मंगलवार, 24 मई 2011

हम बदले तो युग बदले


1- SMILE is a Cooling system of HEART
Sparkling system of EYES
Lighting system of FACE
Relaxing system of MIND.
So activate all systems & kee
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2- Small Lines But A Lot Of Meaning..
"The Reason Why People Talk Behind Your Back Is Because You Are Ahead Of Them" 
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3- Short But Cute:
"Be a good person..
But
Never try to prove it.
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4- SAPNE Ka Pehla Lafz "S" Hota H.
Lekin Agar "S" Ko Nikal Do To, "Apne" rah Jate h, aur Agar "APNE" sath Ho to "SAPNE" zarur pure hote h.
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5- Parinda Apne Paon Aur Insan Apni Zaban Ki Wajeh Se Jaal Me
Phansta Hy.
Narmi Akhtiyar Karo
Q k Lehje Ka Asar Alfaz Se Zyada Hota Hai
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6- SABSE BADI HAQIQAT:
Chahe Lakh Kro Tum Puja, Or Teerth Kro Hzar, Agar Maa-Bap Ko Thukraya To Sb Kuch H Bekar .
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7- Relations
&
Medicine
play d same role in our life,
both care 4 us in pain.
Only difference is that relationship doesn't have n xpiry date.
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8- Reality of life:
People don't Change when u tell them Better Option.
They Change only when they Realise that there is NO OTHER OPTION.
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9- When u need "Advice" Everybody is ready to "Help" Bt When u need "Help"
Everybody gives u only "Advice" It's True.
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10- Problems & Dificulties r lyk Big Cotton Bags.
It Looks Huge 4 Those who see it,
But it looks Lighter 4 those who Handle it.
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11- "Jab mn mile hote h, tb buraiya b achchhi lagti h, lekin jab mano me khatas aa jati h tb achchhaaiya b buri lagti hain" 
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12- Don't mix d words with ur mood bcoz u'll hav many options to change d mood but u'll never get any option to replace d spoken words. 
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13- "Don't look back when you are moving towards success. But don't forget to look back after reaching success..." 
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14- "A person who walks with his legs reaches his destination.,
But a person who walks with his brain reaches his destiny..!"
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15- Der z no wine if grapes r nt PRESSD, No perfume if flowrs r nt CRUSHD,If u feel any PRESSURE in lyf, it means God is bringin d bst out of U. 
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16- Educated ppl Change themselves According to d Situation.But,Experienced ppl Can Change d Situation According to them-!! 
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17- 1-The best way to destroy an enemy is to make him a friend
2-Apne sobhagya ko srahte rahe.
3-Dusro ka jivan sunder banane me shayta kare.
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18- sUPERB thought-
All winners don't have to be hard worker, but every hard worker surely one day becomes a winner!:
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19- Sucess is a Century
Make it.
Problem is a Yorker
Face it.
Luck is a Fulltoss
use it.
But;
OPPORTUNITY is a
FREE HIT never Miss It!.
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20- Success Formula:
=>Never Be Late
=>Live Simple
=>Expect Little
=>Work More
=>Smile Always
=>Think Positive
=>Don't Argue
=>Be Confident
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21- AACHARY SHRI RAM SHARMA-
Seva mai badi shakti h.usse bhagvan b vash mai ho sakta h !
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22- 3 Great Philosophies:
1. Ability can nevr remain hidden.
2. No injury is deepr than insult.
3. The birth of tension is the death of talent.....
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23- "SOORAT" aur "SEERAT" main sab se bada farq ye hai ki, SOORAT "DHOKA" deti hai, Jabki SEERAT "PAHCHAAN" karati hai. 
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24- Bit gaya so Bit gaya
us Bite ka Sikva kya karna.
Bite Samay ki Bato se Atit Badal nhi skta pr Bite AnuBhav se Bhavishy jarur bdl skta h.
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अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1967

1. हम जड़ नहीं प्रगतिशील बने

2. दो में से एक का चुनाव

3. हम बदले तो युग बदले

4. भावी देवासुर संग्राम और उसकी भूमिका

5. भावनात्मक परिवर्तन का एक मात्र प्रयोग साधन

6. देवत्व के जागरण की सौम्य साधना पद्धति

7. स्थूल शरीर का परिष्कार-कर्मयोग से

8. सूक्ष्म शरीर का उत्कर्ष-ज्ञानयोग से

9. ज्ञान-योग से जन-मानस का परिष्कार

10. कारण शरीर में परमेश्वर की प्रतिष्ठापना

11. ज्ञान-यज्ञ का उद्देश्य और स्वरूप

12. दस तथ्य-जिन पर हम दस-दस बार विचार करे

13. सामूहिक नवनिर्माण के पाँच कार्यक्रम

14. धरा पर स्वर्ग लाना हैं (कविता)

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1967

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1967

1. सतयुग का पुनरागमन

2. भावी विभीषिकायें और उनका प्रयोजन

3. महाकाल और उनका रोद्र रूप

4. त्रिपुरारी महाकाल द्वार तीन दैत्यों का उन्मूलन

5. शिव का तृतीय नेत्रोन्मीलन और काम-कौतुक की समाप्ति

6. दशम अवतार और इतिहास की पुनरावृति

7. ‘‘सहस्त्र शीर्षा पुरूषः..................’’

8. ध्वंस के देवता और सृजन की देवी

9. उद्धत दक्ष की मूर्खता और सती की आत्महत्या

10. रावण का असीम आतंक अन्ततः यों समाप्त हुआ

11. भगवान परशुराम द्वारा कोटि-कोटि अनाचारियों का शिरच्छेद

12. भागीरथों और शुनिशेपों की खोज

13. आज की सबसे बड़ी बुद्धिमता और लोक सेवा

14. अपना परिवार-उच्च आत्माओं का भाण्डागार

15. विशेष प्रयोजन के लिए, विशिष्ट आत्माओ का विशेष अवतरण

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1967

1. मनुष्य को मनुष्य बनाने वाला धर्म

2. जीवन जीने की उत्कृष्ट रीति-नीति

3. सत्यमेव जयते नानृतम्

4. परमात्मा को जानने के लिए अपने आप को जानो

5. जीवन सुन्दरतापूर्वक जिये

6. विचार शक्ति का जीवन पर प्रभाव

7. यज्ञमय जीवन ही मनुष्य जीवन की सार्थकता

8. ते सज्जन मम प्रान प्रिय

9. विपत्तियों को कैसे जीता जाय

10. समाज परिवर्तन में बुद्धिजीवियों की भूमिका

11. सभ्य समाज की सुसंस्कृत रचना और पुस्तकालय

12. शुद्ध मनोरंजन उपयोगी ही नहीं आवश्यक भी

13. उद्धत बन कर असंतोष न भड़काये

14. परिश्रम करने वाले ही आगे बढ़ते हैं

15. सज्जनो से ही मित्रता करे

16. गायत्री का शक्ति स्त्रोत-सविता देवता

17. हमारे व्यक्तिगत प्रतिनिधि और उनके दौरे

18. तुम दीपक से जलते जाओ

अखण्ड ज्योति अगस्त 1967

1. साहित्य से बढ़कर मधुर और कुछ नही

2. चरित्र निर्माण और सदाचार

3. ईश्वर-भक्ति और जीवन-विकास

4. सविता-आत्मा हमारी बुद्धि धारण करे

5. मनोनिग्रह के लिए विचार, विवेक और वैराग्य

6. सुखी जीवन की कुंजी-सुनियोजित जीवन

7. कल्याण धर्माचरण से ही होगा

8. हमारी आध्यात्मिक क्रान्ति और प्रबुद्ध व्यक्ति

9. विपत्ति से बढ़कर हितैषी नहीं

10. सुसंस्कारों से स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य की वृद्धि

11. ज्ञान के सदृश और कुछ पवित्र नहीं

12. किसी संगति में बैठने से पहले यह ध्यान में रखे

13. गुरू प्रदत्त शिक्षा-पद्धति की विशेषता

14. बुढ़ापे से टक्कर लेने के उपाय

15. व्यायाम हर व्यक्ति के लिए आवश्यक

16. गायत्री महाशक्ति का तत्वज्ञान और उसका विवेचन

17. अपनो से अपनी बात-ज्ञानयज्ञ इस युग का सबसे बड़ा परमार्थ

अखण्ड ज्योति जुलाई 1967

1. नये संसार का निर्माण

2. नवयुग का आविर्भाव

3. मानव जाति का नैतिक पतन और उसका दण्ड

4. आगामी विश्वयुद्ध और संसार का कायाकल्प

5. संसार के ऊपर विपत्तियों के बादल घुमड़ रहे हैं

6. राजनीतिज्ञों की दृष्टि में भी विश्वयुद्ध अनिवार्य हैं

7. युग परिवर्तन के सम्बन्ध में ‘कीरो’ की भविष्यवाणी

8. श्वेत जातियों का भविष्य संकटपूर्ण हैं

9. यहूदी जाति और विश्वयुद्ध

10. संसार का नवीन धर्म अध्यात्म

11. बीसवी शताब्दी में युग परिवर्तन

12. सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्रों में होने वाली नवीन परिवर्तन

13. यह परिवर्तन कब तक होगा ?

14. भावी सम्भावनाये और हमारा कर्तव्य

15. निःशंक हमने दिया जलाया

अखण्ड ज्योति जून 1967

1. क्या हमारे लिए यही उचित हैं ?

2. चेतन, चित्त-न, चिन्तन

3. सर्वत्र अभय ही अभय हो

4. जितं जगत् केन ? मनो हि येन

5. ज्ञान-तेरे लिए सर्वस्व बलिदान

6. अडिग निष्ठा के साथ कार्यक्षेत्र में उतरे

7. अधिक न बोला कीजिए

8. महाकाल और उसका युग-निर्माण प्रत्यावर्तन

9. गायत्री की असंख्य शक्तिया और उनका सान्निध्य

10. अपनो से अपनी बात-इस वर्ष हम पाँच कदम आगे बढ़े

11. युद्ध और बदलती हुई दुनिया

12. ज्योति का मंगल अवतरण

अखण्ड ज्योति मई 1967

1. मानव जीवन का अनुपम सौभाग्य

2. दान-अहसान नही, एक प्रायश्चित

3. ज्ञान, कर्म और भक्ति योग की समग्र साधना

4. गहरे पानी पैठ, जिन खोजा तिन पाइया

5. जिज्ञासा जगाइये और ज्ञान भण्डार भरिए

6. सुख दुख हमारे कर्मों का ही फल हैं

7. प्रगति के पथ पर नित्य नये कदम बढ़ते हैं

8. सामूहिक उपवास द्वारा राष्ट्र एवं आत्मा की सेवा करिये

9. देवदर्शन के पीछे दिव्यदृष्टि भी रहे

10. महत्ता प्राप्ति से उद्धत न बना जाय

11. स्वच्छ रहे उच्च बने

12. पंचगव्य की तेजवर्द्धिनी जीवनदायिनी शक्ति

13. गायत्री का स्त्री-स्वरूप क्यों

14. यह पुण्य परम्परा इस मास से आरम्भ कर दे

15. नीलकण्ठ विष पियो

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1967

1. कर्तव्य पालन का अविरल आनन्द

2. सच्चे हृदय से आत्मा का उद्बोधन करे

3. आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता-भगवान शंकर

4. मानसिक सुख शान्ति के उपाय

5. व्यक्ति के मूल्यांकन का मापदण्ड बदले

6. प्रतिकूलताओं के चुनौति स्वीकार कीजिए

7. इर्ष्या-एक अहितकर विकृति

8. प्रगति-पथ के प्रमुख तीन अवरोध

9. साधु लोक मंगल की मुहिम सम्हाले

10. नारी का प्रगति पथ अवरूद्ध न रहे

11. आर्थिक चिन्ताओं से छुटकारा पाने के उपाय

12. विवाहों में अनावश्यक व्यय क्यों करे

13. चित्रों का महत्व समझिये और उनके चुनाव में सावधानी बरतिये

14. गायत्री महामन्त्र के शक्तिशाली 24 अक्षर

15. हमारी शिक्षा-योजना हर कसौटी पर खरी सिद्ध होगी

16. जीवन दीप (कविता)

अखण्ड ज्योति मार्च 1967

1. जीवन की सार्थकता और निरर्थकता

2. युग निर्माण आन्दोलन और उसका प्रयोजन

3. मानव जाति की समस्याएं इस तरह सुलझेगी

4. विचार क्रान्ति आज की सबसे बड़ी आवश्यकता

5. हम में से प्रत्येक अपना कर्तव्य पालन करे

6. आत्म कल्याण के लिए त्रिविध श्रेय-साधना

7. विश्व का भावी धर्म अध्यात्मवाद

8. आप क्या करे-हम क्या करेंगे ?

9. जून का पन्द्रह दिवसीय शिक्षण शिविर

10. शिक्षा का उद्देश्य एवं प्रयोजन बदलें

11. जीवन विद्या का एक वर्षीय प्रशिक्षण

12. तीन और चार वर्ष की शिक्षा व्यवस्था

13. वानप्रस्थो की आध्यात्मिक शिक्षा साधना

14. युग बदल रहा हैं-हम भी बदले

15. पंचवर्षीय योजना के पाँच कार्यक्रम

16. छोटा किन्तु महान् शुभारम्भ

17. यह प्रश्न अपने आप से पूछिये

अखण्ड ज्योति फरवरी 1967

1. ईश्वर की नहीं अपनी फिक्र करो

2. सच्चे सुख की प्राप्ति पुण्य कर्मो द्वारा ही सम्भव हैं

3. मानसिक शक्ति नष्ट न होने दीजिए

4. विकास की पृष्टभूमिका-जिज्ञासा

5. शक्ति और ज्ञान का समन्वय आवश्यक हैं

6. पूर्वाग्रहो से बँधकर सत्य की उपेक्षा न करे

7. इच्छा शक्ति के चमत्कार

8. अन्त भला सो भला

9. गृहस्थ जीवन की वासनात्मक मर्यादा

10. अनुचित प्रशंसा या निन्दा न करे

11. आवेश ग्रस्त न होने मे ही भलाई हैं

12. आप स्वस्थ एवं दीर्घजीवी बन सकते हैं

13. इस व्यापक बेईमानी को हटाया और मिटाया जाय

14. क्या तीसरा विश्वयुद्ध निकट ही हैं ?

15. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना-बसन्त पंचमी से यह साधना आरम्भ करे

16. अपनो से अपनी बात-इस वर्ष हमें यह करना हैं

17. गौ संरक्षण और हम

अखण्ड ज्योति जनवरी 1967

1. मानव अभ्युदय का सच्चा अर्थ

2. आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ हैं

3. मानव जीवन और उसका महान् प्रयोजन

4. सफलता का ही नहीं साधनों का भी ध्यान रखे

5. मस्तिष्क को पक्षपात से दूर रखिए

6. जो कुछ करिए पहिले उस पर विचार कीजिए

7. व्यक्तित्व का मूल्यांकन करने में उतावली न करे

8. आवश्यकतायें बढ़ाकर दुःख दारिद्र्य में न फँसे

9. आश्रम धर्म और सन्तान सीमाबन्ध

10. हमारे सांस्कृतिक कार्यक्रम का स्वरूप क्या हो ?

11. भारत को ईसाई बनाने का षडयन्त्र

12. भावनाशील व्यक्ति लोक निर्माण के लिए आगे आये

13. विवाह का स्वरूप एक धार्मिक कृत्य जैसा रहे

14. सन्तानों की संख्या बढ़ाना व्यक्ति और समाज के लिए घातक हैं

15. पाँच वर्ष तक हमें सहचर बनकर रहना हैं

16. आत्मकल्याण के लिए विचार ही नहीं कार्य भी आवश्यक हैं

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1966

1. निर्माण और निर्वाण की जोड़ी

2. ईश्वर अंश जीव अविनाशी

3. आत्मज्ञान से ही दुखों की निवृत्ति सम्भव हैं

4. सुखद भविष्य की आशा रखिए

5. शिष्ट व्यवहार की मनुष्यता की शोभा हैं

6. महान् वे बनते हैं जो कठिनाइयों से डरते नहीं

7. सहानुभूति, मनुष्य का दैवी गुण

8. भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा

9. असफलता को देखकर निराश न हो

10. इर्ष्या नहीं स्वस्थ स्पर्धा कीजिए

11. बाह्य और आन्तरिक मलीनता दूर हटाये

12. शुभ कार्य के लिए हर दिन शुभ हैं

13. अपनो से अपनी बात-गीता जयन्ती से ब्रह्म विद्यालय प्रारम्भ

14. प्रतिज्ञा का कर्तव्य और उत्तरदायित्व-भावावेश अथवा कौतुहल में भरे प्रतिज्ञा पत्र वापस लेलें

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1966

1. गौ रक्षा के लिए एक महान् पुरश्चरण

2. हम वास्तविक बुद्धिमता अपनाये

3. परमात्मा का अस्तित्व और अनुग्रह

4. आत्म सत्ता और उसकी महान् महत्ता

5. मन-बुद्धि-चित्त अहंकार का परिष्कार

6. ममता हटाने पर ही चित्त शुद्ध होगा

7. वासना-त्याग के बिना चैन कहाँ ?

8. धनवान नहीं चरित्रवान होने की बात सोचिए

9. सद्ज्ञान का संचय एवं प्रसार आवश्यक हैं

10. आलस एक प्रकार की आत्म हत्या ही हैं

11. भाग्यवाद को तिलांजलि देना ही श्रेयस्कर

12. मनुष्यता को निर्दयता से कलंकित न करे

13. गौ रक्षा मनुष्य मात्र का धर्म-कर्तव्य

14. परिवार किसी उद्देश्य के लिए बसाया जाय

15. समाज सुधार के लिए प्रबुद्ध वर्ग आगे बढ़े

16. गायत्री की उच्च स्तरीय साधना-आत्मकल्याण की सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोपरि साधना

17. अपनो से अपनी बात-हम घट नहीं रहे, बढ़ ही रहे हैं

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1966

1. अन्तःकरण का प्रकाश ही जीवन को ज्योतिर्मय करता हैं

2. आस्तिकता का स्वरूप एवं प्रतिफल

3. भावना पर हमारे जीवन का विकास निर्भर हैं

4. सुख का मूलभूत आधार-सन्तोष

5. मृत्यु का सदा स्मरण रखे ताकि उससे डरना न पड़े

6. जीवन उत्कृष्टता के साथ जिया जाय

7. सत् अध्ययन आत्म उत्थान का आधार

8. स्वच्छता-एक आध्यात्मिक पुण्य प्रक्रिया

9. आवश्यकतायें बढ़ाइये मत-घटाइये

10. भिक्षावृत्ति मानवीय स्वाभिमान पर कलंक

11. मन्दिर अपना प्रयोजन पूर्ण करे

12. गौ की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा हमारा परम धर्म

13. गायत्री महाशक्ति का रत्न भंडार किसे मिलेगा ?

14. अपनो से अपनी बात-परिवार घटने का असमंजस और खेद

15. धरती की शपथ

अखण्ड ज्योति सितम्बर 1966

1. नीव अच्छी होनी चाहिए

2. परमात्मा की प्राप्ति का दिव्य साधन-प्रेम

3. अधर्म की जननी-नास्तिकता

4. विचारों की उत्तमता ही उन्नति का मूलमन्त्र हैं

5. अशान्ति के चार कारण और उनका निवारण

6. विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण व्यक्ति इस तरह बने

7. मृत्यु हमारे जीवन का अनिवार्य अतिथि

8. आत्मोन्नति के लिए परिपुष्ट शरीर की आवश्यकता

9. परिवार को कुसंस्कारी न बनने दिया जाय

10. जीवन का उत्तरार्ध लोकसेवा में लगावे

11. श्रेष्ठता धन से नहीं धन्य कार्यों से प्राप्त होती हैं

12. पशु-पक्षियों को इतना न सताया जाय

13. ज्ञान का विकास एवं प्रसार एक महान् पुण्य कार्य हैं

14. सत्पुरूषों के प्रेरणाप्रद संस्मरण

15. गायत्री महाशक्ति का स्वरूप एवं रहस्य

16. अपनो से अपनी बात-हमारी भावी कार्य-पद्धति और उसका स्पष्टीकरण

17. स्थायी सदस्यों के लिए 20 आवश्यक सूचनाये

18. नवनिर्माण के अत्यन्त सस्ते ट्रेक

अखण्ड ज्योति अगस्त 1966

1. धर्म और धार्मिकता की कसौटी

2. आस्तिकता का सच्चा स्वरूप

3. चरित्र ही संसार की सर्वोत्तम उपलब्धि हैं

4. भारत संसार का भावनात्मक नेतृत्व करे

5. सच्ची लोक-प्रियता इस तरह मिलती हैं

6. समय के सदुपयोग की महत्ता समझिए

7. परिवार को सुसंस्कृत बनाये

8. मित्रता अच्छी हैं, पर करे समझ-बूझ कर

9. मनुष्य जीवन में वृक्षों का आध्यात्मिक महत्व

10. अन्न-संकट दूर करने के लिए हम यह करे

11. फूल लगाइये, फल उगाइये

12. अपनो से अपनी बात-हमारा छटनी कार्यक्रम और उसका प्रयोजन

13. प्रतिज्ञा-पालन तत्काल आरम्भ किया जाय

अखण्ड ज्योति जुलाई 1966

1. ईश्वरी आदेश की उपेक्षा न करे

2. धर्म और ईश्वर निष्ठा की महान् आवश्यकता

3. जीवन को भव्य बनाने वाली ब्रह्मविद्या

4. धरती के स्वर्ग को प्राप्त कीजिए

5. परोपकारी छात्रा-जेन एडमस

6. प्रसन्नता की उपलब्धि सद् विचारों से

7. समस्त उन्नतियों का मूल सदाचरण ही हैं

8. महान् राजनीतिज्ञ-चाणक्य

9. एक अकालग्रसित प्रतिभा-श्री रामानुजम्

10. सुख चाहिए किन्तु दुःख से डरिये मत

11. शिष्ट एवं सभ्य व्यवहार ही मनुष्य की शोभा हैं

12. जीवन को उलझन बचने से बचाइये

13. सेवा से ही सच्ची सुख शान्ति सम्भव हैं

14. श्रमिक जीवन को अतिशय प्यार करने वाला विद्वान-ऐरिक हौफर

15. तीन सौ भाषाओं के जानकार-डा.हेराल्ड सुज

16. पर दोष-दर्शन की कुत्सा त्यागिए

17. अखण्ड ज्योति परिजनों के लिए कुछ विशेष-हमारे और आपके सम्बन्ध आगे क्या हो ?

अखण्ड ज्योति जून 1966

1. असत्य आचरण से विनाश ही होगा

2. शास्त्र-चर्चा

3. परमात्मा का दर्शन कैसे मिले ?

4. ‘‘ब्राह्मणः आविर्भवन्ति गुह्य न केचित्’’

5. श्रद्धा से बुद्धि का नियमन कीजिए

6. जीवन कलात्मक ढंग से जिए

7. इच्छायें पाप नहीं हैं, पाप हैं-उनकी निकृष्टता

8. विचार ही नहीं कार्य भी कीजिए

9. जीवन में हास्य की उपयोगिता और आवश्यकता

10. जैन तीर्थकर-भगवान महावीर

11. महान् धर्मप्रचारक कुमारजीव

12. मृत्यु से केवल कायर ही डरते हैं

13. आवश्यकताओं के साथ न्याय कीजिए

14. साक्षरता की दीप वाहिका-श्रीमती वेल्दी फिशर

15. जापान के कर्मयोगी कवि-श्री मियासावा केन्जी

16. बुढ़ापे की तैयारी जवानी में ही करिए

17. किशोरों के निर्माण में सावधानी बरती जाय

18. स्वास्थ्य रक्षा के लिए व्यायाम की अनिवार्य आवश्यकता

19. नारी को इस दुर्दशा में पड़ा न रहने दिया जाय

20. भव्य समाज की नव्य रचना

21. अखण्ड ज्योति के परिजन इतना तो करे ही

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1966

1. अन्तःकरण का परिष्कार करे

2. आत्म-साधना के कठिन पथ पर

3. जीवन यापन के लिए जीवन लक्ष्य भी निर्धारित करे

4. सुखी जीवन के लिए मानसिक प्रसन्नता सिद्ध कीजिए

5. आपत्तियों से डरिये नहीं, लडि़ये

6. जड़ता छोड़े-प्रगतिशीलता अपनाये

7. थोड़ी सी आयु में बहुत कुछ कर दिखाने वाले-केशव चन्द्र सेन

8. शिष्टाचार ही मानवता की पहचान हैं

9. मितव्ययिता का महत्व समझिए

10. आधुनिक बोधिसत्व-डा अल्वर्ट श्वाइत्जर

11. हमें दीर्घजीवी ही होना चाहिए

12. नारी को समुचित सम्मान एवं उत्थान दीजिए

13. गृहस्थ सुख की साधना

14. मितव्ययी आदर्श विवाहों का प्रचलन आवश्यक

15. शिशु निर्माण-माता के गर्भ में

16. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति-हमारी भावना और कार्य पद्धति

17. पाँच रचनात्मक और पाँच प्रशिक्षात्मक कार्यक्रम

18. जन्मोत्सव मनाना इस तरह आरम्भ करे

19. देव और दनुज

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1965

1. ईश्वर का महान् उपहार व्यर्थ न चला जाय

2. शास्त्र मन्थन का नवनीत

3. ईश्वर विश्वास किसी का निष्फल नहीं गया

4. कर्मों का फल ईश्वर के अर्पण कीजिए

5. सदा शुभ ही सोचिये, अशुभ नहीं

6. मानवता-हमारी बहुमूल्य विरासत

7. प्रियदर्शी सम्राट अशोक

8. साधना से शक्ति का अवतरण

9. मनुष्य जीवन का सत्य-हास्य

10. निराश मत हूजिए अन्यथा सब कुछ खो बैठेंगे

11. सच्चे संत-श्री तुका राम जी

12. स्वातन्त्र्य सिंहनी-श्रीमती सरोजिनी नायडू

13. दाम्पत्य जीवन की सफलता के रहस्य

14. जीवन इस तरह जिए

15. कण कण जोरे मन जुरे

16. दार्शनिकता को सार्थक बनाने वाले-कन्फ्यूशियस

17. महापुरूषों के विचार बिन्दु

18. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति-इस विशिष्ट घडि़यों में हमारा विशिष्ट कर्तव्य

19. देश, धर्म, समाज और संस्कृति के लिए भी कुछ करे

20. हम यह करने को कटिबद्ध हो

21. अपनो से अपनी किन्तु आवश्यक बातें

22. संस्कारों और पर्वों की पृथक-पृथक पुस्तकें

23. घर-घर में युग निर्माण पुस्तकालय स्थापित हो

24. उद्बोधन-राष्ट्र के लिए

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