विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
शुक्रवार, 5 अगस्त 2011
क्या खोया ? क्या खोया ?
आज की इस नई प्रगति के युग में हमने क्या क्या खोया क्या क्या पाया ?
ज्ञान खोया - विज्ञान पाया।
श्रद्धा खोई - अभिज्ञता पाई।
आचार खोया - विचार पाया।
विश्वास खोया -तर्क पाया।
स्वास्थ्य खोया - इलाज पाया।
नीति खोई - बुद्धि पाई।
ईमान खोया - अभिमान पाया।
प्रेम खोया - इल्म पाया।
दिल खोया - दिमाग पाया।
भूख खोई - भोजन पाया।
सच्चाई खोई - चतुराई पाई।
त्यागो और अवश्य त्यागो
1. बुद्धि से संकोच।
2. मन से कुविचार।
3. हृदय से भय।
4. समाज से कुरीतियाँ।
5. देश से स्वार्थपरता।
6. धर्म से निरर्थक रूढि़याँ।
7. राजनीति से साम्प्रदायिकता।
8. अछूतों से अस्पृश्यता।
9. दीनो का तिरस्कार।
10. रोगी से घृणा।
11. शरीर से निर्बलता।
12. इन्द्रियों से अपवित्रता।
13. नेत्रों से कुदृष्टि।
14. मुख से अप्रिय वचन।
15. श्रवण से निन्दा अस्तुति की रूचि।
16. रसना से रसास्वादन की कामना।
17. हाथों से क्रूर कर्म।
18. पैरों से कुमार्ग गमन।
साभार-ज्वाला प्रसाद गुप्त, एम.ए., एल.टी.,फैजाबाद
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