कलकत्ता में प्लेग फैला था। स्वामी विवेकानन्द जी सारी साधना-उपासना छोड़कर पीड़ितों की सेवा के लिए कलकत्ता चल पड़े, एक भक्त ने उन्हें रोकते हुए कहा-``आपको कुछ हो गया तो ?´´ स्वामी जी बीच में ही बोल पड़े-``चलों देखे तो मनुष्य की शक्ति बड़ी हैं या बीमारी की।´´
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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