सोमवार, 23 मई 2011

अखण्ड ज्योति जुलाई 1965

1. मानव जीवन को सार्थक बनाये

2. उसकी प्रार्थना में बड़ा बल हैं

3. शास्त्र चर्चा

4. सुख के आधार वे स्वयं हैं

5. आत्म भावना से आत्म कल्याण

6. आत्म विकास की विचार साधना

7. लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रखे

8. उस मोह को धन्यवाद दीजिए

9. संयमी ही आत्मजयी होते हैं

10. अशान्ति से चिर शान्ति की ओर

11. समता में सबकी व्यवस्था हैं

12. मनुष्य जीवन का अमूल्य यात्रा पथ

13. मैत्री भावना का विकास करे

14. आत्मघात न करे-इसी में आपका भला हैं

15. सर्वोत्तम विभूति-विद्वता

16. श्रम ही नहीं विश्राम भी

17. गृहस्थ की समुन्नति के लिए समय का सदुपयोग

18. सत्साहित्य से शक्ति और समुन्नति

19. बच्चों को व्यवहारकुशल बनाइये

20. एकाग्रता व संलग्नता से ही लक्ष्य सिद्धि होगी

21. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

22. संकल्प गीत

अखण्ड ज्योति जून 1965

1. परमात्मा का प्रेम पूर्ण हैं, पवित्र है

2. आत्मा की आवाज सुनो और उसका अनुसरण करो

3. कर्म कुशल होना ही योग हैं

4. अपना संकल्प जगाइये, आपमें बड़ी शक्ति हैं

5. बात केवल रूख बदलने भर की हैं

6. रीति-प्रीति सब सों भली

7. शक्ति का स्त्रोत हमारे अन्दर हैं

8. सबसे बड़ा सुख-सन्तोष

9. परोपकाराय मिदं शरीरम्

10. ‘‘ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत’’

11. श्रद्धा और सद्भावना के केन्द्र-देवालय

12. अहंकार का परित्याग करिए

13. जीवन में साहचर्य और एकान्त का समन्वय हो

14. भोजन का जीवन तत्व जला मत डालिए

15. आश्रम व्यवस्था पर एक सापेक्ष दृष्टि

16. वर-वधु का चुनाव कैसे करे ?

17. बच्चों का समुचित विकास कीजिए

18. नारिया-गुण सौन्दर्य बढ़ाये, आभूषण नहीं

19. रामायण पारायण करिए, पर उसे जीवन में उतारिये भी

20. कृपया अन्न की बरबादी मत कीजिए

21. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

22. युग निर्माण योजना का ‘समाज सुधार विशेषांक’

23. क्षमता का विस्तार-गीत

अखण्ड ज्योति मई 1965

1. शान्ति का सच्चा उपाय-परोपकार

2. सर्वशक्तिमान परमेश्वर और उसका सान्निध्य

3. ईश्वर और उसकी अनुभूति

4. संकल्प की महान् शक्ति

5. कमी किस बात की हैं

6. प्रेम और सेवा ही तो धर्म हैं

7. शुद्ध व्यवहार पवित्र आचार

8. शक्ति के स्त्रोत-आत्मा को मानिए

9. चरित्र बल बढ़े तो राष्ट्र ऊँचा उठे

10. जीने का आनन्द उत्साह से मिलेगा

11. नेक बने, नेकी की राह पर चले

12. प्रतिशोध की भावना छोडि़ए

13. सम्बन्धों मे सात्विकता भी हो, मधुरता भी हो

14. स्वास्थ्य के लिए स्नान और जल की उपयोगिता

15. हिन्दू धर्म की आन्तरिक शक्ति, उसकी वैज्ञानिकता

16. नई और पुरानी पीढ़ी का संघर्ष

17. भावी पीढ़ी का निर्माण यों कीजिए

18. गुणेषु क्रियतां यतनः

19. महाजने येन गतः स पन्थाः

20. रोग, शरीर का शत्रु ही नहीं मित्र भी हैं

21. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

22. गीत-नये क्षितिज पर पुनः उदित हो

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1965

1. अन्तःकरण की आवाज सुनो और उसका अनुसरण करो

2. प्रार्थना को दैनिक जीवन में प्रमुख स्थान मिले

3. आत्म-शक्ति का अकूत भण्डार

4. श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं

5. भारतीय संस्कृति मानवता का वरदान

6. वसुधैव कुटुम्बकम

7. जीवन एक वरदान हैं, इसे वरदान की तरह जिए

8. सुन्दरता बढ़ाइये पर साथ ही आन्तरिक पवित्रता भी

9. निग्रहीत मन की अपार सामर्थ्य

10. सर्वनाशी क्रोध

11. धन का सही उपार्जन और सही उपयोग ही उचित हैं

12. दैनिक जीवन में विनीत बने रहिए

13. जीवन को स्वस्थ, सार्थक एवं सुखी बनाइये

14. भारत के लिए सर्वस्व अपर्ण करने वाली बहन-निवेदिता

15. हमारी वीरता अक्षुण्ण रहनी चाहिए

16. मधु संचय

17. आदर्श गुरू-शिष्य परम्पर फिर जगे

18. सुखी न भयउँ ‘अभय’ की नाई

19. घर छोड़कर भागना पाप हैं

20. काम में लगन भी हो और भावना भी

21. कर्ज से छुटकारा पाना ही ठीक हैं

22. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

23. गीत-उद्बोधन

अखण्ड ज्योति मार्च 1965

1. जीवन के हर प्रभात का स्वागत करिए

2. प्रार्थना आत्मा की करूण पुकार

3. परमात्मा का दर्शन (शास्त्र चर्चा)

4. प्रभु दर्शन और उसकी आकांक्षा

5. आत्मविकास के लिए व्रतपालन की आवश्यकता

6. मनुष्य जीवन का उद्देश्य की समझे

7. अधर्म और पापाचार से बचिए

8. अपने अतीत को भूलिए नहीं

9. भाग्य अपने हाथों बनाइये

10. सम्मान इस तरह मिलता हैं

11. हमें तू दुःख दे दया निधान

12. अपने दोष स्वीकार कीजिए औरों के भुलाइये

13. मनुष्य असंयमी न बने

14. दृढ भावनाओं से जीवन निर्माण

15. मधु संचय

16. दाम्पत्य जीवन का सुख प्राप्त कीजिए

17. सन्तान न होना कोई दुर्भाग्य तो नहीं

18. हम मुसीबतों से घबरायें नहीं

19. बच्चों को अर्थ अनुशासन की शिक्षा दीजिए

20. धन का अपव्यय भी पाप हैं

21. इतना तो बेटिया भी किया करें

22. सौन्दर्य का सच्चा स्वरूप

23. गहरी नींद कैसे आये ?

24. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

25. गीत-आत्म परिचय

अखण्ड ज्योति फरवरी 1965

1. आत्मविश्वास और सफलता

2. वैराग्य भावना से मनोविकारों का शमन

3. ईश्वर हैं या नहीं ?

4. भारतीय संस्कृति के आधारभूत तथ्य

5. मन को अस्वस्थ न रहने दिया जाय

6. साधनों की पवित्रता भी आवश्यक

7. इन्द्रियों का सदुपयोग करना सीखे

8. मानवता का विशिष्ट लक्षण-सहानुभूति

9. बुद्धिबल भी तो बढ़ाइये

10. उतना बोलिए जितना आवश्यक हो

11. हमारी आध्यात्मिक संस्कृति

12. प्रयत्न करने पर भी सुख क्यों नहीं मिलता

13. स्वर्ग आपके घर में हैं

14. इच्छाए और उनका सदुपयोग

15. मधु संचय

16. असत्य और उसके दुष्परिणाम

17. काम करने से जी न चुराइये

18. चिन्तओं से छुटकारे का मार्ग

19. क्रोध-एक घातक मनोविकार

20. दान क्यों दे ? किसे दें ? कैसे दें ?

21. स्वास्थ्य निर्माण में मालिश का प्रयोग

22. हमारी चरित्र भ्रष्टता कैसे मिटे ?

23. बच्चों को डराया न करें

24. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति

25. ज्योर्तिमय दिव्य शक्ति का अवतरण

26. गीत-निर्माण यज्ञ

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