महान वैज्ञानिक फ्रेंकलिन की एक किताब की दुकान थी. एक ग्राहक आया और एक किताब की ओर इशारा करते हुए काउंटर पर बैठे व्यक्ति से पूछा कि इसका मूल्य क्या है? उसने जबाब दिया दो डॉलर ! कुछ देर वो चुप रहा फिर उसने पूछा कि इस दुकान के मालिक कहा है? काउंटर वाला व्यक्ति बोला -अभी वो आधे घंटे बाद यहाँ आयेगे .
ग्राहक बोला - ठीक है मैं आधे घंटे बाद ही आता हूँ. मालिक के आने के बाद फिर उसने पूछा कि इसका मूल्य क्या है? मालिक ने कहा -'सवा दो डॉलर '. ग्राहक ने कहा- 'अभी तो आपका स्टाफ दो डॉलर बता रहा था .' थोड़ी देर वो चुप रहा और सोचने विचारने के बाद उसने फिर पूछा- 'अच्छा बताइए मैं आपको इसका क्या उचित मूल्य दूं ?'
फ्रेंकलिन ने इस बार कहा -'ढाई डॉलर'! इस बार ग्राहक सकते में आ गया और शिकायत के लहजे में कहा- 'पर अभी-अभी तो आपने सवा दो डॉलर बताया था !'
तब फ्रेंकलिन ने उसे शांतिपूर्वक समझाया कि ' युवक शायद तुमको समय की कीमत का ज्ञान नहीं है इतने देर से तुम मेरा और मेरे स्टाफ का समय खर्च करवा रहे हो उसका मूल्य भी तो इसमें सम्मिलित है . ' यह सुनते ही ग्राहक को समय का ज्ञान हुआ और वो पैसे देकर किताब ले गया.
समय का तकाजा है की समय के मूल्य को समझे .
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