ईरान का बादशाह नौशेरवा अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध था। एक दिन शिकार खेलते हुए वह काफी दूर निकल गया। देर शाम एक गाव के किनारे डेरा लगा। भोजन के साथ नमक न मिलने पर उनका एक सेवक गाव के एक घर से नमक ले आया और भोजन बनाने लगा।
नौशेरवा ने पूछा-‘‘नमक के दाम देकर आये हो ना ?’’ उसने उत्तर दिया-‘‘इतने से नमक का क्या दाम दिया जाये ?’’
नौशेरवा ने कहा-‘‘अब आगे से ऐसा काम कभी न करना। उस नमक की कीमत जो भी हो, तुरंत देकर आओ। तुम नहीं समझते कि अगर बादशाह किसी के बाग से बिना दाम दिए एक फल भी ले ले, तो उसके कर्मचारी तो पूरा बाग ही उजाड़ कर खा जायेंगे।’’ नमूना स्वयं पेश किया जाता हैं, जाओ ! नौशेरवा की न्यायप्रियता नें ही उसे एक आदर्श आचरण वाले राजा के रूप में स्थापित किया।
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