हम बदलेंगे, युग बदलेगा, यह संदेश सुनाता चल ।
आगे कदम बढ़ाता चल, बढ़ाता चल, बढ़ाता चल॥
अंधकार का वक्ष चीरकर ,फूटे नव प्रकाश निर्झर ।
प्राण-प्राण में गूँजे शाश्वत,सामगान का नूतन स्वर॥
तुम्हें शपथ है हृदय हृदय में,स्वर्णिम दीप सजाता चल ।
स्नेह सुमन बिखराता चल तू, आगे कदम बढ़ाता चल॥
पूर्व दिशा में नूतन युग का, हुआ प्रभामय सूर्य उदय ।
देव दूत आया धरती पर, लेकर सुधा पात्र अक्षय॥
भर ले सुधा पात्र तू अपना, सबको सुधा पिलाता चल ।
शत-शत कमल खिलाता चल तू, आगे कदम बढ़ाता चल॥
ओ,नवयुग के सूत्रधार,अविराम सतत बढ़ते जाओ ।
हिमगिरि के ऊँचे शिखरों पर,स्वर्णिम केतन फहराओ॥
मंजिल तुझे अवश्य मिलेगी,गीत विजय के गाता चल ।
नव चेतना जगाता चल तू, आगे कदम बढ़ाता चल॥
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