रविवार, 16 जनवरी 2011

जो हैं उसका आनन्द उठाओ

एक मछुआरा हमेशा मछली पकड़ने जाता। एक दिन वह भोर होने से पहले ही समुद्र पर पहुँच गया। रास्ते में उसे एक पत्थरों से भरी हुई थैली मिली। उसने उसे उठा ली। वह पत्थरों को समुद्र में फेंककर आनन्द लेने लगा। तभी एक सज्जन उसके पास से गुजरे। वह अंतिम पत्थर फेंकने वाला ही था कि सज्जन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा- मूर्ख, यह पत्थर नहीं हीरा हैं हीरा। यह सुनते ही वह चोक गया। हे भगवान, यह मैंने क्या कर दिया ? हाथ में आई हुई किस्मत को फैंक दिया। वह रोने लगा। सज्जन ने कहा-भाई, दुखी मत हो, भगवान को शुक्रिया दे कि उसने अंतिम हीरा हाथ से जाते-जाते बचा दिया। इसको बेच और जिंदगी का आनन्द उठा। जो चला गया उसका रोना रोने की बजाय जो हैं उसका आनन्द उठाओ।

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