"हमारे गुरु की आवश्यकता थी, इसलिए हम उनके इशारों पर कठपुतली की तरह नाचते रहे | उनका इशारा हमें स्पष्ट ध्यान में है | आज युग देवता का, महाकाल का इशारा यही है की हमको जनजाग्रति के लिए काम करना होगा | विचार-क्रांति अभियान आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है; क्योंकि इस युग की सभी समस्याएँ इसलिए पैदा हुई है की आदमी की अक्ल ख़राब ही गई है | न पैसा कम है, न कोई और चीज | बस, अक्ल ख़राब है | अक्ल को ठीक करने के लिए हमें विचार-क्रांति में हिस्सा लेना चाहिए | क्रियाकलापों में आदर्शवादिता का समन्वय यही है हमारा विचार-क्रांति अभियान | ऋषि और ब्राह्मण सदा से एक ही काम करते रहे हैं- जनमानस का परिष्कार | इसी के लिए युग देवता ने, महाकाल ने पुकार लगाईं है |"
-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी