प्रसिद्ध गुजराती कवि कलापी से एक बार एक शिक्षित व्यक्ति ने पूछा-``श्रृंगार, करूणा, वीर, आदि में से कौन सा रस आपको अधिक प्रिय है ?´´ समाज के लिए हितकर हो,मुझे वही रस प्रिय है, चाहे वह करूण रस हो या वीर रस। `कवि कलापी´ ने उत्तर दिया।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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