परम पूज्य गुरुदेव युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की घोषणानुसार युग परिवर्तन एक सुनिश्चित संभावना है । युग निर्माण योजना इसी संभावना को साकार करने के लिए बनाई गयी है । युग निर्माण कैसे होगा? इसके सरंजाम कैसे जुटेंगे? तथा इसके भागीदारों का चरित्र-चिंतन कैसा होना चाहिए? इसका विस्तार पूर्वक वर्णन वाङ्मय के खण्ड ६६ 'युग निर्माण योजना-दर्शन स्वरूप व कार्यक्रम' में किया गया है ।
इसमें नैष्ठिक परिजनों को झकझोर देने वाली पूज्यवर की अमर-वाणी है । इसे प्रत्येक परिजन को ध्यान पूर्वक पढ़ना चाहिए तथा पढ़कर चिंतन-मनन करते हुए आचरण में उतारने का प्रयास करना चाहिए ।
आशा है यह पुस्तक हम सबके भीतर प्रकाश की एक नई किरण बनकर हमारा पथ प्रदर्शन करेगी ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें