आदिशक्ति तुम वीर प्रसुता, प्रेम मूर्ति साकार ।
दुष्प्रवृत्तियों के रावण का, करना है संहार॥
बहिनो हो जाओ तैयार ।
उठो समय आमन्त्रण देता, युग करता आह्वान ।
नवल सृजन का समय आ गया, लाओ नया बिहान॥
शान्ति-मार्ग को रोके बैठा, अंधकार अज्ञान ।
बनकर ज्ञान सूर्य की किरणें, छेड़ो नव अभियान॥
छुआ-छुत का भूत भगाकर, करो देश उद्घार ।
बहिनो हो जाओ तैयार॥
भय कुरीतियों के जंगल में पनप न पाते फूल ।
ज्ञान बिना जीवन के सपने, आज चाटते धूल॥
ऊँच-नीच की रची हुई है, छाती पर चट्टान ।
मानवता की फसलें चरता, अहंकार अभिमान॥
भेदभाव की जड़ काटो तुम, लेकर शक्ति कुठार ।
बहिनो हो जाओ तैयार॥
परदा बन कलंक का टीका , देता है संताप ।
आज अंधविश्वास बना है, पाप-ताप अभिशाप॥
चलो कदम से कदम मिलाकर ,लेकर ज्ञान मशाल ।
आज विश्व में ऊँचा कर दो, भारत माँ का भाल॥
अबला नहीं बनो तुम सबला, शक्तिपुज अंगार ।
बहिनो हो जाओ तैयार॥
-अज्ञात
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