देवदूत बनकर आये, तपोपूत तुम कहलाये ।
ऋषि बनकर सबको भाये, नमन तुम्हें शत बार है॥
राष्ट्र धर्म में मस्त रहे, जप तप के अभ्यस्त रहे ।
नये सृजन में व्यस्त रहे, जान गया संसार है॥
तुमने कार्य महान किया, जगती का कल्याण किया ।
संस्कृति का उत्थान किया, जो युग का उपचार है॥
यज्ञ और गायत्री को, सविता को, सावित्री को ।
माता देवी धरित्री को, दिया नया उपहार है॥
संस्कृति को विज्ञान से, जीवन को सद्ज्ञान से ।
पौरूष को निर्माण से, जोड़ा सभी प्रकार है ।
वर्ग भेद को दूर किया, अहंकार को चूर किया ।
अनुशासन भरपूर दिया, जग का हुआ सुधार है॥
मिटा गये अज्ञान तुम, लुटा गये अनुदान तुम ।
बाँट गये वरदान तुम, यह अद्भूत व्यापार है ।
हे गुरुवर श्री राम तुम्हारी, महिमा अपरम्पार है॥
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