दयाकर दान भक्ति का , हमें परमात्मा देना ।
दया करना हमारी आत्मा में, शुद्घता देना॥
हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ ।
हमारे दिल में आकर के , परम ज्योति जगा देना । ।
बहा दे प्रेम की गंगा, दिलों में प्रेम का सागर ।
हमें आपस में मिल जुलकर , प्रभु रहना सिखा देना॥
हमारा धर्म हो सेवा, हमारा कर्म हो सेवा ।
सदा ईमान हो सेवा, व सेवकचर बना देना॥
वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना ।
वतन पर जाँ फिदा करना, प्रभु हमको सिखा देना॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें