रविवार, 25 जुलाई 2010

सफलता के सूत्र

सफलता के लिए क्या जरूरी है टाइम मैनेजमेंट। उपलब्ध समय में ईमानदारी से एक-एक क्षण का भरपूर उपयोग करने से ही सफलता हासिल होती है। प्राय: लोग समय की कमी का रोना रोते हैं। लेकिन वे भूल जाते हैं कि कामयाब से कामयाब आदमी के पास भी 24 घंटे ही होते हैं। यानी अगर जीवन में कुछ करना है तो समय की कद्र करें, उसे बर्बाद न करें। जो समय को बर्बाद करता है, समय भी उसे बर्बाद कर देता है। समय का हनन करने वाले आदमी का चित्त हमेशा उद्विग्न रहता है और वह असहाय तथा भ्रमित होकर यूं ही भटकता रहता है। प्रतिपल का उपयोग करने वाले कभी पराजित नहीं हो सकते। समय का हर क्षण का उपयोग आदमी को विलक्षण और अद्भुत बना देता है। समय संसार का अनमोल चीज है। बीता पल और गुजरा कल किसी के लिए नहीं लौटा है और निश्चय ही आपके लिए भी नहीं लौटेगा। 

"टाइम इज मनी" यानी "समय ही धन है " की अवधारणा किसी भी काल में झुठलाई नहीं जा सकती है। महात्मा गाँधी न केवल धन की पाई-पाई का हिसाब रखते थे परंतु समय के क्षण-क्षण का भी हिसाब रखते थे। संसार में ऎसा कौन सा महापुरूष हुआ है जो समय की महत्ता को नहीं समझा हो, समय का सदुपयोग तभी मुमकिन है जब हम इसकी आदत डाल लें। कुछ न करने से कुछ करना अच्छा होता है, इसकी जिन्हें समझ है वे दौड में बहुत आगे चले जाते हैं। जी हां दोस्तो, समय को पकडकर रखना संभव ही नहीं है, यह तो भागा ही चला जाता है । अत: एक-एक क्षण बेशकीमती है यह समझकर उसका सदुपयोग करना जरूरी है। 

प्राथमिकताएं तय करें:
एक समय में एक ही काम करने से कामयाबी के आप करीब पहुंचते हैं। आप दैनिक स्तर पर अपनी प्राथमिकताएं तय करें। अगर इसमें कोई परेशानी हो रही है तो साप्ताहिक आधार पर प्राथमिकताएं तय करें। जब आप अपनी प्राथमिकताओं के अनुरूप पहल और प्रयास करेंगे तो आपकी जीत की संभावनाएं बढ जाती हैं। यह आपके व्यवसायिक और व्यक्तिगत टारगेट पाने के लिए अचूक टिप्स है। इससे आपका काम तेज गति से होगा।

लक्ष्य पर रखें नजर :
कामयाब आदमी टारगेट को तय कर उन पर अमल आरंभ करता है। लक्ष्य भले ही अल्पकालिक हों या दीघ्रकालिक "क्या करना है।" इसे जरूर सूचिबद्ध कर लें। टारगेट आपके जीवन और समय का दिशा तय करता है। खोई दौलत फिर भी कमाई जा सकती है। खोया सेहत चिकित्सा द्वारा लौटाया जा सकता है, पर खोया हुआ समय किसी प्रकार नहीं लौट सकता, इसके लिए केवल खेद ही बचा रहता है। अपने टारगेट पर रखें नजर और कदम रखें उस डगर पर। 

उत्पादक योजना बनाएं:
हर आदमी दिन के किसी खास पहर में उत्पादकता के हिसाब से सर्वश्रेष्ठ होता है। जब वह भरा हुआ होता है। उदाहरण के लिए कोई सुबह के समय अच्छा काम करता है तो कोई रात को अपना बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। आपना बेहतर प्रदर्शन समय जानें और शुरू हो जाएं। आप इस समय को अपनी महत्वकांक्षा और मंजिल को प्राप्त करने में लगाएं। आपका प्रदर्शन तो अच्छा होगा ही आपको प्रसन्नता भी भरपूर मिलेगी।

कल पर न टालें:
"काल करे सो आज कर, आज करै सो अब ।" की बात गांठ बांध लें। टालमटोल की आदत से आप वहीं के वहीं बने रहते हैं। कल कभी नहीं आता है और जो भी करना है वह आज और अभी करने की आदत डालें। कल कभी नहीं आता है। आपका हर पल कीमती है। समय काटने भर की जिन्हें चिंता हो वे कभी भी इसके मूल्य को समझ नहीं पाते और अंत में हाथ मलते देखे जाते हैं। आपकी टालू प्रवृति से पत्थर भी पर्वत जैसा हो जाएगा।

संतुलन बनाए रखें:
जीवन के सात पहलू होते हैं। वे हैं सेहत , परिवार , अर्थ यानी दौलत, बौद्धिकता, सामाजिक , व्यवसायिक और आध्यात्मिक। इस क्रम में कोई भी व्यक्ति प्रत्येक को बराबर समय नहीं दे सकता । हर एक के लिए पर्याप्त समय तय करें।पूरी तरह से संतुलित जीवन का यही मूलमंत्र है। सफलता का राज इसी में निहित है कि आप किस तरह व्यवसायिक , सामाजिक और व्यक्तिगत दायित्वों का निर्वाह करती है। 

समय होगा मुटठी में :
- जहां तक हो समय सीमा निर्धारित करें।

-नाकामी का रोना रोने के बजाय गलतियों से सबक लेना सीखें।

-समय की बर्बादी से बचें। प्रत्येक क्षण कीमती है।

-समय पर काम पूरा करने के बाद खुद को शाबाशी दें।

इनका भी रखें ध्यान:
-रूकावटों से बचें यानी फिजूल की फोनवार्ता या अनापेक्षित आगंतुक ।

-दूसरों को दिये गये कामों में दखलंदाजी न करें।

-अनिर्णय और काम की टालमटोल से परहेज करें।

-बिना योजना के काम शुरू न करें।

- तनाव या थकावट को खुद पर हावी होने न दें।

-कभी कभार " न " कहना भी सीखें।

-व्यक्तिगत स्तर पर अव्यवस्थित न रहें।

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