रविवार, 16 जनवरी 2011

क्रोध काबू में तो स्वर्ग हथेली में

सुभाष चन्द्र बोस एक जगह भाषण दे रहे थे। अचानक एक युवक ने उत्तेजित होकर उन पर जूता फैंक दिया। उन्होनें जूते को उठाते हुए भरी सभा से कहा- मेरे देश के लोग कितने अच्छे हैं जो बिना जूते वाले को जूते भी दे देते हैं। मेरा उस युवक से निवेदन हैं कि उसके तो एक जूता काम आएगा नहीं इसलिए वह दूसरा जूता भी फैंक दे क्योंकि पिछली सभा में मेरे जूते खो गए थे। 

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin