स्वामी विवेकानन्द की दो शिष्याए थी- एक भगिनि निवेदिता (मार्गरेट नोबुल) तथा दूसरी क्रिस्टीना, जिन्हें स्वामी जी कृष्णप्रिया नाम से संबोधित करते थं। निवेदिता स्वामी जी से ढेर सारे प्रश्न पूछती, समाधान भी मिलते, पर क्रिस्टीना थी कि वह मौन बैठी रहती। स्वामी जी ने उनसे पूछा-‘‘तुम कभी प्रश्न नहीं पूछती। क्या तुम्हारे मन में जिज्ञासाए नहीं उठती ?
क्रिस्टीना बोली- ‘‘ माय मास्टर ! क्वेश्चन्स अराइज इन माय हार्ट बट दे मेल्ट बिफोर युअर रेडिएन्स ( हे मेरे गुरूदेव ! प्रश्न मेरे हृदय में उठते है ? पर वे आपकी तेजस्विता के सामने मिट जाते हैं।)’’ मुझे सभी का जवाब मौन रहकर ही मिल जाता हैं। यह हैं आदर्श शिष्य का लक्षण।
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