समय संसार की सबसे मूल्यवान संपदा हैं। विद्वानों एवं महापुरुषों ने समय को सारी विभूतियों का कारणभूत हेतु माना हैं। जीवन का हर क्षण एक उज्ज्वल भविष्य की संभावना लेकर आता हैं। हर घड़ी एक महान् मोड़ का समय हो सकती हैं। मनुष्य यह निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता कि जिस समय, क्षण और जिस पल को यों ही व्यर्थ में खो रहा हैं, वह ही क्षण, वह ही वक्त, उसके भागयोदय का वक्त नहीं हैं। वह ही हमारे लिए अपनी झोली में कोई सुन्दर सौभाग्य की सफलता लाया हो। सबके जीवन में एक परिवर्तनकारी वक्त आया करता हैं, किन्तु मनुष्य उसके आगमन से अनभिज्ञ रहा करता हैं, इसलिए हर बुद्धिमान मनुष्य हर क्षण को, बहुमूल्य समझकर व्यर्थ नहीं जाने देता। कोई भी क्षण व्यर्थ न जाने देने से निश्यच ही वह क्षण हाथ से छूटकर नहीं जा सकता जो जीवन में वांछित परिवर्तन का सन्देशवाहक होगा। सिद्धि की अनििश्वत घड़ी से अनभिज्ञ साधक जिस प्रकार हर समय लौ लगाए रहने से इसको पकड़ लेता हैं, ठीक उसकी प्रकार हर क्षण को सौभाग्य के द्वार खोल देने वाला समझकर महत्वाकांक्षी कर्मवीर अपने जीवन के एक छोटे से क्षण की उपेक्षा नहीं करता और नििश्चत ही सौभाग्य का अधिकारी बनता हैं। हर मनुष्य को समय के छोटे से छोटे क्षण का मूल्य और महत्व समझना चाहिए। जीवन का समय सीमित हैं और काम बहुत हैं। अपने से लेकर परिवार, समाज एवं राष्ट्र के दायित्वपूर्ण कर्तव्यो के साथ मुक्ति की साधना तक कामों की एक लंबी श्रृंखला चली गई हैं कर्तव्यों की इस अनिवार्य परंपरा को पूरा किए बिना मनुष्य का कल्याण नहीं। इतने विशाल कर्तव्य क्रम को मनुष्य तब ही पूरा कर सकता हैं, जब जीवन के एक-एक क्षण, एक-एक पल और एक-एक निमेश को सावधानी के साथ उपयोगी एवं उपयुक्त दिशा में प्रयुक्त करे। जीवन में उन्नति करने और सफलता पाने वाले व्यक्तियों की जीवनगाथा का निरीक्षण करने पर निश्यच ही उनके इन गुणों में समय के पालन एवं सदुपयोग को प्रमुख स्थान मिलेगा जो जीवन की उन्नति के लिए अपेक्षित होते हैं।
(समय का सदुपयोग, प्रष्ठ-21,22)
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