रजनीश एक डाक बंगले में ठहरे थे, वहां कुत्ते लगातार भौंक रहे थे, लेकिन रजनीश आराम से सो रहे थे और उसी डाक बंगले में ठहरे एक मंत्री को नींद नहीं आ रही थी। मंत्री परेशान होकर रजनीश के पास पहुंचे और कहा, "आप कैसे आराम से शो रहे हैं? मुझे कल फिर दौरे पर जाना है, लेकिन कुत्तों ने शोर मचा रखा है। कई उपाय किए, लेकिन सो नहीं पा रहा हूं, बताइए क्या करूं?"
रजनीश ने सलाह दी, "कुत्तों को भूल जाइए। वे इस इरादे से जमा नहीं हुए हैं कि आपको परेशान करें। वे आपके लिए नहीं आए हैं। उन्हें यह नहीं पता होगा कि यहां कोई मंत्री ठहरा है। कुत्ते अखबार भी नहीं पढ़ते। वे तो अपना काम कर रहे हैं, आप क्यों परेशान होते हैं?"
यह सुनकर मंत्रीजी ने कहा, "कैसे परेशान न होऊं? इतनी भौंक-भाक के बीच कैसे सोऊं?"
रजनीश ने सलाह दी, "कुत्तों के भौंकने से न लड़ें। आप शोरगुल के खिलाफ हैं, आपकी शर्त है। आप कह रहे हैं कि अगर कुत्ते भौंकना बंद कर दें, तो मैं सोऊंगा। कुत्ते आपकी नहीं सुनेंगे। आपकी शर्त है कि अगर कुत्ते भौंकना रोकें, तो आप सोएंगे। कुत्तों के भौंकने को स्वीकार कर लें, शर्त न रखें। उनसे न लड़ें, न प्रतिरोध करें। शोरगुल को अनसुना करने की कोशिश भी न करें, उन्हें स्वीकार कर लें। सोचें कि रात इतनी शांत है और कुत्ते इतने प्राणवान ढंग से भौंक रहे हैं। यही सम्यक मंत्र है। उन्हें सुनें।"
मंत्री ने कहा, "ठीक है, ऎसा करके भी देख लेता हूं।" वे अपने कमरे में लौटे, प्रयोग किया, कुत्तों का भौंकना उनके लिए संगीत में बदल गया, उन्हें गहरी नींद आ गई।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें