रविवार, 25 जुलाई 2010

मनसा-वाचा-कर्मणा


एक आदमी कथा कर रहा था उसने कहा बैगन का नाम इसलिए बैगन पड़ा क्योकि उस में गुण नहीं होता इसलिए बेगुन हो जाता है जिसे लोग बैगन कह देते है , उसको नहीं खाना चाहिए

उसकी पत्नी भी कथा सुन रही थी वह घर आई उसने बैगन को बाहर फ़ेंक दिया , जब वह आदमी घर आया बोला आज क्या बनाया है ?

पत्नी बोली दाल बनाया है, उसने कहा सुबह जो बैगन ला कर दिए थे वह मैंने फैक दी क्योकि आपने ही तो कथा में कहा था बेगुन में कोई गुन नहीं होता उसे नहीं खाना चाहिए . इसलिए मैंने फैक दी.

मनसा-वाचा-कर्मणा तीन बातें हमारे शास्त्र बताते हैं । मन से, वचन से, कर्म से तीनो एक जैसा होना चाहिए। जो मन में हो वह ही जुबान पर हो, जो कहो वह ही करो .

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