सोमवार, 7 मार्च 2011

दयाकर दान भक्ति का

दयाकर दान भक्ति का , हमें परमात्मा देना । 
दया करना हमारी आत्मा में, शुद्घता देना॥ 

हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ । 
हमारे दिल में आकर के , परम ज्योति जगा देना । । 

बहा दे प्रेम की गंगा, दिलों में प्रेम का सागर । 
हमें आपस में मिल जुलकर , प्रभु रहना सिखा देना॥ 

हमारा धर्म हो सेवा, हमारा कर्म हो सेवा । 
सदा ईमान हो सेवा, व सेवकचर बना देना॥ 

वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना । 
वतन पर जाँ फिदा करना, प्रभु हमको सिखा देना॥ 

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