एक साधना जिसे करने के लिए हम आपको अनुरोधपूर्वक प्रेरित करते हैं-वह हैं दिन-रात में से कोई भी पन्द्रह मिनट का समय निकाले और एकान्त में शांतिपूर्वक सोचे कि वे क्या हैं ? वे सोचे कि क्या वे उस कर्तव्य को पूरा कर रहे हैं, जो मनुष्य होने के नाते उन्हे सौपा गया था। मन से कहिए कि वह निर्भीक सत्यवक्ता की तरह आपके अवगुण साफ-साफ बतावें।
-परमपूज्य गुरुदेव आचार्य श्रीराम शर्मा
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