आओ आओ सुहागिन नारि कलश सिर धारण करो ।
आओ सीता लक्ष्मी नारि, कलश सिर धारण करो॥
कलश के मुख में विष्णु जी सोहें,
कंठ में लगकर शंकर सोहें ।
ऐ जी ब्रह्मा सोहें मूलाधार, कलश ....
तेरी चूड़ी अमर हो जाय.....
सात समुद्र का निर्मल जल है,
सात द्वीप अरू पृथ्वी अंचल है ।
गंगा यमुना की पावन धार,कलश.. ...
तेरो ललना अमर हो जाय, कलश.....
चारों वेद का ज्ञान भरा है,
वसुधा और संसार भरा है ।
ये तो मन वांछित दातार , कलश...
तेरी बिंदिया अमर जो जाय.....
आओ माता बहिनों आओ,
कलश गीत को मिलकर गाओ ।
ये तो गायत्री सावित्री परिवार कलश....
तेरी बिंदिया अमर हो जाय.....
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