बीज को पौधा बनाने में और पौधे को पेड़ में बदलने के पीछे अनेक शक्तियों का दृश्य-अदृश्य हाथ होता हैं। सूरज की किरणे हो या उपजाऊ मिट्टी, प्रचुर मात्रा में खाद हो अथवा सींचा गया पानी, सभी अपनी सामथ्र्य के अनुसार शक्ति लगाकर एक नन्हे से बीज को विशालकाय वृक्ष में रूपांतरित कर देते हैं। जब सृष्टि का एक छोटा-सा कार्य किसी एक व्यक्ति या शक्ति पर निर्भर नहीं करता, तब यह जान लेना चाहिए कि युग-परिवर्तन जैसा अभूतपूर्व कार्य भी संगठन की शक्ति के बिना असंभव सिद्ध होगा। इस संकल्प की पूर्ति के लिए आज उन सभी प्रतिभाओ का आवाहन हैं, जो पूज्य गुरूदेव द्वारा रोपे गए विचार-क्रांति के बीज को युग निर्माण के वृक्ष में बदलने में आनी शक्ति व ऊर्जा निछावर कर दे।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
1 टिप्पणी:
बढ़िया पोस्ट।
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