पहला संकल्प- सुबह आँख खुलते ही हम प्रतिदिन एक मिनट तक तबियत से मुस्कुराएंगे। मुस्कान के साथ जगने से जीवन में उत्साह, उमंग और ऊर्जा का संचार होता हैं, वहीं मायूसी के साथ जगने से पूरा दिन मायूसी में गुजरता हैं।
दूसरा संकल्प- अलसुबह माता-पिता और बड़े-बुजुर्गों को आदरपूर्वक प्रणाम करेंगे। माता-पिता को प्रणाम करने से जहाँ हमारे दिन की शुरूआत विनम्रतापूर्वक होती हैं वहीं हमें अलसुबह उनकी दुआओं की ढेर सारी दौलत भी मिल जाती है।
तीसरा संकल्प- स्वयं को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने के लिए हम प्रतिदिन 20 मिनट योगासन करेंगे अथवा टहलने जाएँगे। दिनभर कुर्सियों पर बैठने और वाहनों पर चलने से व्यक्ति रोगी और बुढ़ापे का शिकार हो जाता है। अच्छा होगा, रोज दवा खाने की बजाय अपने चिकित्सक आप बनिए और स्वयं के स्वास्थ्य का इंतजाम कीजिए।
चोथा संकल्प- हम रोजाना पन्द्रह से बीस मिनट प्रभु की प्रार्थना में समर्पित करेंगे। प्रार्थना करने से जहाँ मन में शांति और पवित्रता आती हैं वहीं नैतिक एवं आध्यात्मिक बल भी मिलता हैं।
पाँचवा संकल्प- दिनभर में किए जाने वाले कार्यो की सूची सुबह-सुबह ही तैयार कर लेंगे। दिन भर के कामों को योजनाबद्ध तरीके से करने पर एक दिन में 25 काम निपटाए जा सकते हैं, पर बेतरतीबी से जीने वाला दिनभर में ढाई काम करके भी स्वयं को बोझिल और तनावग्रस्त पाता हैं।
छटा संकल्प- हम सदैव मौनपूर्वक भोजन करेंगे और भोजन के बारे में कभी कोई तीखी टिप्पणी नहीं करेंगे। टिप्पणी सुनने से जहाँ महिलाएँ हतोत्साहित होती हैं वहीं आप पर जगी खीज को अपने बच्चों अथवा काम वाली बाई पर उतारने लगती हैं।
सातवाँ संकल्प- भोजन करने के बाद हम थाली खुद धोकर रखेंगे। भला जब सुबह जाते वक्त अपनी बैठक खुद धोते हैं तो खाते वक्त अपनी जूंठी थाली खुद धोकर रखने में कैसी शर्म।
आठवाँ संकल्प- सुबह जल्दी जगेंगे और रात को जल्दी सोएँगे। रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से व्यक्ति स्वस्थ, धनवान और बुद्धिमान होता हैं।
नौवाँ संकल्प- घर के किसी भी सदस्य का हम कभी भी अपमान नहीं करेंगे। अपमान करने से जहाँ रिश्तों में दरार आती हैं वहीं हमारे प्रति रहने वाले प्रेम और सम्मान में भी कटौती होती है।
दसवाँ संकल्प- अपने खिलाफ विपरीत टिप्पणी सुनने के बावजूद हम धैर्य और शांति रखेंगे। धैर्य और शांति की असली कसौटी तभी होती हैं जब कोई हमारे खिलाफ बोले। जो हर हालत में धैर्य और शांति के मालिक होते हैं वे कभी भी अपना आपा नहीं खोते और अपनी हर बात को विनम्रतापूर्वक रखने में सफल होते है।
ग्यारहवाँ संकल्प- हम दूसरों के दुःख-दर्द में काम आएँगे। यदि हम दूसरों के हमदर्द बनेंगे तो वे भी मुश्किल की घड़ियों में हमारे मददगार बनेंगे। प्रकृति अच्छाई के बदले में अच्छाईयों का ही खजाना लौटाया करती हैं।
नववर्ष 2011 में प्रवेश करते हुए यदि हम ये 11 संकल्प लेते हैं तो हम कमल के फूल हैं, 7 संकल्प लेते हैं तो गुलाब के फूल हैं और यदि मात्र 3 संकल्प लेते हैं तो गेंदे के फूल हैं, पर यदि एक भी संकल्प नहीं लेते हैं तो अप्रेल फूल हैं।
साभार- संबोधि टाइम्स, संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी