, उदारता, उपकार इत्यादि गुणों का विकास प्रारंभ कीजिए। इन गुणों की ज्योति से आपके शरीर में कोई कुत्सित भावना शेष न रह जाएगी। 

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, 
आत्मज्ञान और आत्मकल्याण, पृ. ९"

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

Big results require big ambitions.

1. "Hard work is A Cup of Milk. Luck is Just Like A Spoon of Sugar, God Always give Sugar to Those who have A Cup of Milk." 
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2. "Its nt arrogance, nor pride nor attitude.I just love myself bcoz d only person who truly understand me is "me". 
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3. CHOTE-CHOTE GUNAHO KO KAM NA SAMJNA TUM KYU KI 'PAHAD' TO KANKRIYO SE HI BANTA H. "AEK CHOTE SE BEEJ ME AEK MAHA-VRIKSH CHIPA HUWA H." 
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4. "Mind Makes Brilliant Decision,With Some Mistakes.But,Heart Takes Cute Decisions,With 100 Percent Satisfaction..." 
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5. HAR AEK KA APNA AEK 'SAMAY' AATA H BUS KOI USKA 'SADUPYOG' KARTA H TO KOI USKA 'DURUPYOG' AOR DEKHTE HI DEKHTE SAMAY CHALA JATA H. 
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6. JAB HAMARI JIWAN-YATRA SANKAT KE MARG SE GUJAR RAHI HO TO B HUME KHUSH HOKAR CHALNA CHAHIYE KYU KI PATAA NAHI AAGE KESA MARG HOGA. 
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7. "Nvr hate those people who r jealous of u.
Respect their jealousy Bcoz They r d ones Who think that u r better than them". 
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8. Baat Pate Ki-
''Wrong Persons Always Teach the Right Lessons of Life. 
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9. JIS PE AAP KA KOI ADHIKAR HI NAHI H AOR USE AAP GALAT TARIKE SE HASIL KARNA CHAHTE HO TO DOOR-GAAMI PARINAMO K LIYE BHEE TEYAR RAHNA. 
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10. Zameen pe Sukhon ki Talaash h.
Maalik tera banda kitna Udaas h.
kyun khojta h Insaan Raahat Duniya me,
Jabki Saare Masle ka HAL Teri ARDAAS h. 
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11. A 6 letter word.
2nd 3rd 5th letters is a soap name.
456 indicates finish.
132 is a police report.
246 is a colour.
What is the answer? 
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12. Duniya Me Koi Bhi Kam "impossible" Nhi H, Bas Hosla Aur Mehnat Ki Zarurat H. Lafz "IMPOSSIBLE" Ko Gor Se Dekho, Wo Khud Kehta H, "I M POSSIBLE." 
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13. 'E G O 'Is the only requirementTo destroy any relationship.......So be the Bigger Person Skip the 'E' and let it 'GO'..: 
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14. Amazing true.Being alone usually looks sad to people...But, Being alone is better than to have somebody, Who makes U Feel Alone. 
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15. Asafaltaa se jo nhi Darta h Wo hi Manjil ko par karta h. Hoshla rakho aage badhne ka .Achhe Logo ka to Samay B Intjaar karta h. 
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16. "Life Ka Sbse Bada Sach" 
Mujhe Mohabat H Apni Sari Ungliyon se,
Kyonki Na Jane Kis Ungali Ko Pakad Kr Maa Ne Chalna Sikhaya Tha. 
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17. What's Easy & Difficult in life?
Ans: "MISTAKES"Easy to judge when others do it & Difficult to recognise & realise when we do it...! 
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18. "Always select the Good people & reject the bad ones in life Bcoz Even Ants reject Salt & carry away Sugar from the mixture of Sugar & Salt." 
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19. KISI K PRATI GALAT BHAW RAKHNE KA MATLAB H APNE VINASH KO NIMANTRAN DENA APNI SHANTI KO BHANG KARNA. "VICHAR HI JIWAN H." 
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20. 3 Noble Thoughts
Don't Forget d 1 who Helps u.-Geeta
Don't Hate d 1 who Loves u.-Bible
Don't Cheat d 1 who Believes u.-Quran 
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21. Gulshan ke tere hum sab phool hai,
Tere charnon ki hum sab dhul h.
Kirpa ka tu h sagar SATGURU,
Teri rehmat ke saddke sab kabool h. 
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22. The way up and the way down are one and the same. 
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23. Hazar Galtiyo K Bawzud Bhi Aap Apne ApSe Pyar Karte HO, "To Fir Q Aap Kisi Ki 1 Galti Pe Usse Itni Nafrat Krte Ho.
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24. Big results require big ambitions. 
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