विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
मंगलवार, 19 अप्रैल 2011
अखण्ड ज्योति सितम्बर 1940
1. अभागा बटोही
3. नम्रता
8. अभिलाषा
10. ईश्वर का स्थान
11. जीवन पहेली
12. साधना
14. कुसुम कली
18. सूर्य स्नान
19. साधकों का पृष्ठ
अखण्ड ज्योति अगस्त 1940
अखण्ड ज्योति मई 1940
अखण्ड ज्योति अप्रेल 1940
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