स्व. लाल बहादुर शास्त्री जब केंद्रीय गृह मंत्री थे, तब उनकी कोठी ऐसी थी जिसके दो दरवाजे थे, एक जनपथ रोड़ की ओर था दूसरा अकबर रोड़ की ओर। एक दिन सिर पर लकड़ी के बोझ रखे कुछ मजदूर स्त्रियॉं इधर आई और चक्कर से बचने के लिए शास्त्री जी के बंगले में घुस पड़ी। उन्हें देखा तो चौकीदार बिगड़ खड़ा हुआ। वह उन्हें वापस
लौटाने लगा, तो शास्त्री जा आ गये। स्थिति समझते देर न लगी। चौकीदार को शांत करते हुए उन्होंने कहा-``देखो, इनके सिर पर कितना बौझ हैं, यदि इन्हें यहॉं से निकल जाने में थोड़ी राहत होती हैं, तो तुम इन्हें क्यों राकते हो |